आवर्त सारणी ( Periodic Table )- Bihar Board Class 10th Chemistry Subjective Question-answer 2023

 लघु उत्तरीय प्रश्न 

  1. आधुनिक आवर्त नियम क्या है ?  

उत्तर – मोसले (1911) के अध्ययन के आधार पर बताया गया कि परमाणु संख्या ही किसी तत्व का मौलिक गुण है न की परमाणु भार | आधुनिक आवर्त नियम इसी परमाणु संख्या पर आधारित है | इस नियम के अनुसार , तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनकी परमाणु संख्या के आवर्त फलन होते हैं | आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों को इसी नियम के अनुसार उनकी परमाणु संख्या के बढ़ते क्रम में सजाया गया है | 

       2. आवर्त सारणी के लघु आवर्त और दीर्घ आवर्त क्या हैं ? उनकी संख्या बतएँ | 

उत्तर – द्वितीय एवं तृतीय आवर्त में आठ-आठ तत्त्व हैं | ये लघु आवर्त कहालते हैं | इनकी संख्या दो है | चतुर्थ एवं इसके बाद के सभी आवर्त में अठारह या उससे अधिक तत्त्व हैं | ये दीर्घ आवर्त कहलाते हैं | इनकी संख्या चार है |  

      3. तत्त्वों के वर्गीकरण की आवश्यकता क्यों पड़ी ? 

उत्तर – बहुत – से तत्त्वों के अविष्कार के पश्चात उनके गुणों के अलग – अलग अध्ययन करने में कठिनाई महसूस होने लगी | इस कारण से तकालीन वैज्ञानिकों ने समान गुणवाले तत्त्वों को समूहों में बांटने का प्रयास प्रारंभ कर दिया , ताकि किसी विशेष समूह के तत्त्वों में से किसी एक तत्त्व के गुणों का अध्ययन करके उस समूह के अन्य तत्त्वों के गुणों का पूर्वानुमान किया जा सके | 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

       1.  मेंडलीव की आवर्त सारणी के त्रुटियों का वर्णन करें | 

उत्तर – मेंडलीव की आवर्त सारणी की त्रुटियाँ इस प्रकार हैं – 

  1. आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का स्थान अनिर्णित है | गुणों में समानता के आधार पर इसे क्षार-धातुओं के साथ वर्ग IA में तथा हैलोजेन तत्त्वों के साथ वर्ग VIIA में भी रखा जा सकता है | 
  2. अनेक भिन्न भिन्न गुण वाले तत्त्वों को सारणी के एक ही वर्ग में रखा गया हैं; जैसे – Cu , Ag एवं Au को क्षार धातुओं के साथ एक ही वर्ग में रखा गया है; 
  3. कुछ समान गुण वाले तत्त्वों को सारणी में अलग-अलग वर्ग में रखा गया है; जैसे – तम्बा प्रथम वर्ग में तथा परा दुसरे वर्ग में | 
  4. समस्थानिकों के लिए कोई स्थान निर्धारित नहीं है |  

      2.  तत्त्वों वर्गीकरण के क्षेत्र में हुए कुछ प्रारंभिक प्रयासों का उल्केख करें | 

उत्तर -तत्त्वों के वर्गीकरण के क्षेत्र में हुए प्रारंभिक प्रयास निम्नलिखित हैं – 

  1. धातु और अधातु में वर्गीकरण ( Classification into metals and non – metals ) – सर्वप्रथम 18वी. शताब्दी में लभ्वाजे ने तत्त्वों का वर्गीकरण धातु और अधातु में किया उनके अनुसार , कुछ गुण सभी धातुओं में समान रूप से पाए जाते हैं | उदहारण के लिए; धातुएँ चमकीली , आघातवर्धनीय तथा तन्य होती हैं | ये ऊष्मा और विधुत के सुचालक होते हैं तथा इनके ऑक्साइड भास्मिक होते हैं | इसे प्रकार अधातुओं में भी कुछ गुण समान रूप से पाए जाते हैं | उदहारण केलिए है; अधातुएँ देखने में उदास होती हैं  तथा इनमें आघातवर्धनीयताऔर तन्यता नहीं होती | ये ऊष्मा और विधुत के कुचालक होती हैं तथा इनके ऑक्साइड अम्लीय होते हैं | 
  2. संयोजकता के आधार पर वर्गीकरण ( Classification based on Valency ) – इसके अनुसार , समान संयोजकता वाले तत्त्वों को एक-साथ रखा गया यथा एकाबंधन, द्विबंधन , त्रिबंधन आदि तत्त्वों को अलग वर्गो में विभाजित किया गया | 
  3. डोबरेनर का त्रियक ( Dobereiner’s triad ) – 19वी. शताब्दी के प्रारंभ में जर्मन रसायनज्ञ डोबरेनर ने रासायनिक दृष्टि से सदृश तत्त्वों को तीन – तिन के समूहों में वर्गीकृत किया | ये समूह त्रियक ( triads ) कहलाते हैं | उनहोंने त्रियक के नियम की घोषणा की जिसके अनुसार, ‘ त्रियक के तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाने पर मध्यवर्ती तत्त्व का परमाणु द्रव्यमान किनारेवाले शेष दोनों तत्त्वों के द्रव्यमानों का औसत होता है |’ 
  4. न्यूलैंड्स का अष्टक नियम ( Newlands ‘ law of Octaves ) – 1865 – 66 में अंगरेज रसायनज्ञ जॉन न्यूलैंड्स ने अपने समय तक आविष्कृत तत्त्वों को उनके परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाकर एक नियम का प्रतिपादन किया जिसे न्यूलैंड्स का अष्टक नियम कहते हैं | इस नियम के अनुसार , यदि तत्त्वों को उनके बढ़ाते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाया जाए तो किसी भी तत्त्व से प्रारंभ करने पर आठवें तत्त्व के गुण पहले तत्त्व एक गुणों के समान होते हैं , जैसा कि संगीत का आठवां स्वर पहले स्वर के समान होता है |                                                                                                                                                                                                              यदि सोडियम ( Na ) से गिनती प्रारंभ की जाए तो आठवां तत्त्व पोटेशियम ( K ) आता है | इन दोनों तत्त्वों के गुण समान होते हैं | इसी प्रकार , बेरिलियम ( Be ) से गिनती प्रारंभ करने पर आठवां तत्त्व मैग्नीशियम ( Mg ) आता है , जिसके गुण बेरिलियम के गुणों के समान होते हैं | 
  5. मेंडलीव का आवर्त नियम ( Mendeleev ‘s Periodic law ) – न्यूलैंड्स के अष्टक नियम से प्रेरित होकर 1869 में रूसी रसायनज्ञ दमित्री मेंडलीव ( Dmitri Mendeleev ) ने तत्त्वों के भौतिक और रासायनिक गुणों का गहन अध्यन करके तत्त्वों के वर्गीकरण की एक नई प्रणाली विक्सित की | तत्त्वों को उनके बढ़ाते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाकर उनहोंने देखा की                                                                                                                                                                                                                   ( a ) तत्त्वों के गुणों में क्रमिक परिवर्तन होता है |                                                                                                                                                                     ( b ) तत्त्वों की एक निश्चित संख्या के बाद लगभग समान गुणवाले तत्त्व पाए जाते हैं | आपने निष्कर्षो के आधार पर मेंडलीव ने एक नियम का प्रतिपादन किया जिसे मेंडलीव का आवर्त  नियम कहते हैं | इस नियम के अनुसार , तत्त्वों के भौतिक व  रासायनिक गुण उनके परमाणु द्रव्यमानों के आवर्तफलन  होते हैं | दुसरे शब्दों में , यदि तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाया  जाए तो एक निश्चित संख्या के बाद समान गुणवाले तत्त्व पाए जाते हैं |     

       3. मेंडलीव का आवर्त नियम क्या है ? इसके आधार पर बनायी गयी आवर्त सारणी की रूपरेखा क्या है ? 

उत्तर – मेंडलीव का आवर्त नियम – तत्त्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके  परमाणु द्रव्यमानों ( या भारों ) के आवर्तफलन होते हैं | दुसरे शव्दों में , यदि तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाया जाए तो एक निश्चित संख्या के बाद समान गुणवाले तत्त्व पाए जाते हैं |                                                                                                                                                                           मेंडलीव के समय कुल 63 तत्त्व ज्ञात थे | मेंडलीव ( 1871 ) ने अपने आवर्त नियम के आलोक में तत्त्वों के एक सारणी का निर्माण किया, जिसे मेंडलीव की आवर्त सारणी कहते हैं | आवर्त सारणी को उदग्र एवं क्षैतिज कतारों द्वारा दो भागों में बाँट गया है | उदग्र  कतारों को वर्ग ( group ) तथा क्षैतिज कतारों का आवर्त ( periods ) कहते हैं | आवर्त सारणी में कुल मिलाकर 9 वर्म एवं 7 आवर्त हैं | एक से लेकर सात तक के वर्ग में सामान्य तत्त्व हैं | आठवें वर्ग में संक्रमण तत्त्व हैं तथा शून्य वर्ग में निष्क्रिय गैसों को रखा गया है | मेंडलीव की आवर्त सारणी में केवल 8 ही वर्ग थे , क्योंकि उस समय तक निष्क्रिय गैसों का अविष्कार नहीं हुआ था | 

     4. मेंडलीव की आवर्त सारणी से क्या लाभ है ?

उत्तर – मेंडलीव की आवर्त सारणी का मुख्य लाभ /उपयोगिताएँ निम्नलिखित हैं – 

  1. नियमित अध्ययन में सुविधा -इस सारणी से तत्त्वों और उनके गुणों का अध्ययन करना काफी आसान हो गया है | किसी वर्ग के किसी विशिष्ट तत्व तथा उसके यौगिक के गुणों की जानकारी हो जाने पर इस वर्ग के अन्य तत्वों और उनके यौगिकों के गुणों का काफी हद तक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है | उदाहरण के लिए ,वर्ग IA के सोडियम(Na)का अध्ययन कर लेने से ही उस वर्ग के अन्य तत्वों के गुणों की जानकारी हो जाती है |इसी प्रकार , वर्ग VIIA में क्लोरीन ( CI ) का लेने से उस वर्गके अन्य तत्वों के गुणों का अंदाजा लगाया जा सकता है |
  2. नए तत्त्वों का पूर्वानुमान – मेंडलीव ने अपनी सारणी का निर्माण करते समय कुछ अज्ञात तत्त्वों के लिए सारणी में कुछ रिक्त स्थान छोड़ दिए थे | किन्तु उन्होंने यह स्पष्ट रूप से कहा कि आगे चलकर इन तत्त्वों का अविष्कार होने पर इन्हें इन रिक्त स्थानों में रखा जायेगा | साथ ही , उन्होंने उन तत्त्वों और उनके यौगिकों के संभावित मुख्य गुणों की भविष्यवाणी भी कर दी |                                                                                                                                                                                                                   प्रारंभ में तत्त्वों के नाम एका-बोरॉन ( Eka-boron ) , एका-सिलिकन ( Eka-Silicon ) और एका-ऐलुमिनियम ( Eka-Aluminium ) रखे गए | बाद में ये तत्त्व वास्तव में आविष्कृत हुए और इनके नाम क्रमशः स्कैन्डियम ( Sc ), जर्मेनियम ( Ge ) और गैलियम ( Ga ) पड़े | इन तत्त्वों को मेंडलीव द्वारा रिक्त छोड़े गए स्थानों में ही रखा गया |                                                                                                                                                                                                                             उपरोक्त बातों से यह स्पष्ट है की गैलियम ( Ga ) और जर्मेनियम ( Ge ) के गुण मेंडलीव द्वारा पूर्वानुमान गुणों के अनुरूप ही पाये गए हैं | यह मेंडलीव की दूरदर्शिता का परिचायक है | 
  3. परमाणु द्रव्यमान में सुधार – मेंडलीव के समय कुछ तत्त्वों के परमाणु द्रव्यमान गलत निकाले गए थे | किन्तु मेंडलीव ने अपनी आवर्त सारणी में उनके अन्य गुणों को ध्यान में रखकर उन्हें उचित स्थान पर रखा | बाद में इसी आवर्त सारणी के आधार पर उन तत्त्वों के ठीक-ठीक परमाणु ज्ञात किए गए |                                                                                    उदाहरण के लिए , बेरिलियम ( Be ), इंडियम ( In ) और गोल्ड ( Au ) | 
  4. तत्त्वों की संयोजकता – आवर्त सारणी के किसी वर्ग विशेष के सभी तत्त्वों की संयोजकता एक ही होती है, और किसी आवर्त में यह क्रमिक रूप से परिवर्तित होती है | a.हाइड्रोजन के सापेक्ष संयोजकता – आवर्त सारणी के वर्गों में तत्त्वों की संयोजकता हाइड्रोजन के सापेक्ष 1 से 4 तक बढ़ती है | पुन: क्रमशः घटते हुए 4 से 1 हो जाती है | विभिन्न वर्गों के तत्त्वों के हाइड्राइड से इस बात की पुष्टि हो जाती है |                                                                                                                                        b. ऑक्सीजन के सापेक्ष संयोजकता – आवर्त सारणी के जिस वर्ग में तत्त्व होता है , ऑक्सीजन के सापेक्ष उसकी अधिकतम संयोजकता वर्ग की संख्या के बराबर होती है | आवर्त 3 के तत्त्वों की उच्चतम अवस्था वाले ऑक्साइडों से इस बात की पुष्टि हो जाती है | 
  5. अनुसंधान कार्य में सहायता – आवर्त सारणी में किसी तत्त्व – विशेष का स्थान देखकर यह निश्चयात्मक रूप से हम यह कह सकते हैं कि इस तत्त्व का अन्य तत्त्वों के साथ किस प्रकार का संबंध होगा | अतः रसायनशास्त्र के क्षेत्र में अनुसंधान करनेवाले वैज्ञनिकों के लिए यह सारणी अत्यंत उपयोगिता प्रमाणित हुई है |                                         

 

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