- कार्बन का परमाणु संख्या 6 होता है तथा परमाणु द्रव्यमान 12 u होता है | यह आवर्त यह आवर्त सारणी के छठे नंबर का तत्व यह है | यह मानव शरीर में 70% पाया जाता है | कार्बन पृथ्वी पर 0.02% पाया जाता है तथा वायु में कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में कार्बन 0.03% पाया जाता है | मुक्त अवस्था में कार्बन हीरे , ग्रैफाइट तथा कोयला के रूप में पाया जाता है | संयोजित अवस्था में कार्बन मुख्य रूप से कार्बोंनेट खनिजों में पाया जाता है | कार्बन सभी जीवों के निर्माण में आवश्यक होता है | कार्बनिक यौगिक का हमारे दैनिक जीवन में अत्यधिक महत्व है हमारे भोजन, कपड़ा, लकड़ी, खिलौना, कागज आदि कार्बनिक यौगिकों का बना है |
जीवन शक्ति का सिद्धांत
बर्जीलीयस ने 1815 ई. में जीवन शक्ति का सिद्धांत दिया जिसके अनुसार सजीव पदार्थों में कार्बनिक यौगिको का निर्माण एक अदृश्य जीवन शक्ति द्वारा होता है लेकिन इस धारणा का अंत जब हुआ तब वोहलर ने प्रयोगशाला में अमोनयिम सयानेट को गर्म करके यूरिया का निर्माण किया |
अब तक प्रयोगशाला में लगभग 1 करोड़ 80 लाख कार्बनिक यौगिकों का निर्माण हो चुका है |
रासायनिक बंधन ( Chemical Bonding ) – जो दो परमाणु अपनी बाह्यतम कक्षा में इलेक्ट्रोनों का आपस में साझा करके संयोग करते हैं तब उनके निर्मित बंधन को सहसंयोजक बंधन कहते हैं |
कार्बन के अपरूप ( Allotropes of Carbon )
कार्बन के तीन अपररूप होते हैं -हीरा , ग्रैफाइट और फुलरीन |
ये तीनों कार्बन के बने होते हैं लेकिन उनके भौतिक गुणों में अंतर होता है | ग्रैफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु तीन अन्य कार्बन परमाणु से एक तल से सहसंयोजक बंधन द्वारा जुड़कर षटकोणीय वलय बनाता है जो तीन परतों में व्यस्थित होती है | सहसंयोजक बंधन में कार्बन के तीन इलेक्ट्रॉन जुड़े होते है लेकिन चौथा इलेक्ट्रॉन मुक्त रहता है जिसके कारण ग्रेफाइट ऊष्मा तथा विधुत का सुचालक होता है | कार्बन परमाणुओं की वह परते अनरूप दो परतों के साथ दुर्बल वान-दर-वाल्स आकर्षण बलों द्वारा जुडी होती है तथा ये एक दूसरे के ऊपर फिसलती है जिसके कारण ग्रैफाइट मुलायम तथा चिकना होता है |
हीरे में कार्बन परमाणु त्रिविमीय संरचना के रूप में सजे होते हैं जिनमें प्रत्येक कार्बन चार अन्य कार्बन परमाणुओं से संयोजक बंधन द्वारा जुड़े होते हैं | यह सहसंयोजक बंधन हीरे की संरचना को काफी मजबूती प्रदान करता है जिससे हीरा कठोर हो जाता है |
फुलेरीन कार्बन का शुद्धतम अपरूप है | इसमें 60 कार्बन परमाणु सहसंयोजक बंधन द्वारा जुड़कर फूटबाॅल जैसी आकृति बनाते है| जिसमें प्रत्येक कार्बन अन्य तीन कार्बन परमाणुओं से जुड़ा होता है, इसे बकमिस्टरफुलेरीन कहते हैं |
कार्बनिक यौगिकों के सूत्र
कार्बनिक यौगिको के सूत्र तीन प्रकार से व्यक्त किए जाते हैं –
- लूइस इलेक्ट्रॉन-बिंदु संरचना – यह संरचना प्रत्येक परमाणु से जुड़े परमाणुओं की तथा संयोजन इलेक्ट्रॉन की व्यस्था को दर्शाता है |
- संचरना सूत्र – संचरना सूत्र में दो परमाणुओं के बीच के बंधन इलेक्ट्रॉन को एक रेखा ( – ) दर्शाया जाता है , जिसे एकल बंधन कहते हैं |
- त्रिविम सूत्र – त्रिविम सूत्र में सहसंयोजक बंधन को अलग-अलग रूप में दिखाया जाता है | ठोस रेखा (—) कागज की सतह पर, डाटेड रेखाएँ (….) कागज की सतह के पीछे तथा वेज रेखा () कागज की सतह के ऊपर दर्शाया जाता है |
कार्बनिक यौगिकों का वर्गीकरण – कार्बनिक यौगिकों की कुल संख्या अनगिनत होने के कारण इनकों कई वर्गों में विभाजित किया जाता है | इनमें सबसे साधारण कार्बनिक यौगिक हाइड्रोकार्बन के होते हैं | ये कार्बन तथा हाइड्रोजन के संयोग से बनाते हैं |
क्रियाशील मूलक – किसी कार्बनिक यौगिक में उपस्थित वह समूह जिस पर यौगिक का रासायनिक गुण निर्भर करता है, उस यौगिक का क्रियाशील समूह कहलाता है |
समजातीय श्रेणी ( Homologous series ) – कार्बनिक यौगिकों का वह समूह जिसमे प्रत्येक में – CH2 – का अन्तर हो समजातीय श्रेणी कहलाते है |
क्रियाशील मूलक और उनके नाम
कार्बनिक यौगिकों का नामकरण
कार्बनिक यौगिकों के नामकरण की मुख्यत: दो विधियाँ हैं –
- साधारण प्रणाली – प्रारंभ में कार्बनिक यौगिकों के नाम उनकी प्राप्ति के स्त्रोंत के आधार पर रखे गए | जैसे – फॉर्मिक अम्ल ( HCOOH ) सर्व प्रथम लाल चिट्टी से प्राप्त किया गया था | लैटिन में लाल चिट्टी को फौर्मिकस कहते हैं |
- IUPAC प्रणाली ( International union of pure and applied chemistry )
संतृप्त हाइड्रोकार्बन – संतृप्त हाइड्रोकार्बन में कार्बन-कार्बन के बीच एकल बंध होता है |
(a) ऐल्केन – IUPAC प्रणाली में सभी कार्बनिक यौगिकों को हाइड्रोकर्बनों का व्युत्पन्न माना जाता है तथा कार्बनिक यौगिकों के नाम उनके संगत के हाइड्रोजन के नाम पर ही आधारित होती है | ऐल्केन का सामान्य सूत्र ( CnH2n+2 ) होता है | इसके नामकरण में प्रथम के चार सदस्यों को साधारण में उनमें उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या को ग्रीक संख्याओं के नाम के अंत में ( एन ) अनुलग्न जाता है |
ग्रीक संख्या | |
एका | 1 |
डाइ | 2 |
टाइ | 3 |
टेट्रा | 4 |
पेंटा | 5 |
हेक्सा | 6 |
हेप्टा | 7 |
ऑक्टा | 8 |
नोन् | 9 |
डेका | 10 |
ऐल्केन ( Cn H2n + 2 )
प्रथम दस खीचे श्रृंखला वाले संतृप्त हाइड्रोकार्बन
नाम | सूत्र | संरचना सूत्र |
मेथेन | CH4 | |
ऐथेन | C2 H6 | |
प्रोपेन | C3 H8 | |
ब्यूटेन | C4 H10 | |
पेंटेन | C5 H12 | |
हेक्सेन | C6 H14 | |
हेप्टेन | C7 H16 | |
ऑक्टेन | C8 H18 | |
नोनेन | C9 H20 | |
डेकेन | C10 H22 |
ऐल्किल समूह – ऐल्किल समूह (R) का सामान्य सूत्र Cn H2n + 1 होता है | ऐल्किल समूह नामकरण में इनके संगत के ऐल्केन के नाम ले ‘एन’ हटाकर इल अनुलग्न जोड़ दिया जाता है |
ऐल्क + ऐन् + इल → ऐल्किल
ऐल्किल ( Cn H2n + 1 )
नाम | सूत्र | संरचना सूत्र |
मेथिल | CH3 | |
एथिल | C2 H5 | |
प्रोपिल | C3 H7 |
किसी संरचना में कार्बन श्रृंखला में जुड़े ऐल्किल समूहों के आधार पर कार्बनिक यौगिकों के नाम बदलकर हैं |
ऐल्किन या ओलिफिन – ऐल्किन में कार्बन द्विबंध होता है | IUPAC प्रणाली के अनुसार नामकरण में इसके संगत ऐल्केन के नाम से ‘ एन’ हटाकर उसकी जगह पर ‘ईन’ जोड़ दिया जाता है | ऐल्किन का सामान्य सूत्र Cn H2n होता है |
ऐल्किन ( Cn H2n )
IUPAC नाम | सूत्र | संरचना सूत्र |
एथीन | C2 H4 | |
प्रोपीन | C3 H6 |
ऐलकाईन या ऐसीटिलीन – ऐल्काइन में कार्बन-कार्बन है त्रिबंध होता है | IUPAC प्रणाली के अनुसार नामकरण में इनके संगत ऐल्केन के नाम से (एन) हटाकर उसकी जगह पर (आइन) अनुलग्न जोड़ दिया जाता है | ऐल्काइन का सामान्य सूत्र Cn H2n – 2 होता है |
ऐल्काइन ( Cn H2n – 2 )
साधारण नाम | सूत्र | संरचना सूत्र | IUPAC नाम |
ऐसीटिलीन | C2 H2 | H-C ≡ C-H | एथाइन |
मेथिल ऐसीटिलीन | C3 H4 | प्रोपाइन |
सूत्र | संरचना | साधारण नाम | IUPAC नाम |
CH3 OH | मेथिल ऐल्कोहॉल | मेथेनॉल | |
C2 H5 OH | एथिल ऐल्कोहॉल | एथेनॉल | |
C3 H7 OH | प्रोपिल ऐल्कोहॉल | प्रोपेनॉल |
सूत्र | संरचना | साधारण नाम |
CH3 OC2 H5 | एथिल – मेथिल ईथर | |
CH3 OCH3 | डाईमेथिल ईथर |
IUPAC प्रणाली में ईथर को ऐल्कॉक्सीऐल्केन कहते हैं |
सूत्र | संरचना | IUPAC नाम |
CH3 OC2 H5 | मेथाॅक्सीएथेन | |
CH3 OCH3 | एथाॅक्सीएथेन |
ऐल्डिहाइड – ऐल्डिहाइड का सामान्य सूत्र C2n H2n + 2 CHO होता है | IUPAC प्रणाली के अनुसार ऐल्डिहाइड के नामकरण में संगत ऐस्केन के नाम में (अल) अनुलग्न जोड़ दिया जाता है |
सूत्र | संरचना | सधारण नाम | IUPAC नाम |
H – CHO | फॉमैल्डिहाइड | मेथेनल | |
CH3 CHO | ऐसीटैल्डिहाइड | एथेनल |
कीटोन – कीटोन का सामान्य सूत्र ( Cn H2n + 1 )2 CO या Cn H2n + 1 CO C2n H2n + 1 होता है | कीटोन का साधारण नाम कार्बोंनील समूह से जुड़े ऐल्किल समूहों के नाम में कीटोन शब्द जोड़कर दिए जाते हैं |
सूत्र | संरचना | साधारण नाम |
CH3 COCH3 | डाइमेथिल कीटोन | |
CH3 COC2 H5 | एथिलमेथिल कीटोन |
IUPAC प्रणाली के अनुसार कीटोन का नामकरण में संगत के ऐल्केन के नाम में (ओन) अनुलग्न जोड़ा जाता है |
ऐल्केन + ओन → ऐल्केनोन
सूत्र | संरचना | IUPAC नाम |
CH3COCH3 | प्रोपेनोन | |
CH3COC2H5 | ब्यूटेनान |
कार्बोक्सिलिक अम्ल – कार्बोक्सिलिक अम्ल का सामान्य सूत्र CnH2n+1 COOH होता है | IUPAC प्रणाली के अनुसार कार्बोक्सिलिक अम्ल के नामकरण में संगत ऐल्केन के नाम में ओइक अम्ल अनुलग्न जोड़ दिया जाता है |
ऐल्केन + ओइक अम्ल → ऐल्केनोइक अम्ल
सूत्र | संरचना | IUPAC नाम | साधारण नाम |
HCOOH | मेथेनोइक अम्ल | फॉर्मिक अम्ल | |
CH3COOH | एथेनोइक अम्ल | ऐसिटिक अम्ल |
समावयवी ( Isomer ) – वे कार्बनिक यौगिक जिसके अनुसूत्र समान होते हैं लेकिन भौतिक और रासायनिक गुण भिन्न–भिन्न होते हैं , समावयवी कहलाते हैं और ऐसी घटना समवायवता कहलाती है |
सूत्र | संरचना | नाम |
C2H6O | CH3 — CH2 — OH | एथिल ऐल्कोहॉल |
CH3 — O — CH3 | डाइमेथिल ईथर |
समावयवता के प्रकार :- समावयवता के दो प्रकार होते हैं |
- संरचनात्मक समावयवता
- त्रिविम समावयवता
1. संरचनात्मक समावयवता – कार्बनिक यौगिकों के अणु में उपस्थित परमाणुओं एवं समूहों के विभिन्न प्रकार से जुड़े होने के कारण जो समावयवता होती है, उसे संरचनात्मक समावयवता कहते हैं |
संरचनात्मक समावयवता के तीन प्रकार होते है :-
(a) श्रृंखला समावयवता – कार्बन की श्रृंखला में भिन्नता के कारण उत्पन्न होने वाली समावयवता को श्रृंखला समावयवता कहते हैं |
C5H12 | CH3 — CH2 — CH2 — CH2 — CH3 | n – हेक्टेन |
2 – मेथिलपेटेन |
(b) स्थान समावयवता -क्रियाशील समूह के स्थान में भिन्नता के कारण उत्पन्न होनेवाली समावयवता को स्थान समावरावता को कहते हैं |
C3H8O | CH3 — CH2 — CH2 — OH | प्रोपेनॉल |
2 – प्रोपेनॉल |
(c) क्रियाशील समावयवता – जब दो या दो से अधिक यौगिकों के अनुसूत्र एक ही हो किंतु उनमें उपस्थित क्रियाशील समूह भिन्न-भिन्न हो | तो इस घटना को क्रियाशील समावयवता कहते हैं |
C2H6O | CH3 — CH2 — OH | एथेनॉल |
CH3 — O — CH3 | डाइमेथिल ईथर |
2. त्रिविम समावयवता – त्रिविम समावयवियों का संरचना सूत्र समान होता है किंतु परमाणुओं एवं समूहों की स्थानिक व्यवस्था या विन्यास भिन्न होते हैं | त्रिविम समावयवता के दो प्रकार होते हैं :-
(a) ज्यामितीय समावयवता – यह समावयवता वैसे ऐल्किनों या उनके व्युत्पन्नों द्वारा प्रदर्शित होती है जिनके द्विबंध से जुड़े प्रत्येक कार्बन के साथ दो भिन्न-भिन्न समूह जुड़े हों |
C4H8 | सिस-2-ब्यूटेन | |
ट्रांस-2-ब्यूटेन |
(b) प्रकाशिक समावयवता – एक कार्बन परमाणु से चार भिन्न परमाणु या समूह जुड़े हो तो ऐसे कार्बनिक यौगिक के दो प्रकाशिक समावयवी होगें |
चार विभिन्न समूहों द्वारा जुड़े कार्बन को असममित कार्बन परमाणु कहते हैं |
कार्बनिक यौगिक के बनाने के विधि एवं गुण
कार्बनिक यौगिकों के स्त्रोत मुख्य रूप से पेट्रोलियम (50%), कोयला (24%) एवं पेड़-पौधे (26%) होते हैं | पेट्रोलियम से पेट्रॉल, कार्बनिक द्योतक तथा अन्य उपयोगी कार्बनिक रसायन मुख्य रूप से प्राप्त होते हैं कोयला के कालतार (अलकरता), कोक तथा अन्य उपयोगी कार्बनिक यौगिक प्राप्त होते हैं | पेड़-पौधों से प्राप्त कार्बनिक यौगिकों में चीनी, स्टार्च, ऐल्कोहॉल, रेजिन तथा रबर मुख्य रूप है |
नोट – कार्बनिक यौगिकों के रासायनिक गुण उनेक क्रियाशील मूलक पर निर्भर करते हैं |
हाइड्रोकार्बन ( Hydrocarbon ) – हाइड्रोकार्बन को पेट्रोलियम से तथा हवा की अनुपस्थिति में कायेले को गर्म करके प्राप्त किया जाता है | हाइड्रोकार्बन के कोयले को गर्म करके प्राप्त किया जाता है हाइड्रोकार्बन के भौतिक गुण इनकी श्रृंखला के साथ बदलती है |
दहन ( Combusion ) – दहन वह प्रक्रिया है जिसमे , संतृप्त हाइड्रोकार्बन वायु की उपस्थिति में नीले लौ के साथ जलकर कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनाते हैं |
CH4 + 2O2 → CO2 + 2H2 O + ऊष्मा
2C2 H6 + 7O2 → 4CO2 + 6H2 O + ऊष्मा
LPG – प्रोपेन, ब्यूटेन तथा आइसोब्यूटेन
पेट्रोल – C6 — C2 के संतृप्त हाइड्रोकार्बन
किरोसिन – C11 — C15 के के संतृप्त हाइड्रोकार्बन
डीजल – C15 — C18 के संतृप्त हाइड्रोकार्बन
CNG – 80% CH4
हैलोज़निकारण ( Halogenation ) – विसरित सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में ऐल्केन के सभी हाइड्रोजन परमाणु बारी – बारी से क्लोरीन परमाणु द्वारा प्रतिस्थापित हो जाते है | इस अभिक्रिया को प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं तथा यह पूरी क्रिया हैलोजनीकरण कहलाती है |
एल्कीन ( Alkene ) – ऐल्केनों की तुलना में ऐल्किन अधिक क्रियाशील होते हैं | लेड उतप्रेरक की उपस्थिति में ऐल्किन हाइड्रोजन से अभिक्रिया कर संतृप्त हाइड्रोकार्बन बनाता है | इस अभिक्रिया को हाइड्रोजनीकरण कहते हैं |
ऐल्काइन ( Alkyne )– हाइड्रोजन के साथ ऐल्काइन की अभिक्रिया दो चरणों में होती है | पहले चरण में ऐल्काइन लेड उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजन के साथ जुड़कर ऐल्किन बनाता है जो पुन: एक अणु हाइड्रोजन से जुड़कर संतृप्त हाइड्रोकार्बन बनाता है |
ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बन ( Aromatic hydrocarbon ) – सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में बेंजीन नाइट्रिक अम्ल से अभिक्रिया कर नाइट्रोबेंजीन बनाता है |
- लोहा की उपस्थिति में बेंजीन क्लोरीन से अभिक्रिया कर क्लोरोबेंजीन बनाता है | एल्कोहॉल ( Alcohol ) – ऐल्किन हैलाइड को जलीय सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गर्म करने पर ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है |
व्यापारिक विधि में ऐल्कोहॉल को चीनी या स्टार्च के किण्वन द्वारा प्राप्त किया जाता है |एथेनॉल ईंधन के रूप में
ऐल्कोहॉल (20%) को पेट्रोल (80%) के साथ मिश्रित करके ईंधन के रूप में व्यवहार किया जाता है | अत: शक्ति के उत्पादन के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले ऐल्कोहॉल को पावर ऐल्कोहॉल कहते हैं |
मेथेनॉल का उत्पादक प्रभाव
मेथेनॉल का मानव शरीर पर उन्मादक प्रभाव पड़ता है तथा यह अत्यंत विषैला होता है मेथेनॉल लीवर में ऑक्सीकृत होकर मेथेनॉल में परिणत हो जाता है जो हमारी कोशिकाओं के साथ तेजी से अभिक्रिया कर प्रोटोप्लाज्म को अंडे के ऑमलेट की तरह जमा देता है | मेथेनॉल नेत्र संबंधी शिराओं को प्रभावित कर संधापन उत्पन्न करता है और कभी-कभी व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाती है |
मेथीलीकृत स्पिरिट या विकृतिकृत स्पिरित
एथिल ऐल्कोहॉल का उपयोग पीने के अतिरिक्त अन्य औद्योगिक एवं प्रयोगशाला के कार्यों में भी होता है | उद्योगों एवं प्रयोगशाला के कार्यों में प्रयुक्त होनेवाले ऐल्कोहॉल में कुछ ऐसे वेषैल पदार्थ मिला दिया जाता है जिससे वह पीने के अयोग्क बने हुए एथिल ऐल्कोहॉल को विकृति कृत स्पिरिट कहते हैं | विकृतिकृत ऐल्कोहॉल बनाने के लिए परिशोधित स्पिरिट में मेथिल ऐल्कोहॉल (5 – 10%) जैसा विषैला पदार्थ मिला दिया जाता है | इसके अतिरिक्त कुछ रंगीन पदार्थ मिला दिए जाते हैं जिससे विकृतिकृत ऐल्कोहॉल का रंग नीला हो जाए तथा इसकी पहचान हो सके |
कार्बोक्सिलिक अम्ल ( Carboxylic acid )
प्राइमरी ऐल्कोहॉल के आक्सीकरण से कर्बोंक्सिलिक अम्ल बनाया जाता है |
एथोनोइक अम्ल का साधारण नाम ऐसिटिक अम्ल है 6 – 8% तनु ऐसिटीन अम्ल को सिरका कहते है | जिसका उपयोग आचार बनाने में रक्षक के रूप में होता है |
ठंडा किए जाने पर शुद्ध ऐसिटिक अम्ल जमकर बर्फ -जैसा ठोस क्रिस्टल में परिवर्तित हो जाता है जो 290K (27°C) ताप पर पिघल जाता है |
साबुन और अपमार्जक ( Soap and detergent ) – उच्च श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों (C12 – C20) को वसीय अम्ल कहा जाता है | इन उच्च वासिय अम्लों में पानिटिक अम्ल ( C15H31COOH ) स्टिएटिक अम्ल ( C17H35COOH ) तथा ओलेइक अम्ल ( C17H33COOH ) उल्लेखनीय है |
साबुन बनाने की विधि – साबुनीकरण ( Soapnification )
वनस्पति तेल या वसा को सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन के साथ गर्म करने से साबुन तथा ग्लिसरॉल बनता है जिसे साबुनीकरण कहते हैं |
कठोर जल के साथ साबुन का आचरण
कठोर जल में कैल्सियम और मैग्नीशियम के विलेय सल्फेट क्लोराइड, बाइकार्बोनेट लवण उपस्थित रहते हैं | जब साबुन कठोर जल के संपर्क में आता है तो साबुन में उपस्थित वसा – अम्ल सोडियम लवण कैल्सियम मैग्नीशियम लवणों से अभिक्रिया करता है | जिसके फलस्वरूप वसा अम्ल का अविलेय कैल्सियम या मैग्नीशियम लवण बनता है जो अवक्षेप के रूप में पृथक हो जाता है इन अविलेय लवणों के बनाने में साबुन्न व्यर्थ ही खर्च हो जाता है |
अपमार्जक – अपमार्जक उच्च ऐल्कोहॉल के हाइड्रोजनसल्फेट व्युत्पन्न के सोडियम लवण होते हैं |
अपमार्जक कठोर या मीठे जल में तेजी से घुल जाता है तथा या कठोर जल के साथ अविलेय कैल्सियम अथवा मैग्नीशियम लवण नहीं बनाता है | अत: यह कठोर जल में भी खुल झाग देता है |
वाशिंग पाउडर ( Washing powder )– सर्फ, मैजिक लक्स आदि वाशिंग पावडर में लगभग 15% से 30% अपमार्जक रहता है| पाउडर को शुष्क रखने के लिए उसमें सोडियम सल्फेट और सोडियम सिलिकेट मिला दिए जाते हैं | सोडियम परबोरेट की उपस्थिति में पाउडर में विरंजक गुण आ जाता है यह कपड़ों में सफेदी लाता है |