कोशिका ( Cell ) – Class 9th Biology/Science Notes in Hindi

कोशिका के जीवन की आधारभूत संरचना और क्रियात्मक इकाई माना जाता है | कोशिका जीव द्रव से बनी एक रचना है जिसमें विभिन्न रासायनिक तत्व संयोजन कर यौगिक के रूप में उपस्थित रहते हैं | कोशिका में जीवद्रव्य  प्लाज्मा झिल्ली घिरा रहता है, इसके बिच में केंद्र रहता है | 

कोशिकाओं में विविधता ( Diversity in cells ) – जीवों को कोशिकाओं के रूप में , आकार में और संख्याओं में काफी विभिन्नता रहती है | कोशिकाओं अलग-अलग आकार की होती है | कुछ सूक्ष्म जीव सिर्फ एक कोशिका के बने होते हैं , जिससे एक कोशिकीय कहते हैं  तथा कुछ जीव अनेक कोशिकाओं के बने होते हैं जिन्हें बहुकोशिकाओं कहते हैं | 

             जैसे – लगभग 50 kg के मानव शरीर में 50 x 1015 कोशिकाएँ होती है | 

कोशिका की खोज ( Cell discovery ) – सर्वप्रथम 1665 में रॉबट हुक नामक एक अंग्रेजी वैज्ञानिक में माइक्रोस्कोप का निर्माण किया | हुक ने अपने बनाए माइक्रोस्कोप में कॉर्क ( Cork ) की एक पतलीं  सूक्ष्म भित्तिवाली , मधुमक्खी की छते जैसी कई कोठरियाँ देखी | इन कोठरियों ने रॉबट हुक ने सेल ( Cell ) का नाम दिया | बाद में अनेक वैज्ञानिकों ने अपनी खोज की | 

कोशिकाओं की संरचना ( Structure of cells ) – कोशिका के अध्ययन के सुगमता की दृष्टि से तीन भागों में बाँटा गया है | 

  1. कोशिका झिल्ली ( Plasma membrane )
  2. कोशिका द्रव्य ( Cytoplasma )
  3. केंद्रक  ( Nucleus )

  1. कोशिका झिल्ली ( Plasma membrane ) – प्रत्येक कोशिका के सबसे बाहर चारो ओर एक बहुत पतली, मुलायम और झिल्ली लचीली झिल्ली होती है, जिसे कोशिका झिल्ली कहते हैं | यह एक सिमित झिल्ली का कार्य करती है यह कोशिका को एक निश्चित आकार बनाने में रखने में सहायता करती है तथा यांत्रिक सहायता प्रदान करती है | 

कोशिकभिती ( Cell Wall ) – पादक कोशिकाएँ चारों ओर से एक मोटे और कड़े आवरण द्वारा घिरी होती है, इस आवरण को कोशिका भित्ति कहते हैं, ये मुख्यात सेल्यूलोज की बनी होती है | यह कोशिका का निश्चित रूप देकर सुरक्षा और सहारा प्रदान करती है और कोशिका को सुखने से बचाती है | 

2. कोशिका द्रव्य ( Cytoplasm ) – जीवद्रव्य का वह भाग जो कोशिका भित्ति और केंद्रक के बीच होता है , उसे कोशिका द्रव्य कहते हैं | कोशिका द्रव्य अनेक अकार्बनिक पदार्थों का बना होता है | यह गढ़ा, पारभासी और चिपचिपा पदार्थ है | इनमें अनेक रचना पाई जाती है | 

नोट –  सैल्यूलोज एक जटिल पदार्थ है जो कोशिकाओं का संरचना दृढ़ता प्रदान करता है | 

कोशिका द्रव्य में पाई जाने वाली रचना ( Cytoplasmic structure ) – 

  1. अंत: प्रद्रव्यी जालिका ( Endoplasmic reticulum ) – जंतु एवं पादप कोशिकाएँ के कोशिका द्रव्य में अत्यंत सूक्ष्म , शाखित , झिल्लीदार ,अनियमित नलिकाओं का घना जाल होता है जिसे अंत: प्रद्रव्यी नलिका कहते हैं |

यह दो प्रकार की होती है –

  1. चिकनी अंत: प्रद्रव्यी जालिका ( Smooth Endoplasmic Reticulum or SER ) 
  2. खुरदरी अंत: प्रद्रव्यी जालिका ( Rough endoplasmic reticulum or RER ) – खुरदरी अत: प्रद्रव्यी जालिका के बाहरी झिल्ली के ऊपर छोटे-छोटे कण रहते हैं जिन्हें राइबोसोम कहते हैं | 

अंत: प्रद्रव्यी जालिका के कार्य –

  1. अंत: प्रद्रव्यी जालिका अंत:कोशिकीय परिवहन तंत्र का निर्माण करती है |
  2. SER वसा एवं कोलेस्ट्रोलसंश्लेषण में भाग लेती है |
  3. अंत: प्रद्रव्यी जालिका कोशिकाद्रव्य को यांत्रिक सहायता प्रदान करती है |
  4. अंत: प्रद्रव्यी जालिका कोशिका विभाजन के समय कोशिका प्लेट एवं केन्द्रकझिल्ली के निर्माण में भाग लेती है |
  5. RER प्रोटीनसंश्लेषण में मदद करती है |

राइबोसोम के कार्य – राइबोसोम में प्रोटीनसंश्लेषण होता है |

गाल्जी उपकरण या गाँल्जीकाय ( Golgi apparatus ) – यह अत्यंत सूक्ष्म मुड़ी हुई छड़ जैसी रचना होती है | ये यूकैरियोटिक कोशिका, जीवाणु एवं प्रोकारियुटी कोशिकाएँ में नहीं पाई जाती है | यह कोशिका का स्त्रवण अंगक है | यह कोशिका विभाजन के समय कोशिका प्लेट बनाने में सहायक होती है | 

लाइसोसोम ( Lysosome ) – यह बहुत सूक्ष्म कोशिका अंग है | इसका आकार थैली जैसा होता है | जिनमें एजाइस्म भरे होते हैं | यह कोशिका में प्रवेश करने वाली बड़े जिनमें कणों एवं बाह्य पदार्थों का पाचन करता है और जीवाणु तथा वायरस से रक्षा करता है | 

नोट – लाइसोसोम को आत्महत्या की थैली कहते हैं क्योकि इनमें क्षतिग्रस्त है जाने पर उसे नष्ट कर देते हैं | 

माइटोकॉण्ड्रिया ( Mitochondria ) – माइटोकॉण्ड्रिया कोशिका द्रव्य में पाई जाने वाली बहुत महत्वपूर्ण रचना है जो कोशिका द्रव्य में बिखरी हुई होती है | यह अत्यंत सूक्ष्म धागेनुमा दानेदार या गोलाकार दिखाई देते हैं | ये जंतु कोशिकाएँ में अनेक पाई जाती है | यह कोशिकीय श्वसन के एंजाइम्स के चलते भोजन का सम्पूर्ण ऑक्सीकरण करता है | जिसे ऊर्जा मुक्त होता है | यह ऊर्जा ATP ( Adenosine triphosphate ) के रूप में मौजूद रहती है |

लवक ( Plastid ) – यह पादप कोशिका में पाई जाती है | लवक कोशिका द्रव्य में चारों ओर बिखड़ी रहती है | इसका आकार अंडाकार, गोलाकार होता है | 

यह तीन प्रकार की होती है –

  1. अवर्णीलवक ( Lecoplast ) – रंगहीन या श्वेत होती है यह मुख्यत: जड़ की कोशिकाएँ में पाई जाती है और खाद संचय का कार्य करता है | 
  2. वर्णीलवक ( Chromoplast ) – वर्णीलवक रंगहीन होता है यह फूलों और बीजों में रंग प्रदान करता है | 
  3. हरिलवक ( Chlorpoplast ) – ये हरें रंग का लवक है इसके कारण पत्तियाँ हरी होती है ये भोजन संश्लेषण में सहायक होती है | 

रसधानी ( Vacuoles ) – कोशिका की रसधानियाँ चारों  ओर से एक झिल्ली से घिरा होता है, इस झिल्ली के अंदर ठोस या तरल पदार्थ भरे रहते है , जिसे कोशिका रस कहते हैं | यह जल संतुलन का कार्य करती है तथा ये पादक कोशिकाएँ में कठोरता प्रदान करती है | 

तारककाय ( Controsome ) – यह बेलन जैसी रचना है यह केंद्रक के पास मौजूद रहती है | यह कोशिका विभाजन में सहायता करता है | यह कोशिका का प्रचलन अंगक है | 

माइक्रोट्यूब्यूल्स ( Microtubules ) – ये छोटी-छोटी नलिकाएँ जैसी होती है, जो कोशिका द्रव्य में पाई जाती है | ये कोशिका विभाजन के समय स्पिंडल , सेंट्रिओल , सिलिया के निर्माण में भाग लेती है |

3. केन्द्रक ( Nucleus ) – कोशिकाद्रव्य के बीच एक बड़ी , गोल , गाढ़ी संरचना पायी जाती है जिसे केन्द्रक कहते हैं | सभी जीवित कोशिकाओं में केंद्रक मौजूद रहता है | इसके चारों ओर दोहरे परत की एक झिल्ली रहती है जिसे केन्द्रकझिल्ली या केन्द्रककला कहते है | इसमें अनेक केंद्रकछिद्र रहते हैं | इन छिद्रों के द्वारा केंद्रकद्रव्य एवं कोशिकाद्रव्य के बीच पदार्थों का आदान-प्रदान होता है | 

केन्द्रक की संरचना को अध्ययन के दृष्टि से तीन भागों में बाँटा गया है –

  1. केंद्रकझिल्ली ( Nuclear membrane )
  2. केंद्रकद्रव्य ( Nucleoplasm )
  3. केंद्रिका ( Nucleous ) 

  1. केंद्रकझिल्ली ( Nuclear membrane ) – केंद्रक के चारों और एक दोहरी परत वाली झिल्ली होती है, जिसे केंद्रक झिल्ली कहते हैं | केंद्रक झिल्ली, केंद्रकद्रव्य की निश्चित आकृति रखती है, इस झिल्ली में अनेक केंद्रकछिद्र रहते है, जिसके द्वारा केंद्रकद्रव्य और कोशिकाद्रव्य के बीच पदार्थों का आदान-प्रदान होता है | 
  2. केंद्रकद्रव्य ( Nucleoplasm ) – केंद्रक के अंदर गाढ़ा अर्धतरल द्रव्य भरा रहता है, जिसे केंद्रकद्रव्य कहते हैं | 
  3. केंद्रिका ( Nucleous ) – केंद्रक के अंदर केंद्रकद्रव्य में एक छोटी अण्डाकार रचना होती है जिसे केंद्रिका कहते हैं यह कोशिका विभाजन के समय सहायता करती है तथा RNA का संश्लेषण करती है | 

गुणसूत्र ( Chromoplast ) – कोशिका के केंद्रक में लंबी तथा अत्यधिक कुण्डलित धागे के रूप में एक रचना पाई जाती है , जिसे गुणसूत्र कहते हैं | प्रत्येक गुणसूत्र के तीन भाग होते हैं –

  1. पेलिकल ( Pellicle ) – यह गुणसूत्र का सबसे छोटी बाहरी भाग होता है ये मैट्रिक्स को घेरे होते हैं | 
  2. मैट्रिक्स ( Matrix ) – गुणसूत्र में जालीदार रचना होती है , जिसे मैट्रिक्स कहते हैं | मैट्रिक्स में , दो समान्तर कुण्डलित धाग से समान रचना होती है जिसे अर्द्ध गुणसूत्र कहते हैं | 
  3. क्रोमैटिड्स ( Chromatids ) – गुणसूत्र में एक लम्बी टेढ़ी-मेढ़ी रचना होती है ,जिसे क्रोमैटिड्स कहते हैं | क्रोमैटिड्स में , दो या दो से अधिक महिन कुण्डलित धागे के समान रचना होती है, जिसे क्रोमैनिमैटा कहते हैं |

मानव शारीर में 46 गुणसूत्र रहते हैं, मकई के पौधे में 20 गुणसूत्र रहते हैं, टमाटर में पौधे में 24 गुणसूत्र रहते हैं, आलु के पौधे में 48 गुणसूत्र रहते हैं, मेढ़क में 64 गुणसूत्र रहते हैं | 

प्रोकैरियोटिक कोशिकाएँ ( Prokaryotic cells ) – यह आद्य कोशिका है, इसका आकार छोटा होता है, इन कोशिकाओं में केंद्रक नहीं पाया जाता है | इनमें एक गुणसूत्र पाया जाता है | हरिलवक , माइटोकॉण्ड्रिया , गाँल्जीकाय , अंत: प्रद्रव्यी जालिका नहीं पाये जाते हैं | इनके कोशिकाओं का विभाजन विखंडन या मुकलन द्वारा होता है | 

यूकैरियोटिक कोशिका ( Eukaryotic cell ) – यह विकसित कोशिका है तथा इसका आकार बड़ा होता है | इसमें केंद्रक उपस्थित रहते हैं | इसमें अनेक क्रोमोसोम पाया जाता है यूकैरियोटिक कोशिका में सिर्फ पादक में ही क्लोरोप्लास्ट पाए जाते हैं | इसमें कोशिका का विभाजन माइटोसिस या मियाँसिस द्वारा होता है | 

पदार्थों का परिवहन ( Transportation of materials ) – उपयोगी पदार्थ का उनके मूल स्त्रोतों से शारीर के प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाने तथा अनूपयोगी और हानिकारक पदार्थों को कोशिकाओं से निकाल कर गंतव्य स्थान तक पहुँचाने की प्रक्रिया को कोशिकाओं से पदार्थ का परिवहन कहते हैं | 

विसरण ( Diffusion ) – गैस, द्रव तथा विलेय के अणुओं की अधिक सांद्रता के क्षेत्र से कम सांद्रता के क्षेत्र की ओर होने वाली गति को विसरण कहते हैं | 

परासरण ( Osmosis)– जल या विलायक का अर्द्वपारगम्य या चयनात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा होनेवाले विसरण को परासरण कहते हैं | 

 

 

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