लघु उत्तरीय प्रश्न
- प्रकाशसंश्लेषण क्या है ? इसकी रासायनिक अभिक्रिया के समीकरण सूत्र लिखें |
उत्तर – हरे पौधे सूर्य-प्रकाश तथा क्लोरोफिल की उपस्थिति में सरल अकार्बनिक अणु CO2 तथा जल से जटिल कार्बनिक अणु कार्बोहाइड्रेट ( मूलतः ग्लूकोस ) का निर्माण करते है | इस प्रक्रिया को प्रकाशसंश्लेषण-प्रक्रिया कहते हैं | सूर्य-प्रकाश 6CO2 + 12H2O → C6H12O6 + 6O2 + 6H2O क्लोरोफिल
2. पोषण की पारिभाषा दें |
उत्तर – सजीवों में होनेवाली उपापचयी क्रियाओं के संपादन में खर्च होनेवाली जैव ऊर्जा के उत्पादन हेतु उनके द्वारा पोषक तत्त्वों को ग्रहण कर उनका उपयोग करने की विधि पोषण कहलाती है |
3. जीवों के लिए पोषण क्यों अनिवार्य है ?
उत्तर – जैविक प्रक्रियाओं के संचालन, वृद्धि, टूट-फूट की मरम्मत आदि विभिन्न कार्यो के लिए जीवों में ऊर्जा की आवश्यकता होती है | यह ऊर्जा पोषण-विधि से प्राप्त भोज्य-पदार्थो द्वारा प्राप्त होती है |
4. परजीवी पोषण क्या है ? परजीवी किस प्रकार अन्य जीवों पर अपने पोषण हेतु आश्रित रहता है ?
उत्तर – वे जीव जो अन्य जीवों पर अपने भोजन हेतु आश्रित रहते हैं, परजीवी कहलाते हैं; जैसे – मलेरिया परजीवी जो अपने भोजन के किए मच्छर एवं मनुष्य पर आश्रित रहता है |
5. पित्त क्या है ? मानव के पाचन में इसका क्या महत्त्व है ?
उत्तर – पित्त एक गाढ़ा एवं हरा रंग का द्रव है, जिसका स्त्राव यकृत कोशिकाओं से होता है | पित्त ग्रहणी में आए अम्लीय काइम की अम्लीयता को नष्ट कर उसे क्षारीय बना देता है | पित्त में उपस्थित लवण वसा के विखंडन तथा पायसीकरण में सहायक होता है |
6. भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है ?
उत्तर – लार में उपस्थित एमाइलेज भोज्य अणुओं में विद्यमान स्टार्च के जटिल अणुओं को जलांशन प्रतिक्रिया द्वारा सरल शर्करा अणुओं ( मल्टोस ) में बदल देता है |
7. शाकाहारी जीवों में छोटी आँत मांसाहारी जीवों से लम्बी क्यों होती है ?
उत्तर – क्योंकि शाकाहारी जीवों द्वारा शाक-पात की रूप में लिए गए भोजन में सेल्युलिस की मात्रा आधिक होती है | सेल्युलोस का पाचन मांस की तुलना में जटिल होता है, इसलिए शाकाहारी जीवों की छोटी आँत आधिक लम्बी होती है |
8. हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है ?
उत्तर – हमारे आमाशय के जठर रस में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल भी उपस्थित रहता है जो पेप्सीन नामक एंजाइम के निर्माण में सहायक होता है | पेप्सीन भोजन के प्रोटीन पर कार्य कर उसे पेप्टोन ( peptone ) में बदल देता है | हाइड्रोक्लोरिक अम्ल भोजन के साथ आनेवाले जीवाणुओं को भी नष्ट करने में सहायक होता है |
9. मनुष्य के आहारनाल का एक स्वच्छ एवं नामांकित चित्र बनाएँ |
उत्तर – मनुष्य के आहारनाल का नामांकित चित्र –
10. मृतजीवी पोषण किसे कहतें हैं ?
उत्तर – जब कोई जीव अपना भोजन मृत तथा सड़ी-गली वस्तुओं से प्राप्त करता है – कवकों में इसी प्रकार का पोषण पाया जाता है |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
- अमीबा का भोजन क्या है ? अमीबा के पोषण का वर्णन करें |
उत्तर – अमीबा प्राणीसमपोषी विधि से पोषण करता है | यह एक सर्वाहारी जंतु है | इसका भोजन जल में तैरते हुए जीवाणु, शैवाल, डायटम आदि के सूक्ष्म जीवों के रूप में होता है | इन सूक्ष्म जीवों को निगलने में जो विधि अपनाई जाती है उसे फैगोसाइटॉसिस ( phagocytosis ) कहते हैं यह अपने जीवन को शरीर के किसी भी सतह से कूटापद द्वारा ग्रहण करता है | पोषण विधि के निम्नलिखित चरण हैं |
अंतर्ग्रहण, पाचन, अवशोषण एवं बहि: क्षेपण एवं जब यह किसी भोज्य पदार्थ के संपर्क में आता है तो उसे पकड़ने के लिए कूटापद बनावन् उसकी ओर बढ़ता है तो यह कूटपादों ( pseudopodia ) द्वारा चरों ओर से घेर लेता है जिससे एक प्यालेनुमा रचना बनती है जिसे फुड कप ( Food cup ) कहते हैं | बाद में कूदपाद अपने सिरों पर परस्पर संगलित होकर खाद्य रिक्तिका ( Food vacuole ) का निर्माण करके इसे एण्डोप्लाज्म में डाल देते हैं |
अमीबा में अंतः कोशिकीय पाचन ( Intracellular Digestion ) होता है | भोजन का पाचन खाद्य रिक्तिका ( Food vacoule ) में होता है | भोजन पचाने के लिए ट्रिप्सिन, पेप्सीन, एमइलेज एंजाइम पाये जाते हैं |
खाद्य रिक्तिका में पचा हूआ भोजन एण्डोप्लाज्म में विसरित ( Diffuse ) हो जाता है | बाद में पचा हुआ भोजन शरीर ( cell ) के अंदर जीव द्रव्य ( प्रोटोप्लाज्म ), में बदल जाता है | शरीर में यदि भोजन की अधिक मात्रा पाई जाती है तो यह ग्लाइकोजन, पैरामाइलोन तथा लिपिड्स आदि के रूप में संचित कर ली जाती है |
इसमें अपच पदार्थ को बहार निकालने के लिए विशेष एनस नहीं पाया जाता है | अपच भोजन ( भोजन अविशेष ) शरीर के किसी भी स्थान से बहार निकाल दिया जाता है | इस प्रक्रिया को बहि:क्षेपण ( Egestion ) कहते हैं |
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