परमाणु संरचना – Atomic Structure | Class 9th Science Notes in Hindi

डाल्टन के अनुसार, पदार्थ का सूक्ष्मतम कण परमाणु होता है जिसे खंडित नहीं किया जा सकता | लेकिन उनके प्रयोगों द्वारा प्रमाणित हो चूका है कि परमाणु कई प्रकार के अतिसूक्ष्म कणों के संयोग से बने होते हैं , जिनके इलेक्ट्रॉन, प्रोट्रॉन, और न्यूट्रॉन प्रमुख है | इन तीनों कणों को परमाणु के मौलिक कण ( fundamental particles ) कहते हैं | 

कैथोड किरणें और इलेक्ट्रॉन – काँच की एक नली ( Descharge tube ) में किसी गैस को लेकर अत्यंत कम दाब ( 0.01 mm Hg ) तथा उच्च विभवांतर ( 10, 000 V ) पर विधुत – धारा प्रवाहित करने पर विसर्ग नली के कैथोड से एक प्रकार की किरणें निकलती है जो सीधी रेखा में गमन करते हुए सामने की दीवार पर पड़ती है | इन किरणों का नाम कैथोड किरण रखा गया है |

कैथोड किरणों के गुण – 

  1. ये किरणें कैथोड से निकलकर अतितीव्र वेग से सीधी रेखा में गमन करती है | 
  2. इनके मार्ग में अपारदर्शक वस्तु के रखने पर वस्तु की छाया कैथोड के दूसरी तरफ बनती है | इससे प्रमाणित होती है की ये किरणें सीधी रेखाओं में चलती है |
  3. इन किरणों के मार्ग में हल्का पाद – चक्र ( Paddle wheel ) रखने पर यह अपनी धुरी पर नाचने लगती है |
  4. वैधुत या चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव से ये किरणें विचलित होती है इनके विचलन की दिशा से ज्ञात होता है कि ये ॠण आवेशित है |

              विसर्ग नली में भिन्न – भिन्न गैसों तथा भिन्न – भिन्न धातुओं के कैथोडो का प्रयोग करने पर पता चलता है कि हर हालत में एक ही प्रकार के कण निकलते हैं | अत: ॠण आवेशित ये कण प्रत्येक तत्व के प्रत्येक परमाणु के मौलिक अवयव ( Fundamental Constituents ) है | टॉमसन ( Thomson ) ने इन कणों के आवेश ( e ) और द्रव्यमान ( m ) का अनुपात ( e/m ) प्रयोगों द्वारा ज्ञात किया | इन्होंने विभिन्न विसर्ग नालियों का उपयोग किया, विभिन्न धातुओं के इलेक्ट्रोडो की काम में लाया तथा विसर्ग नलि मे विभिन्न गैसों का प्रयोग किया | हर हालत में e/m का मान ( 1.76 x 108 ) कूलॉम/ ग्राम ही पाया गया | इससे सिद्ध होता है कि ये कण सभी परमाणुओं के मौलिक अवयव है | इन्ही कणों का नाम इलेक्ट्रॉन ( electron ) रखा गया | 

इलेक्ट्रॉन की विशेषताएँ – 

  1. आवेश – इलेक्ट्रॉन ॠण आवेश से युक्त कण है जो प्रत्येक तत्व के परमाणु में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहता है | इलेक्ट्रॉन के आवेश का मान ( 1.60 x 10-19 ) कूलॉम ( C ) होता है |
  2. द्रव्यमान – e/m  और e के मानों ( values ) से इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान ( m ) ज्ञात किया जाता है | 

टॉमसन – प्रयोग से, e/m = 1.76 x 108 C/g

मिलिकन – प्रयोग से, e = 1.60 x 10-19 C   

                                   

                                        = 9.11 x 10-28

                                       = 9.11 x 10-31 kg 

ऐनोड किरणें और प्रोटॉन – यदि विसर्ग नली के कैथोड में बारीक़ छिद्र कर दिया जाए और निम्न दाब ( 0.01 mm ) तथा अधिक विभवांतर ( 10, 000 V ) पर विधुत – धारा प्रवाहित की जाए तो कुछ विशेष प्रकार की किरणें ऐनोड किरण ( anode ray ) कहते हैं | चूँकि ये किरणें धन आवेश ये युक्त होती है, अत: इन्हें धन किरणें ( Positive rays ) भी कहते हैं |

ऐनोड या धन किरणों के गुण – 

  1. ऐनोड किरणें सीधी रेखा में, परंतु कैथोड किरणों की विपरीत दिशा में गमन करती हे | इसके मार्ग में अपारदर्शक वस्तु के रखने पर वस्तु की छाया बनती है | 
  2. ऐनोड किरणों के मार्ग में हल्का पाद-चक्र ( Paddle-wheel ) रखने पर यह अपने धुरी पर नाचने लगता है | 
  3. इन किरणों की प्रकृति विसर्ग नली में प्रयुक्त गैस की प्रकृति पर निर्भर करती है | विभिन्न गैसों के लिए आवेश ( e ) और द्रव्यमान ( m ) का अनुपात भिन्न – भिन्न होता है | विसर्ग नली में हाइड्रोजन गैस का प्रयोग करने पर इस अनुपात e/m का मान अधिकतम होता है | हाइड्रोजन से प्राप्त धन किरणें एक ही प्रकार के धनात्मक कणों की बनी होती है | इन्ही कणों को प्रोटॉन ( Protons ) कहते हैं | 

               H     →      H+ ( प्रोटॉन ) 

प्रोटॉन के गुण 

  1. आवेश -प्रोटॉन एक धन आवेश से युक्त कण है | इसका आवेश इलेक्ट्रॉन के आवेश के बराबर, किंतु विपरीत चिन्ह वाला होता है | इसके आवेश का परिमाप 1.602 x 10-19 C होता है | इस आवेश को इकाई धन आवेश + 1 कहते हैं | 
  2. द्रव्यमान – प्रोटॉन इलेक्ट्रॉन से लगभग 1838 गुणा भारी होता है | प्रोटॉन पर द्रव्यमान H परमाणु के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है | इसका सापेक्ष द्रव्यमान = 1.005757 = 1 amu होता है | इसका निरपेक्ष द्रव्यमान = 1.67 x 10-24 g होता है | 

टॉमसन का परमाणु मॉडल ( Thomson Model of the Atom ) – जे जे टॉमसन ( Sir J J Thomson ) ने 1883 में सर्वप्रथम परमाणु का एक मॉडल प्रस्तुत किया जो एक तरबूज की तरह था | इसके अनुसार परमाणु में धन आवेश तरबूज की तरह था | इसके अनुसार परमाणु में धन आवेश तरबूज के खानेवाले लाल भाग की तरह बिखरा है जबकि इलेक्ट्रॉन धनावेशित गोले में |

सर जे जे टॉमसन के अनुसार, 

  1. परमाणु एकड़ धन आवेशित गोलकार पिंड होता है | जिनमें इलेक्ट्रॉन धॅसे रहते हैं | 
  2. ॠणात्मक और धनात्मक आवेश परिमाण में समान होते हैं | इसलिए परमाणु वैधुतीय रूप से उदासीन होते हैं | 

रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल ( Rutherford model of the Atom ) – रदरफोर्ड ने  इलेक्ट्रॉन परमाणु के भीतर किस प्रकार से व्यवस्थित है यह जानने के लिए 1911 में  एक प्रयोग किया इस प्रयोग के अंतर्गत रेडियोसक्रिय पदार्थ रेडियम द्वारा तीव्र गति से निकले α – कोणों का सोने के पत्तर पर प्रहार कराया गया |

इस प्रयोग से रदरफोर्ड को निम्नलिखित सूचनाएँ मिली –

  1. अधिकांश α- कण अपने मार्ग से बिना विचलित हुए स्वर्ण पतर को पार करके सीधे निकल जाते हैं | 
  2. कुछ α – कण अपने मार्ग से थोड़ा विचलित हो जाते हैं | 
  3. बहुत ही कम α – कण ( 1,00,000 में से एक कण ) टकराकर अपने मार्ग पर पुन: वापस आ जाते हैं | 

इस प्रयोग से रदरफोर्ड ने निम्नांकित निष्कर्ष निकाले –

  1. परमाणु से अधिकतर स्थान रिक्त है | जिसके कारण अधिकतर α- कण उसमें से सीधे निकल जताए हैं | 
  2. धन आवेशित α- कणों का सभी दिशाओं में विचलित होना यह दर्शाता है की परमाणु के मध्य स्थान पर कोई समान आवेश ( धन आवेश ) उपस्थित है | 
  3. चूँकि स्वर्ण – पत्तर से टकराकर वापस लौटनेवाले α- कणों की संख्या बहुत कम होती है, अत: परमाणु के अंदर उपस्थित धन आवेशित वस्तु का आयतन अत्यंत ही कम होता है | 

रदरफोर्ड ने परमाणु का नाभिकीय मॉडल के अनुसार, 

  1. परमाणु का संपूर्ण द्रव्यमान उसके नाभिक में होता है | 
  2. परमाणु के अंदर अधिकांश स्थान रिक्त ( empty ) होते हैं | 
  3. परमाणु में ॠण आवेशित इलेक्ट्रॉनों और धन आवेशित प्रोटॉनों की संख्याएँ समान होने के कारण परमाणु विधुत: उदासीन होता है | 
  4. नाभिक का आयतन परमाणु के आयतन की तुलना में काफी कम होता है | 
  5. इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृतीय पथों पर चक्कर लगाते हैं | इन वृतीय पथों को कक्षाएँ ( ordit ) कहते हैं |

रदरफोर्ड मॉडल के दोष

  1. रदरफोर्ड के अनुसार, इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाया करते हैं, यह सही नहीं लगता, क्योंकि इस प्रकार का परमाणु कभी स्थायी नहीं हो सकता |
  2. रदरफोर्ड मॉडल की कक्षाओं में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या निश्चित नहीं की गई थी | 

न्यूट्रॉन का अविष्कार – रदरफोर्ड ने यह देखा कि हाइड्रोजन को छोड़कर अन्य सभी तत्वों के परमाणु का द्रव्यमान परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों के कुल द्रव्यमान से कम-से-कम दो गुना होता है | इससे रदरफोर्ड ने यह निष्कर्ष निकाला कि परमाणु में अवश्य ही कोई उदासीन ( आवेशहीन ) कण विद्यमान होना चाहिए जिसका द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लगभग बराबर हो |

              1932 में सर जेस चैडविक ( Sir Jemes Chadwick )बेरिलयम धातु पर α – कणों से आघात कराकर इन उदासीन कणों का पता लगाया इन कणों की वैधुत उदासीनता के कारण इनका नाम न्यूट्रॉन ( Nertron ) रखा गया | इनका द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है |      

न्यूट्रॉन के गुण – 

  1. न्यूट्रॉन पर कोई आवेश नहीं करता है, अर्थात् यह एक उदासीन कण है |
  2. न्यूट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है | न्यूट्रॉन , प्रोटॉन के साथ परमाणु के केंद्र-स्थान नाभिक ( Nucleus ) में उपस्थित रहता है | न्यूट्रॉन का द्रव्यमान 1.67 x 10-24 g या 1.008 amu ज्ञात किया गया है | 

बोर का परमाणु मॉडल ( Bohr model of th Atom ) – नील्स बोर ने 1913 में परमाणु की संरचना के संबंध में संशोधित सिद्धांत प्रस्तुत किया जिसे बोर का परमाणु मॉडल कहा जाता है | 

इसके अनुसार – 

  1. परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर कुछ निश्चित ऊर्जा वाले वृताकार कक्षाओं में घूमते हैं | 
  2. जब इलेक्ट्रॉनों किसी निश्चित कक्षा में रहकर नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते है तो उसकी ऊर्जा का ह्रास नहीं होता है | 
  3. इन कक्षाओं को ऊर्जा स्तर या ऊर्जा शेल कहते हैं | 
  4. इलेक्ट्रॉन एक कक्षा से दूसरें कक्षा पर कूद सकता है | जब कोई इलेक्ट्रॉन आंतरिक कक्षा से बाहरी कक्षा में कूदता है तो ऊर्जा का अवशोषण होता है, किंतु जब इलेक्ट्रॉन बाहरी कक्षा से आंतरिक कक्षा में कूदता है तो ऊर्जा का उत्सर्जन होता है | 

विभिन्न कक्षाओं में इलेक्ट्रॉनों का वितरण – विभिन्न कक्षाओं में चक्कर लगनेवाले इलेक्ट्रॉनों का वितरण बोर-व्यूरी योजना के अनुसार होता है |

इसके अनुसार, 

  1. किसी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतर संख्या को सूत्र 2n2 से प्राप्त किया जाता है जहाँ n कक्षा की संख्या है |

                                                                                                    अत: प्रथम ( K ) कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या = 2 x 12 = 2,

द्वितीय ( L ) कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या = 2 x 22 = 8,

तृतीय ( M ) कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या = 2 x 32 = 18 

           2. सबसे बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या 8 हो सकती है | 

          3. जब बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या पूर्ण हो जाती है जब इलेक्ट्रॉन नए कक्षा में प्रवेश करने लगते हैं |

तत्वों की परमाणु संरचना (Atomic Structure of Elements )
                                                                                                           तत्वों की परमाणु संरचना (Atomic Structure of Elements )

परमाणु संख्या ( Atomic Number ) – परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की कुल संख्या को परमाणु संख्या ( Atomic number ) कहते हैं |  परमाणु संख्या को Z द्वारा सूचित किया जाता है | 

इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ( Electronic Configuration )– किसी परमाणु की विभिन्न अक्षाओं में इलेक्ट्रॉन की व्यवस्था को उस परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ( Electronic Configuration ) कहते हैं |

कुछ तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 

कार्बन  2, 4 
ऑक्सीजन  2, 6 
सोडियम  2, 8, 1 
ऐलुमिनियम  2, 8, 3
फॉस्फोरस  2, 8, 5 
क्लोरीन  2, 8, 7 
नाइट्रोजन  2, 5 
फ्लोरीन  2, 7 
मैग्नीशियम  2, 8, 2 
सिलिकन  2, 8, 4 

द्रव्यमान संख्या ( Mass Number ) – परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या और न्यूटॉनों की संख्या के योगफल को उस परमाणु की द्रव्यमान संख्या ( Mass number ) कहते हैं, अर्थात् 

द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या 

                                = परमाणु संख्या ( Z ) + न्यूट्रॉनों की संख्या ( n )

               अर्थात् A = Z + n 

                      या n = A – Z 

न्यूट्रॉन की संख्या = द्रव्यमान संख्या ( A ) – परमाणु संख्या ( Z )

परमाणु की द्रव्यमान संख्या और परमाणु संख्या को निम्नांकित तरीके से व्यक्त किया जाता है |

परमाणु द्रव्यमान ( Atomic mass ) = प्रोटॉन का द्रव्यमान + न्यूट्रॉन का द्रव्यमान + इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 

= ( प्रोटॉनों की संख्या x 1 प्रोटॉन का द्रव्यमान ) + ( न्यूट्रॉनों की संख्या x 1 न्यूट्रॉन का द्रव्यमान ) + ( इलेक्ट्रॉनों की संख्या x 1 इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान ) 

चूँकि प्रोटॉन का द्रव्यमान =1, न्यूट्रॉन का द्रव्यमान = 1 और इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 0 होता है, 

अत: परमाणु द्रव्यमान = ( प्रोटॉनों की संख्या x 1 ) + ( न्यूट्रॉनों की संख्या x 1 ) + ( इलेक्ट्रॉनों की संख्या x 0 ) 

द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या 

अत: परमाणु द्रव्यमान का मान द्रव्यमान संख्या के लगभग बराबर होता है | 

समस्थानिक ( Isotops )- एक ही तत्व के परमाणु जिसकी परमाणु संख्याएँ समान, किंतु द्रव्यमान संख्याएँ भिन्न – भिन्न होती है, समस्थानिक कहलाते हैं |

जैसे –

क्लोरीन के समस्थानिक
                                                  क्लोरीन के समस्थानिक
                                                    हाइड्रोजन के समस्थानिक

समस्थानिक के गुण –

  1. इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है |
  2. किसी तत्व के समस्थानिकों के भौतिक गुण भिन्न – भिन्न होते हैं |

समस्थानिकों के कुछ उपयोग ( Uses of isotopes ) – संस्थानिकों के कुछ उपयोग इम्नालिखित है | 

  1. यूरिनियम के एक समस्थानिक ( U – 235 ) का उपयोग परमाणु भट्टी ( Atomic Reactor ) में ईंधन के रूप में होता है | 
  2. कैंसर के उपचार में कोबाल्ट के समस्थानिक ( Co – 60 ) का उपयोग होता है | 
  3. घेंघा रोग के इलाज में आयोडीन के समस्थानिकों का उपयोग होता है | 

समभारिक ( Isobars ) – वैसे तत्वों को समभारिक कहा जाता है जिनका परमाणु द्रव्यमान समान होता है, किंतु परमाणु संख्याएँ भिन्न-भिन्न होती है |जैसे –

आर्गन , पोटैशियम और कैल्शियम के समभारिक
                                                          आर्गन , पोटैशियम और कैल्शियम के समभारिक

समन्यूट्रॉनिक ( Isotones ) – विभिन्न तत्वों के वे परमाणु जिनमे न्यूट्रॉन की संख्या समान होती है किंतु द्रव्यमान संख्या तथा परमाणु संख्या दोनों ही भिन्न होते हैं, समन्यूट्रॉनिक कहलाते हैं | जैसे –

संयोजकता ( Valency ) -किसी तत्व का परमाणु जितने इलेक्ट्रॉनों का त्याग, ग्रहण या साझा करता है, उतना ही उस तत्व की संयोजकता होती है | 

वैसे तत्व जिनकी बाहरी कक्षा में 1 से लेकर 4 इलेक्ट्रॉन होते हैं ⇒ संयोजकता = बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों  की संख्या

वैसे तत्व जिनके बाहरी कक्षा में5, 6 या 7 इलेक्ट्रॉन होते हैं ⇒  संयोजकता = 8 – बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या |  

 

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