प्रकाश का अपवर्तन | Refraction of Light | Class 10th Physics | Chapter 2

  • प्रकाश का अपवर्तन ( Refraction of light ) – प्रकाश की किरणों के एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में जाने पर दिशा-परिवर्तन की क्रिया को प्रकाश का अपवर्तन कहते है | 
  • प्रकाश की चाल ( Speed of light ) – विभिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल भिन्न-भिन्न होती है | प्रकाश, निर्वात या शून्य ( या मुक्त आकाश ) में सबसे तीव्र गति, लगभग तीन लाख किलोमीटर प्रति सेकण्ड होती है | अन्य माध्यमों की अपेक्षा वायु प्रकाशत: विरल माध्यम है | काॅच की अपेक्षा पानी प्रकाशत: विरल माधयम है वायु की अपेक्षा काँच प्रकाशत: सघन माध्यम है या काँच की अपेक्षा वायु प्रकाशत: विरल माध्यम है |

शून्य में प्रकाश की चाल = 300000 km/h , पानी में प्रकाश की चाल = 225000 km/h , काँच में प्रकाश की चाल = 200000 km/h

नोट -जिस माध्यम का प्रकाशीय धनत्व जितना ही अधिक होता है , उनमें प्रकाश की चाल उतनी ही कम होती है | 

  • प्रकाश के अपवर्तन की व्याख्या – 
  1. प्रकाश की किरण विरल माध्यम ( जैसे -वायु ) से सद्यन माध्यम ( जैसे -काँच ) में जाने पर अभिलंब की ओर मुड़ जाती है | 
  2. प्रकाश की किरण  सद्यन माध्यम ( जैसे -काँच ) से विरल माध्यम ( जैसे -वायु ) में जाने पर अभिलंब से दूर हट जाती है | 
  3. जब कोई प्रकाश की किरण दो माध्यमों को अलग करनेवाली सतह पर लंबवत पड़ती हो, तो वह बिना मुड़े ( अर्थात बिना अपवर्तन के ) सीधी निकल जाती है |

अपवर्तनांक ( Refractive index ) – किसी माध्यम का अपवर्तनांक शून्य में प्रकाश की चाल और उस माध्यम में प्रकाश की चाल के अनुपात को कहते है |

अर्थात, काँच में प्रकाश की चाल शून्य ( या वायु ) में प्रकाश की चाल  अथवा   गुना होती है | 

  • पार्श्विक विस्थापन ( Leteral displacement ) – आपतित किरण और निर्गत किरण के बीच लंबवत दूरी को पार्श्विक विस्थापन कहते है | इसे d से सूचित किया जाता है |
  • आपेक्षिक अपवर्तनांक ( Relative refractive index )  – दो माध्यमों के निरपेक्ष अपवर्तनांकों के अनुपात को आपेक्षित अपवर्तनांक कहा जाता है | 

अपवर्तन के नियम ( Law of Refraction ) – प्रकाश के अपवर्तन के दो नियम होते हैं –

  1. आपतित किरण, आपतन बिंदु पर खीचा गया अभिलम्ब अभिलंब और अपवर्तित किरण तीनों एक ही समतल में होते है | 
  2. किन्ही दो माध्यमों और प्रकाश के किसी विशेष वर्ण के लिए आपतन कोण की ज्या और अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात का एक नियतांक होता है |

प्रकाश के अपवर्तन के दुसरे नियम को स्नेल का नियम भी कहा जाता है | 

∠i = आपतन कोण 

∠r = अपवर्तन कोण 

= एक नियतांक 

= n21

  =

nsin i = n2 sin r ( इसे स्नेल के नियम का सममित रूप कहा जाता है | )

प्रिज्म ( Prism ) – किसी कोण पर झुके दो समतल पृष्ठों के बीच घिरे किसी पारदर्श माध्यम को प्रिज्म कहते है |

  1. अपवर्तक पृष्ठ ( Refracting Surface ) – प्रकाश का आवागमन इसके जिन दो फलकों से होता है, उन्हें अपवर्तक पृष्ठ कहते है | A’B’BA , A’C’CA
  2. अपवर्तक कोर ( Refracting edge )– अपवर्तक पृष्ठ जिस सरल रेखा पर मिलता है , उसे प्रिज्म का अपवर्तक कोर कहते हैं | AA’
  3. प्रिज्म का अपवर्तक कोण या प्रिज्म का कोण ( Angle of prism ) – अपवर्तक पृष्ठों के बीच के कोण को प्रिज्म का कोण कहते है | A
  4. प्रिज्म की मुख्य काट ( Principal section of prism ) – अपवर्तक कोर के लंबवत एक तल द्वारा प्रिज्म की काट को प्रिज्म की मुख्य काट कहते है | ABC

विचलन का कोण ( Angle of deviation )– आपतित किरण तथा निर्गत किरण के बीच के कोण को विचलन का कोण कहते है |यहाँ ∠LDR विचलन का कोण कहेंगे|

प्रिज्म का अपवर्तक कोण अधिक होने पर विचलन कोण भी अधिक होता है | 

  • लेंस ( Lens ) – लेंस, पारदर्शक पदार्थ का वह टुकड़ा है, जो दो निश्चित ज्यामितीय सतहों से घिरा रहता है | 

लेंस के प्रकार  ( Types of lens ) – लेंस दो प्रकार के होते है 

  1. उत्तल लेंस – उत्तल लेंस में किनारे की अपेक्षा मध्य का भाग अधिक मोटा होता है |
  2. अवतल लेंस – अवतल लेंस में मध्य भाग की अपेक्षा किनारे का भाग अधिक मोटा होता है | 
  1. उत्तल लेंस के विभिन्न रूप है  – 

( a ) उभयोत्तल, जिसके दोनों तल उत्तल हों |

( b ) समतालोत्तल, जिसका एक तल समतल और दूसरा उत्तल हों |

( c ) अवतलोत्तल, जिसका एक तल अवतल और दूसरा उत्तल हों |

2. अवतल लेंस के विभिन्न रूप है  – 

( a ) उभयावतल, जिसके दोनों तल अवतल हों |

( b ) समतलावतल, जिसका एक तल समतल और दूसरा अवतल हों |

( c ) उतलावतल, जिसका एक तल उत्तल और दूसरा अवतल हों |

  • वक्रता-केंद्र तथा मुख्य अक्ष ( Centre of curvature and Principle axis ) – 

वक्रता-केंद्र ( Centre of curvature ) – लेंस को घेरनेवाली गोलीय सतह के केंद्र को वक्रता-केंद्र कहते है |

मुख्य अक्ष ( Principal axis ) – किसी लेंस का मुख्य अक्ष उसकी सतहों के वक्रता-केंद्रों को मिलानेवाली रेखा होती है | 

लेंस की वृतीय परिधि के व्यास को उसका द्वारक कहते है | 

उत्तल लेंस – अवतल लेंस –

  • प्रकाश-केंद्र ( Optical center ) – किसी पतले लेंस का प्रकाश-केंद्र उसके मुख्य अक्ष पर वह बिंदु है जिससे होकर जानेवाली किरण लेंस से अपवर्तन के बाद बिना विचलन के निकल जाती है | इसे O से सूचित किया जाता है |
  • फोकस ( Focus ) – लेंस के फोकस मुख्य अक्ष पर वह बिंदु है जहाँ मुख्य अक्ष के समांतर किरणपुंज लेंस से निकलने के बाद मिलती है या मिलती हुई प्रतीत होती है | 
  • फोकस-दूरी ( Focal length ) – लेंस के प्रकाश-केंद्र ( O ) से फोकस के बीच की दूरी लेंस की फोकस दूरी कहलाती है | इसे f से सूचित किया जाता है |

नोट –

  1. उत्तल लेंस का कार्य उससे होकर जानेवाली किरणपुंज को अभिसरित करना है | यही कारण है कि उत्तल लेंस को अभिसारी लेंस भी कहा जाता है | 
  2. अवतल लेंस का कार्य उससे होकर जानेवाली किरणपुंज को अपसारित करना है | यही कारण है कि अवतल लेंस को अपसारी लेंस भी कहा जाता है | 
  • प्रतिबिंब ( Image ) – किसी बिंदु-स्त्रोत से आती प्रकाश की किरणें लेंस से अपवर्तन के बाद जिस बिंदु पर मिलती है या जिस बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है | उसे बिंदु-स्त्रोत का प्रतिबिंब कहते है | 

प्रतिबिंब दो प्रकार के होते है – 

1. वास्तविक प्रतिबिंब

2. आभासी या काल्पनिक प्रतिबिंब 

  1. वास्तविक प्रतिबिंब ( Real Image ) – किसी बिंदु-स्त्रोत से आती किरणें अपवर्तन के बाद जिस बिंदु पर वास्तव में मिलती है, उसे बिंदु-स्त्रोत का वास्तविक प्रतिबिंब कहते है | वास्तविक प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा उल्टा होता है | 
  2. आभासी या काल्पनिक प्रतिबिंब ( Virtual or imaginary image ) – किसी बिंदु-स्त्रोत से आती किरणें अपवर्तन के बाद जिस बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है उसे उस बिंदु-स्त्रोत का आभासी या काल्पनिक प्रतिबिंब कहते है | आभासी प्रतिबिंब वस्तु की अपक्षा हमेशा सीधा होता है | 

नोट – वास्तविक प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है लेकिन आभासी प्रतिबिंब को पर्दे पर नहीं प्राप्त किया जा सकता है | 

  • लेंसों के लिए किरण-आरेखों की बनावट 

उत्तल लेंस के लिए किरण-आरेखों की बनावट

1. जब आपतित किरण प्रधान अक्ष के समांतर हों –

उत्तल  लेंस में प्रधान अक्ष के समांतर आती आपतित किरण लेंस से अपवर्तन के बाद फोकस से गुजरती है | 

2. जब आपतित किरण फोक्स की दिशा में हों –

उत्तल लेंस में फोकस की दिशा में  जाती आपतित किरण लेंस से अपवर्तन के बाद प्रधान अक्ष के समांतर निकलती है | 

3. जब आपतित किरण प्रकाश-केंद्र की दिशा में हो –

उत्तल लेंस में  प्रकाश-केंद्र की दिशा में  जाती आपतित किरण  लेंस से अपवर्तन के बाद उसी दिशा में सीधे निकल जाती है | 

अवतल लेंस के लिए किरण-आरेखों की बनावट

1. जब आपतित किरण प्रधान अक्ष के समांतर हों –

 

अवतल लेंस में प्रधान अक्ष के समांतर आती आपतित किरण लेंस से अपवर्तन के बाद फोकस से निकलती हुई प्रतीत होती है | 

2. जब आपतित किरण फोक्स की दिशा में हों –

अवतल लेंस में फोकस की दिशा में  जाती आपतित किरण लेंस से अपवर्तन के बाद प्रधान अक्ष के समांतर निकलती है | 

3. जब आपतित किरण प्रकाश-केंद्र की दिशा में हो –

अवतल लेंस में  प्रकाश-केंद्र की दिशा में  जाती आपतित किरण  लेंस से अपवर्तन के बाद उसी दिशा में सीधे निकल जाती है | 

उत्तल लेंस में भिन्न-भिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं के प्रतिबिंब  

1. जब वस्तु लेंस तथा फोकस के बीच स्थित हों =

  1. प्रतिबिंब आभासी और सीधा होंगा | 
  2. प्रतिबिंब वस्तु से बड़ा होगा | 
  3. प्रतिबिंब लेंस के उसी और बनेगा जिस ओर वस्तु होगा | 

2. जब वस्तु फोक्स पर स्थित हो –

  1. प्रतिबिंब वास्तविक और उल्टा होगा | 
  2. प्रतिबिंब अनंत पर बनेगा | 
  3. प्रतिबिंब वस्तु से बहुत बड़ा होगा | 

3. जब वस्तु F1 तथा 2F2 के बीच स्थित हों –

  1. प्रतिबिंब वास्तविक और उल्टा होगा | 
  2. प्रतिबिंब 2F2 अनंत और अनंत के बीच बनेगा | 
  3. प्रतिबिंब वस्तु से बहुत बड़ा होगा | 

4. जब वस्तु 2F2 पर पर स्थित हो –

  1. प्रतिबिंब वास्तविक और उल्टा होगा | 
  2. प्रतिबिंब 2F2 पर बनेगा | 
  3. प्रतिबिंब वस्तु के आकार के बराबर होगा | 

5. जब वस्तु 2F1 तथा अनंत के बीच स्थित हो –

  1. प्रतिबिंब वास्तविक और उल्टा होगा | 
  2. प्रतिबिंब F2 और 2F2 के बीच बनेगा | 
  3. प्रतिबिंब वस्तु से छोटा होगा |

6. जब वस्तु अनंत पर स्थित हो –

  1. प्रतिबिंब वास्तविक और उल्टा होगा | 
  2. प्रतिबिंब फोक्स पर बनेगा | 
  3. प्रतिबिंब वस्तु से बहुत छोटा होगा | 

अवतल लेंस से प्रतिबिंब का बनाना 

1. जब वस्तु अनंत तथा लेंस के बीच स्थित हो –

  1. प्रतिबिंब आभासी और सीधा होगा | 
  2. प्रतिबिंब लेंस तथा F2 के बीच बनेगा | 
  3. प्रतिबिंब वस्तु से छोटा होगा | 

2. जब वस्तु अनंत पर स्थित हो –

  1. प्रतिबिंब आभासी और सीधा होगा | 
  2. प्रतिबिंब F2 पर बनेगा | 
  3. प्रतिबिंब वस्तु से बहुत छोटा होगा | 

 >  उत्तल लेंस का चिन्ह परिपाटी – 

वस्तु दूरी ( u ) = – ve

फोकस दूरी ( f ) = + ve 

वस्तु ऊँचाई ( ho) = + ve   

प्रतिबिंब : वास्तविक तथा उल्टा 

प्रतिबिंब दूरी ( v ) = + ve 

प्रतिबिंब ऊँचाई ( hi ) = – ve 

प्रतिबिंब : आभासी तथा सीधा 

प्रतिबिंब दूरी ( v ) = – ve 

प्रतिबिंब ऊँचाई ( hi ) = + ve 

अवतल लेंस का चिह्न  परिपाटी 

वक्रता त्रिज्या ( R ) = – ve

वस्तु दूरी ( u ) = – ve 

फोक्स दूरी ( f ) = – ve 

वस्तु ऊँचाई ( ho) = + ve 

प्रतिबिंब दूरी ( v ) = – ve 

प्रतिबिंब ऊँचाई ( hi ) = + ve 

लेंस-सूत्र  ( Lens Formula )– लेंस के लिए वस्तु दूरी ( u ) , प्रतिबिंब दूरी ( v ) और फोक्स-दूरी ( f ) के बीच के संबंध को एक सूत्र से बताया जाता है, जिस लेंस-सूत्र कहते है | 

                                                        तथा    में

                                                          ( सम्मुख कोण )

                                                          ( प्रत्येक 90° )

                                                          ( कोण-कोण से )

दो समरूप त्रिभुजों के संगत भुजाओं का अनुपात बराबर होता है | 

                                                   

                                                   

                                                   

                                                     और   

                                                       ( सम्मुख कोण )

                                                       ( प्रत्येक 90° )

                                                           ( कोण-कोण से ) 

दो समरूप त्रिभुजों के संगत भुजाओं का अनुपात बराबर होता है | 

                                             

                                             

                                             

                                                —   ( 2 ) 

समीकरण ( 1 ) तथा ( 2 ) से, 

                                             

                                           

                                           

                                           

                                           

                                         

                                           

  • आवर्धन ( Magnification ) – प्रतिबिंब की ऊँचाई और वस्तु की ऊँचाई के अनुपात को आवर्धन कहा जाता है | आवर्धन को m से सूचित किया जाता है |

                                        तथा में

                                         ( सम्मुख कोण )    

                                       ( प्रत्येक 90° )

                                          ( कोण-कोण से )

दो समरूप त्रिभुजों के संगत भुजाओं का अनुपात बराबर होता है | 

                                 

                             

                               

                               

  • लेंस की क्षमता ( Power of Lens ) – किसी लेंस की क्षमता ( P ) उसकी फोकस दूरी ( f ) के व्युत्क्रम से मापी जाती है | 

इसका SI मात्रक m-1 और प्रचलित मात्रक डाइऑप्टर ( D ) होता है | 

                                       

संपर्कित लेंसों की कुल क्षमता उनके अलग-अलग क्षमताओं का योग होता है | 

       P = P1  +  P2 +  P3 +  ………… P

नोट – उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक और अवतल लेंस की क्षमता ॠणात्मक होती है | 

 

  

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