- प्रकाश का अपवर्तन ( Refraction of light ) – प्रकाश की किरणों के एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में जाने पर दिशा-परिवर्तन की क्रिया को प्रकाश का अपवर्तन कहते है |
- प्रकाश की चाल ( Speed of light ) – विभिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल भिन्न-भिन्न होती है | प्रकाश, निर्वात या शून्य ( या मुक्त आकाश ) में सबसे तीव्र गति, लगभग तीन लाख किलोमीटर प्रति सेकण्ड होती है | अन्य माध्यमों की अपेक्षा वायु प्रकाशत: विरल माध्यम है | काॅच की अपेक्षा पानी प्रकाशत: विरल माधयम है वायु की अपेक्षा काँच प्रकाशत: सघन माध्यम है या काँच की अपेक्षा वायु प्रकाशत: विरल माध्यम है |
शून्य में प्रकाश की चाल = 300000 km/h , पानी में प्रकाश की चाल = 225000 km/h , काँच में प्रकाश की चाल = 200000 km/h
नोट -जिस माध्यम का प्रकाशीय धनत्व जितना ही अधिक होता है , उनमें प्रकाश की चाल उतनी ही कम होती है |
- प्रकाश के अपवर्तन की व्याख्या –
- प्रकाश की किरण विरल माध्यम ( जैसे -वायु ) से सद्यन माध्यम ( जैसे -काँच ) में जाने पर अभिलंब की ओर मुड़ जाती है |
- प्रकाश की किरण सद्यन माध्यम ( जैसे -काँच ) से विरल माध्यम ( जैसे -वायु ) में जाने पर अभिलंब से दूर हट जाती है |
- जब कोई प्रकाश की किरण दो माध्यमों को अलग करनेवाली सतह पर लंबवत पड़ती हो, तो वह बिना मुड़े ( अर्थात बिना अपवर्तन के ) सीधी निकल जाती है |
अपवर्तनांक ( Refractive index ) – किसी माध्यम का अपवर्तनांक शून्य में प्रकाश की चाल और उस माध्यम में प्रकाश की चाल के अनुपात को कहते है |
अर्थात, काँच में प्रकाश की चाल शून्य ( या वायु ) में प्रकाश की चाल अथवा गुना होती है |
- पार्श्विक विस्थापन ( Leteral displacement ) – आपतित किरण और निर्गत किरण के बीच लंबवत दूरी को पार्श्विक विस्थापन कहते है | इसे d से सूचित किया जाता है |
- आपेक्षिक अपवर्तनांक ( Relative refractive index ) – दो माध्यमों के निरपेक्ष अपवर्तनांकों के अनुपात को आपेक्षित अपवर्तनांक कहा जाता है |
अपवर्तन के नियम ( Law of Refraction ) – प्रकाश के अपवर्तन के दो नियम होते हैं –
- आपतित किरण, आपतन बिंदु पर खीचा गया अभिलम्ब अभिलंब और अपवर्तित किरण तीनों एक ही समतल में होते है |
- किन्ही दो माध्यमों और प्रकाश के किसी विशेष वर्ण के लिए आपतन कोण की ज्या और अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात का एक नियतांक होता है |
प्रकाश के अपवर्तन के दुसरे नियम को स्नेल का नियम भी कहा जाता है |
∠i = आपतन कोण
∠r = अपवर्तन कोण
= एक नियतांक
n1 sin i = n2 sin r ( इसे स्नेल के नियम का सममित रूप कहा जाता है | )
प्रिज्म ( Prism ) – किसी कोण पर झुके दो समतल पृष्ठों के बीच घिरे किसी पारदर्श माध्यम को प्रिज्म कहते है |
- अपवर्तक पृष्ठ ( Refracting Surface ) – प्रकाश का आवागमन इसके जिन दो फलकों से होता है, उन्हें अपवर्तक पृष्ठ कहते है | A’B’BA , A’C’CA
- अपवर्तक कोर ( Refracting edge )– अपवर्तक पृष्ठ जिस सरल रेखा पर मिलता है , उसे प्रिज्म का अपवर्तक कोर कहते हैं | AA’
- प्रिज्म का अपवर्तक कोण या प्रिज्म का कोण ( Angle of prism ) – अपवर्तक पृष्ठों के बीच के कोण को प्रिज्म का कोण कहते है | A
- प्रिज्म की मुख्य काट ( Principal section of prism ) – अपवर्तक कोर के लंबवत एक तल द्वारा प्रिज्म की काट को प्रिज्म की मुख्य काट कहते है | ABC
विचलन का कोण ( Angle of deviation )– आपतित किरण तथा निर्गत किरण के बीच के कोण को विचलन का कोण कहते है |यहाँ ∠LDR विचलन का कोण कहेंगे|
प्रिज्म का अपवर्तक कोण अधिक होने पर विचलन कोण भी अधिक होता है |
- लेंस ( Lens ) – लेंस, पारदर्शक पदार्थ का वह टुकड़ा है, जो दो निश्चित ज्यामितीय सतहों से घिरा रहता है |
लेंस के प्रकार ( Types of lens ) – लेंस दो प्रकार के होते है
- उत्तल लेंस – उत्तल लेंस में किनारे की अपेक्षा मध्य का भाग अधिक मोटा होता है |
- अवतल लेंस – अवतल लेंस में मध्य भाग की अपेक्षा किनारे का भाग अधिक मोटा होता है |
- उत्तल लेंस के विभिन्न रूप है –
( a ) उभयोत्तल, जिसके दोनों तल उत्तल हों |
( b ) समतालोत्तल, जिसका एक तल समतल और दूसरा उत्तल हों |
( c ) अवतलोत्तल, जिसका एक तल अवतल और दूसरा उत्तल हों |
2. अवतल लेंस के विभिन्न रूप है –
( a ) उभयावतल, जिसके दोनों तल अवतल हों |
( b ) समतलावतल, जिसका एक तल समतल और दूसरा अवतल हों |
( c ) उतलावतल, जिसका एक तल उत्तल और दूसरा अवतल हों |
- वक्रता-केंद्र तथा मुख्य अक्ष ( Centre of curvature and Principle axis ) –
वक्रता-केंद्र ( Centre of curvature ) – लेंस को घेरनेवाली गोलीय सतह के केंद्र को वक्रता-केंद्र कहते है |
मुख्य अक्ष ( Principal axis ) – किसी लेंस का मुख्य अक्ष उसकी सतहों के वक्रता-केंद्रों को मिलानेवाली रेखा होती है |
लेंस की वृतीय परिधि के व्यास को उसका द्वारक कहते है |
उत्तल लेंस –
- प्रकाश-केंद्र ( Optical center ) – किसी पतले लेंस का प्रकाश-केंद्र उसके मुख्य अक्ष पर वह बिंदु है जिससे होकर जानेवाली किरण लेंस से अपवर्तन के बाद बिना विचलन के निकल जाती है | इसे O से सूचित किया जाता है |
- फोकस ( Focus ) – लेंस के फोकस मुख्य अक्ष पर वह बिंदु है जहाँ मुख्य अक्ष के समांतर किरणपुंज लेंस से निकलने के बाद मिलती है या मिलती हुई प्रतीत होती है |
- फोकस-दूरी ( Focal length ) – लेंस के प्रकाश-केंद्र ( O ) से फोकस के बीच की दूरी लेंस की फोकस दूरी कहलाती है | इसे f से सूचित किया जाता है |
नोट –
- उत्तल लेंस का कार्य उससे होकर जानेवाली किरणपुंज को अभिसरित करना है | यही कारण है कि उत्तल लेंस को अभिसारी लेंस भी कहा जाता है |
- अवतल लेंस का कार्य उससे होकर जानेवाली किरणपुंज को अपसारित करना है | यही कारण है कि अवतल लेंस को अपसारी लेंस भी कहा जाता है |
- प्रतिबिंब ( Image ) – किसी बिंदु-स्त्रोत से आती प्रकाश की किरणें लेंस से अपवर्तन के बाद जिस बिंदु पर मिलती है या जिस बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है | उसे बिंदु-स्त्रोत का प्रतिबिंब कहते है |
प्रतिबिंब दो प्रकार के होते है –
1. वास्तविक प्रतिबिंब
2. आभासी या काल्पनिक प्रतिबिंब
- वास्तविक प्रतिबिंब ( Real Image ) – किसी बिंदु-स्त्रोत से आती किरणें अपवर्तन के बाद जिस बिंदु पर वास्तव में मिलती है, उसे बिंदु-स्त्रोत का वास्तविक प्रतिबिंब कहते है | वास्तविक प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा उल्टा होता है |
- आभासी या काल्पनिक प्रतिबिंब ( Virtual or imaginary image ) – किसी बिंदु-स्त्रोत से आती किरणें अपवर्तन के बाद जिस बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है उसे उस बिंदु-स्त्रोत का आभासी या काल्पनिक प्रतिबिंब कहते है | आभासी प्रतिबिंब वस्तु की अपक्षा हमेशा सीधा होता है |
नोट – वास्तविक प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है लेकिन आभासी प्रतिबिंब को पर्दे पर नहीं प्राप्त किया जा सकता है |
- लेंसों के लिए किरण-आरेखों की बनावट
उत्तल लेंस के लिए किरण-आरेखों की बनावट
1. जब आपतित किरण प्रधान अक्ष के समांतर हों –
उत्तल लेंस में प्रधान अक्ष के समांतर आती आपतित किरण लेंस से अपवर्तन के बाद फोकस से गुजरती है |
2. जब आपतित किरण फोक्स की दिशा में हों –
उत्तल लेंस में फोकस की दिशा में जाती आपतित किरण लेंस से अपवर्तन के बाद प्रधान अक्ष के समांतर निकलती है |
3. जब आपतित किरण प्रकाश-केंद्र की दिशा में हो –
उत्तल लेंस में प्रकाश-केंद्र की दिशा में जाती आपतित किरण लेंस से अपवर्तन के बाद उसी दिशा में सीधे निकल जाती है |
अवतल लेंस के लिए किरण-आरेखों की बनावट
1. जब आपतित किरण प्रधान अक्ष के समांतर हों –
अवतल लेंस में प्रधान अक्ष के समांतर आती आपतित किरण लेंस से अपवर्तन के बाद फोकस से निकलती हुई प्रतीत होती है |
2. जब आपतित किरण फोक्स की दिशा में हों –
अवतल लेंस में फोकस की दिशा में जाती आपतित किरण लेंस से अपवर्तन के बाद प्रधान अक्ष के समांतर निकलती है |
3. जब आपतित किरण प्रकाश-केंद्र की दिशा में हो –
अवतल लेंस में प्रकाश-केंद्र की दिशा में जाती आपतित किरण लेंस से अपवर्तन के बाद उसी दिशा में सीधे निकल जाती है |
उत्तल लेंस में भिन्न-भिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं के प्रतिबिंब
1. जब वस्तु लेंस तथा फोकस के बीच स्थित हों =
- प्रतिबिंब आभासी और सीधा होंगा |
- प्रतिबिंब वस्तु से बड़ा होगा |
- प्रतिबिंब लेंस के उसी और बनेगा जिस ओर वस्तु होगा |
2. जब वस्तु फोक्स पर स्थित हो –
- प्रतिबिंब वास्तविक और उल्टा होगा |
- प्रतिबिंब अनंत पर बनेगा |
- प्रतिबिंब वस्तु से बहुत बड़ा होगा |
3. जब वस्तु F1 तथा 2F2 के बीच स्थित हों –
- प्रतिबिंब वास्तविक और उल्टा होगा |
- प्रतिबिंब 2F2 अनंत और अनंत के बीच बनेगा |
- प्रतिबिंब वस्तु से बहुत बड़ा होगा |
4. जब वस्तु 2F2 पर पर स्थित हो –
- प्रतिबिंब वास्तविक और उल्टा होगा |
- प्रतिबिंब 2F2 पर बनेगा |
- प्रतिबिंब वस्तु के आकार के बराबर होगा |
5. जब वस्तु 2F1 तथा अनंत के बीच स्थित हो –
- प्रतिबिंब वास्तविक और उल्टा होगा |
- प्रतिबिंब F2 और 2F2 के बीच बनेगा |
- प्रतिबिंब वस्तु से छोटा होगा |
6. जब वस्तु अनंत पर स्थित हो –
- प्रतिबिंब वास्तविक और उल्टा होगा |
- प्रतिबिंब फोक्स पर बनेगा |
- प्रतिबिंब वस्तु से बहुत छोटा होगा |
अवतल लेंस से प्रतिबिंब का बनाना
1. जब वस्तु अनंत तथा लेंस के बीच स्थित हो –
- प्रतिबिंब आभासी और सीधा होगा |
- प्रतिबिंब लेंस तथा F2 के बीच बनेगा |
- प्रतिबिंब वस्तु से छोटा होगा |
2. जब वस्तु अनंत पर स्थित हो –
- प्रतिबिंब आभासी और सीधा होगा |
- प्रतिबिंब F2 पर बनेगा |
- प्रतिबिंब वस्तु से बहुत छोटा होगा |
> उत्तल लेंस का चिन्ह परिपाटी –
वस्तु दूरी ( u ) = – ve
फोकस दूरी ( f ) = + ve
वस्तु ऊँचाई ( ho) = + ve
प्रतिबिंब : वास्तविक तथा उल्टा
प्रतिबिंब दूरी ( v ) = + ve
प्रतिबिंब ऊँचाई ( hi ) = – ve
प्रतिबिंब : आभासी तथा सीधा
प्रतिबिंब दूरी ( v ) = – ve
प्रतिबिंब ऊँचाई ( hi ) = + ve
अवतल लेंस का चिह्न परिपाटी
वक्रता त्रिज्या ( R ) = – ve
वस्तु दूरी ( u ) = – ve
फोक्स दूरी ( f ) = – ve
वस्तु ऊँचाई ( ho) = + ve
प्रतिबिंब दूरी ( v ) = – ve
प्रतिबिंब ऊँचाई ( hi ) = + ve
लेंस-सूत्र ( Lens Formula )– लेंस के लिए वस्तु दूरी ( u ) , प्रतिबिंब दूरी ( v ) और फोक्स-दूरी ( f ) के बीच के संबंध को एक सूत्र से बताया जाता है, जिस लेंस-सूत्र कहते है |
दो समरूप त्रिभुजों के संगत भुजाओं का अनुपात बराबर होता है |
दो समरूप त्रिभुजों के संगत भुजाओं का अनुपात बराबर होता है |
समीकरण ( 1 ) तथा ( 2 ) से,
- आवर्धन ( Magnification ) – प्रतिबिंब की ऊँचाई और वस्तु की ऊँचाई के अनुपात को आवर्धन कहा जाता है | आवर्धन को m से सूचित किया जाता है |
दो समरूप त्रिभुजों के संगत भुजाओं का अनुपात बराबर होता है |
- लेंस की क्षमता ( Power of Lens ) – किसी लेंस की क्षमता ( P ) उसकी फोकस दूरी ( f ) के व्युत्क्रम से मापी जाती है |
इसका SI मात्रक m-1 और प्रचलित मात्रक डाइऑप्टर ( D ) होता है |
संपर्कित लेंसों की कुल क्षमता उनके अलग-अलग क्षमताओं का योग होता है |
P = P1 + P2 + P3 + ………… Pn
नोट – उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक और अवतल लेंस की क्षमता ॠणात्मक होती है |