प्रकाश का परावर्तन ( Reflection of Light )- class 10th Physics | Chapter 1

  • प्रकाश ( Light ) – प्रकाश वह कारक है जिसकी सहायता से हम वस्तुओं को देखते है | प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है |
  • प्रकाश स्त्रोत ( Light Source ) – जिस वस्तु से प्रकाश निकलता है , उसे प्रकाश स्त्रोत कहते है |
  • प्रदीप्त वस्तुऍ ( Luminous Objects ) – जो वस्तुऍ प्रकाश उत्सर्जित करती है, प्रदीप्त या दीप्तिमान वस्तुऍ कहलाती है | जैसे सूर्य, जलती मोमबती आदि | 
  • अप्रदिप्त वस्तुऍ ( Non-Luminous Objects ) – जो वस्तुऍ प्रकाश उत्सर्जित नहीं करती है, अप्रदिप्त वस्तुऍ कहलाती है | जैसे – टेबुल, कुर्सी आदि | 
  • प्रकीर्णन ( Scattering ) –  प्रकाश जब सूक्ष्मकणों पर पड़ता है तो वे कण उनपर पड़नेवाले प्रकाश की कुछ ऊर्जा का आवशोषित कर फिर उसे चारों ओर विकसित करते है | इस प्रक्रिया को प्रकीर्णन कहा जाता है | 
  • प्रकाश की किरण ( Ray of Light ) – एक सरल रेखा पर चलने वाले प्रकाश को प्रकाश की किरण कहते हैं |
  • प्रकाश का किरणपुंज ( Beam of light ) – प्रकाश की किरणों के समूह को प्रकाश का किरणपुंज कहते है | प्रकाश का किरणपुंज के मुख्यतः तीन प्रकार होते है  – 
  1. अपसारी किरणपुंज ( Diverging beam ) – इस प्रकार के किरणपुंज में प्रकाश की किरणें एक बिंदु-स्त्रोत से निकलकर फैलती चली जाती है |
  2. समांतर किरणपुंज ( Parallel beam ) – इस प्रकार के किरणपुंज में प्रकाश की किरणें एक दूसरें के समांतर होती है |
  3. अभिसारी किरणपुंज ( Converging beam ) – इस प्रकार के किरणपुंज में प्रकाश की किरणें एक बिंदु पर आकर मिलती है या मिलती हुई प्रतीत होती है |
  • पारदर्शी पदार्थ ( Transparent medium ) – वे पदार्थ जिनसे होकर प्रकाश आसानी से पार कर जाता है , पारदर्शी पदार्थ कहलाते है है | जैसे – काँच, पानी आदि | 
  • पारभाषी पदार्थ ( Translucent medium ) – वे पदार्थ जो उनपर पड़नेवाले प्रकाश एक छोटे-से भाग को ही अपने में से होकर जाने देते है, परभाषी पदार्थ कहलाते है | जैसे – घिसा हुआ काँच, तेल लगा कागज आदि | 
  • अपारदर्शी पदार्थ ( Opaque medium ) – वे पदार्थ जो प्रकाश को अपने में से होकर नहीं जाने देते, अपारदर्शी पदार्थ कहलाते है | जैसे – लकड़ी , लोहा आदि | 
  • प्रकाश का परावर्तन ( Reflection of Light ) – प्रकाश के किसी वस्तु से टकराकर लौटने को प्रकाश का परावर्तन कहते है |

किरण आरेख – प्रकाश किरणों का पथ दर्शानेवाले चित्रों को किरण-आरेख कहा जाता है | 

  • परावर्तन के नियम ( Law of Reflection ) – प्रकाश की किरण किसी सतह पर पड़कर जिन नियमों का पालन करते हुए उस सतह से परावर्तन होती है, उन नियमों को परावर्तन के नियम कलते है | इन नियमों को समझने के लिए कुछ पदों की व्याख्या आवश्यक है –
  1. आपतित किरण ( Incident ray ) – किसी सतह पर पड़नेवाली किरण को आपतित किरण कहते है | 
  2. आपतन बिंदु ( Point of incidence ) – जिस बिंदु पर आपतित किरण सतह से टकराती है उस आपतन बिंदु कहते है | 
  3. परावर्तित किरण ( Reflected ray ) – जिस माध्यम से चलकर आपतित किरण सतह पर आती है, उसी माध्यम में लौट गई किरण को परावर्तित किरण कहते है | 
  4. अभिलंब ( Normal ) – किसी समतल सतह के किसी बिंदु पीआरपी खीचे हुए लंब को उस बिंदु अभिलंब कहते है | 
  5. आपतन कोण ( Angle of Incidence ) – आपतित किरण आपतन बिंदु पर खीचे गए अभिलंब हो तो कोण बनाती है, उसे आपतन कोण कहते है | इसे ∠i से सूचित किया जाता है | 
  6. परावर्तन कोण ( Angle of reflection ) – परावर्तित किरण, आपतन बिंदु पर खीचे गए अभिलंब से जो बनाती है, उसे परावर्तन कोण कहते है | इसे ∠r से सूचित किया जाता है |
  • प्रकाश के परावर्तन के निम्नलिखित दो नियम है – 
  1. आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर खीचा गया अभिलंब तीनों एक ही समतल में होते है | 
  2. आपतन कोण, परावर्तन कोण के बराबर होता है | 

                            ∠i  =   ∠r 

  • प्रतिबिंब ( Image ) – किसी बिंदु-स्त्रोत से आती प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद जिस बिंदु पर मिलती है या जिस बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है | उसे उस बिंदु-स्त्रोत का प्रतिबिंब कहते है | 

प्रतिबिंब दो प्रकार के होते है – 

  1. वास्तविक प्रतिबिंब ( Real Image ) – किसी बिंदु-स्त्रोत से आती प्रकाश की किरणे दर्पण से परावर्तन के बाद जिस बिंदु पर वास्तव में मिलाती है, उसे उस बिंदु-स्त्रोत का वास्तविक प्रतिबिंब कहते है |

नोट – वास्तविक प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा हमेशा उलटा होता है | वास्तविक प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है

       2. आभासी या काल्पनिक प्रतिबिंब ( Virtual or Imaginary Image ) – किसी बिंदु-स्त्रोत से आती प्रकाश की किरणे परावर्तन के बाद जिस बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है | उसे उस बिंदु-स्त्रोत का आभासी प्रतिबिंब कहते है |

नोट – आभासी प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा हमेशा सीधा होता है | लेकिन आभासी प्रतिबिंब को पर्दे पर नहीं प्राप्त किया जा सकता है | 

समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब की विशेषताऍ – 

  1. प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनता है | 
  2. प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा सीधा बनता है | 
  3. प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकर के बराबर होता है | 
  4. प्रतिबिंब पार्श्विक रूप से उलटा होता है | 
  5. प्रतिबिंब अभासी होता है | 
  6. प्रतिबिंब दर्पण से उतना ही पीछे बनता है जितना वस्तु दर्पण से आगे रहता है |
    समतल दर्पण में प्रतिबिंब का बनना
    समतल दर्पण में प्रतिबिंब का बनना
    गोलीय दर्पण ( Spherical mirror ) – गोलीय दर्पण उस दर्पण को कहते है जिसकी परावर्तक सतह किसी खोखले गोले का एक भाग होता है |

गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते है –

  1. अवतल दर्पण ( Concave Mirror ) – खोखले गोले के एक टुकड़े की बाहरी सतह को रजतित करने से अवतल दर्पण बनता है |
  2. उतल दर्पण ( Convex Mirror ) – खोखले गोले के एक टुकड़े की भीतरी सतह को रजतित करने से अवतल दर्पण बनता है |

गोलीय दर्पण से संबंधित कुछ पद: – 

  1. ध्रुव ( Pole ) – गोलीय दर्पण के मध्यबिंदु को दर्पण का ध्रुव कहते है | इसे  P से सूचित किया जाता है | 
  2.  वक्रता-केंद्र ( Centre of Curvature ) – गोलीय दर्पण जिस गोले का भाग होता है उसके केंद्र को दर्पण का वक्रता-त्रिज्या कहते हैं | इसे C से सूचित किया जाता है |
  3. वक्रता-त्रिज्या ( Radius of curvature ) – गोलीय दर्पण जिस गोले का भाग होता है उसकी त्रिज्या को दर्पण की वक्रता-त्रिज्या कहते हैं | इसे R से सूचित किया जाता है |
  4. प्रधान या मुख्य अक्ष ( Principal axis )– गोलीय दर्पण के ध्रुव से वक्रता केंद्र को मिलनेवाली सरल रेखा को दर्पण का प्रधान या मुख्य अक्ष कहते है | 

गोलीय दर्पण का फोकस 

  1. अवतल दर्पण का फोकस – किसी अवतल दर्पण का फोकस उसके मुख्य अक्ष पर वह बिंदु है, जहाँ मुख्य अक्ष के समांतर आती किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद मिलती है | इसे F से सूचित किया जाता है |
  2. उत्तल दर्पण का फोकस – किसी उतल दर्पण का फोकस उसके मुख्य अक्ष पर वह बिंदु है जहाँ से मुख्य अक्ष के संमांतर आती किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद आती हुई प्रतीत होती है | इसे F से सूचित किया जाता है |

फोकस दूरी ( Focal length ) – ध्रुव से फोकस की बीच की दूरी को फोकस दूरी कहते है इसे f से सूचित किया जाता है | 

  • वस्तु दूरी ( Object distance ) – वस्तु से ध्रुव की बीच की दूरी वस्तु दूरी कहलाता है इसे u से सूचित किया जाता है | 
  • प्रतिबिंब दूरी ( Image distance ) – प्रतिबिंब से ध्रुव की बीच की दूरी प्रतिबिंब दूरी कहलाती है इसे v से सूचित किया जाता है | 

गोलीय दर्पण की फोकस – दूरी और उसकी वक्रता त्रिज्या में संबंध 

माना आपतित किरण AB, B बिंदु से परावर्तित होकर F से जा रही है, जहाँ CB अवतल दर्पण का अभिलंब है |  CP = R, PF = f    

                                           AB || CP    

                                  ∠ABC =   ∠CBF     ( एकांतर अंत : कोण ) 

                                   ∠ABC = ∠CBF               ( ∠i = ∠r ) 

                                               ∴ ∠BCF = ∠CBF 

                                    अत: ΔCBF समद्विबाहु त्रिभुज होगा | 

                                     CF = BF      ( यदि  B तथा P एक-दुसरें के बहुत निकट हो  ) 

                                                     ∴ CF = BF = PF = f 

                                                             CF + PF = CP 

                                                                  f + f = R

                                                                   2f = R 

                                                                  f =

फोकस दूरी वक्रता-त्रिज्या आधी होती है | 

गोलीय दर्पण के लिए किरण-आरेखों की बनावट 

  1. अवतल दर्पण के लिए किरण आरेखों की बनावट –
  1. जब आपतित किरण प्रधान अक्ष के समांतर हो-

अवतल दर्पण में प्रधान अक्ष के समांतर आती आपतित किरण दर्पण से परावर्तन के बाद फोकस से गुजरती है | 

2. जब आपतित फोकस की दिशा में हो –

अवतल दर्पण में फोकस की दिशा में  जाती आपतित किरण दर्पण से परावर्तन के बाद प्रधान अक्ष के समांतर निकलती है | 

3. जब आपतित वक्रता-केंद की दिशा में हो –

अवतल दर्पण में  वक्रता-केंद्र की दिशा में  जाती आपतित किरण दर्पण से परावर्तन के बाद पुनः उसी दिशा में लौट जाती है | 

4. जब आपतित किरण ध्रुव की दिशा में हो –

अवतल दर्पण में  ध्रुव की दिशा में  जाती आपतित किरण दर्पण से परावर्तन के बाद परावर्तन के दुसरे नियम को पालन करते हुए परावर्तित होती है | 

उत्तल दर्पण के लिए किरण आरेखों की बनावट –

  1. जब आपतित किरण प्रधान अक्ष के समांतर हो –

उत्तल दर्पण में प्रधान अक्ष के समांतर आती आपतित किरण दर्पण से परावर्तन के बाद फोकस के दिशा से आती हुई प्रतीत होती है | 

2. जब आपतित फोकस की दिशा में हो –

उत्तल दर्पण में फोकस की दिशा में  जाती आपतित किरण दर्पण से परावर्तन के बाद प्रधान अक्ष के समांतर निकलती है | 

3. जब आपतित वक्रता-केंद की दिशा में हो –उत्तल दर्पण में  वक्रता-केंद्र की दिशा में  जाती आपतित किरण दर्पण से परावर्तन के बाद पुनः उसी दिशा में लौटती हुई प्रतीत होती है | 

4. जब आपतित किरण ध्रुव की दिशा में हो –

उत्तल दर्पण में  ध्रुव की दिशा में  जाती आपतित किरण दर्पण से परावर्तन के बाद परावर्तन के दुसरे नियम को पालन करते हुए परावर्तित होती है | 

  • अवतल दर्पण के सामने विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तु के प्रतिबिंब 
  1. जब वस्तु अवतल दर्पण के फोकस और ध्रुव के बीच स्थित हो –
  1. प्रतिबिंब आभासी और सीधा होगा |
  2. प्रतिबिंब वस्तु से बड़ा होगा |
  3. प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनेगा | 

2. जब वस्तु अवतल दर्पण के फोकस पर स्थित हो –

  1. प्रतिबिंब वास्तविक और उल्टा होगा | 
  2. प्रतिबिंब वस्तु से बहुत ही बड़ा होंगा | 
  3. प्रतिबिंब अनंत पर बनेगा | 

3. जब वस्तु अवतल दर्पण के वक्रता-केंद्र और फोकस के बीच स्थित हो –

  1. प्रतिबंब वास्तविक और उलटा होगा | 
  2. प्रतिबिंब वस्तु से बड़ा होगा | 
  3. प्रतिबिंब वक्रता केंद्र और अनंत के बीच होगा | 

4. जब वस्तु अवतल दर्पण के वक्रता-केंद्र पर स्थित हो –

  1. प्रतिबिंब वास्तविक और उलटा होगा |
  2. प्रतिबिंब वस्तु के आकार के बराबर होगा | 
  3. प्रतिबिंब वक्रता-केंद्र पर ही बनेगा | 

5. जब वस्तु अनंत और अवतल दर्पण के वक्रता केंद्र के बीच स्थित हो –

  1. प्रतिबिंब वास्तविक और उलटा होगा | 
  2. प्रतिबिंब वस्तु से छोटा होगा | 
  3. प्रतिबिंब वक्रता केंद्र और फोकस के बीच बनेगा | 

6. जब वस्तु अनंत पर स्थित हो –

  1. प्रतिबिंब वास्तविक और उलटा होगा | 
  2. प्रतिबिंब वस्तु से बहुत ही छोटा होगा | 
  3. प्रतिबिंब फोकस पर बनेगा | 
  • उत्तल दर्पण के सामने विभिन्न दूरिओं पर रखी वस्तु के प्रतिबिंब 
  1. जब वस्तु अनंत पर स्थित हो –
  1. प्रतिबिंव आभासी और सीधा होगा | 
  2. प्रतिबिंब वस्तु से बहुत ही छोटा होगा | 
  3. प्रतिबिंब फोकस पर बनेगा | 

2. जब वस्तु अनंत और उत्तल दर्पण के ध्रुव के बीच स्थित हो –

  1. प्रतिबिंब आभासी और सीधा होगा |
  2. प्रतिबिंब वस्तु से छोटा होगा | 
  3. प्रतिबिंब ध्रुव और फोकस के बीच बनेगा | 
  • अवतल दर्पण का चिन्ह परिपाटी

वस्तु दूरी ( u ) = -ve 

फोकस दूरी ( f ) = -ve 

वस्तु ऊॅचाई ( ho ) = +ve 

वक्रता त्रिज्या ( R ) = – ve 

  1. प्रतिबिंब – वास्तविक तथा उल्टा 

प्रतिबिंब दूरी ( v ) = -ve 

प्रतिबिंब उँचाई ( hi ) = -ve 

2. प्रतिबिंब – आभासी तथा सीधा 

प्रतिबिंब दूरी ( v ) = + ve 

प्रतिबिंब उँचाई ( hi ) = +ve 

उत्तल दर्पण का चिन्ह परिपाटी

वस्तु दूरी ( u ) = -ve  

फोकस दूरी ( f ) = + ve 

वस्तु ऊचाई ( ho ) = + ve 

वक्रता त्रिज्या ( R ) = +ve 

प्रतिबिंब दूरी ( v ) = +ve 

प्रतिबिंब उँचाई ( hi ) = + ve 

दर्पण सूत्र ( Mirror Formula )

गोलीय दर्पण के लिए वस्तु दूरी (u), प्रतिबिंब दूरी (v) और फोकस-दूरी (f) के बीच के संबंध को एक सूत्र से बताया जा सकता है | जिसे दर्पण सूत्र कहा जाता है | 

माना किसी अवतल दर्पण के वक्रता केंद्र तथा फोकस के बीच रखी हुई वस्तु की वस्तु दूरी AP = u, प्रतिबिंब दूरी A’ P = v, फोकस दूरी PF = f है | वस्तु ऊँचाई = ho ,प्रतिबिंब ऊँचाई = hi

ΔABF तथा ΔPDF में,

∠BAF = ∠FPD ( प्रत्येक 90° )

∠AFB = ∠DFP ( सम्मुख कोण ) 

ΔABF ∼ Δ PDF ( A – A ) से 

दो समरूप त्रिभुजों के संगत भुजाओं का अनुपात बराबर होता है | 

             

           

         

         

         तथा  में

             ( प्रत्येक 90° )

        ( सम्मुख कोण )

          से 

दो समरूप त्रिभुजों के संगत भुजाओं का अनुपात बराबर होता है | 

         

       

       

सभी 1 तथा 2 से, 

       

       

         

         

           

         

         

   आवर्धन ( Magnification )

 प्रतिबिंब की उँचाई और वस्तु की उँचाई के अनुपात को आवर्धन कहा जाता है | आवर्धन को m से सूचित किया जाता है |

   तथा       में

   ( प्रत्येक 90° )

  से

दो समरूप त्रिभुजों के संगत भुजाओं का अनुपात बराबर होता है | 

 

या,   

नोट 

  1. यदि आवर्धन ॠणात्मक हो तो प्रतिबिंब वास्तविक तथा उल्टा होगा | 
  2. यदि आवर्धन हो तो प्रतिबिंब के आकार वस्तु के आकार के बराबर होगा | 

 

 

 

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