प्रेस, संस्कृति और राष्ट्रवाद – Bihar Board Class 10th Social Science Subjective Question-answer 2022

लघु उत्तरीय प्रश्न 

1. छापाखाना यूरोप में कैसे पहुँचा ? 

उत्तर – 1295 में मार्कोपोलो जब चीन से इटली वापस आया तो वह अपने साथ चीन में प्रचलित वुड ब्लॉक छपाई की तकनीक लेता आया | इससे हस्तलिखित पांडुलिपियों के स्थान पर वुड ब्लॉक छपाई की तकनीक विकसित हुई | इटली से आरंभ होकर यह तकनीक यूरोप के अन्य भागों में भी फैल गई | 

2. गुटेंवर्ग ने छापाखाना ( मुद्रण यंत्र ) का अविष्कार कैसे किया ? 

उत्तर – गुटेन्बर्ग ने जैतून पेरने की मशीन को आधार बनाकर प्रिंटिंग प्रेस ईजाद किया | इस मशीन में पेंच की सहायता से लंबा हैंडल लगा होता था | पेंच को घुमाकर प्लाटेन को गीले कागज पर दबाया जाता था | साँचे का उपयोग कर अक्षरों की धातु की आकृतियों को ढाला गया | इन टाइपों को घुमाने या ‘मूव’ करने की व्यवस्था भी की गई | 

3. स्वतंत्र भारत में प्रेस की भूमिका पर प्रकाश डालें | 

उत्तर – स्वतंत्र भारत में प्रेस की प्रभावशाली भूमिका रही है | यह राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विकास में प्रभावशाली भूमिका निभा रहा है | यह अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रिय एवं प्रादेशिक, क्षेत्रीय घटनाओं, सरकारी नीतियों, खेल-कूद, मनोरंजन की सूचना देनेवाला प्रमुख माध्यम है | यह सरकार पर प्रभावशाली नियंत्रण रखता है तथा लोकतंत्र के ‘चौथे स्तंभ’ के रूप में कार्य करता है | 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

1. 19वीं सदी में भारत में प्रेस के विकास को रेखांकित करें | 

उत्तर – भारत में मुद्रण का आरंभ गोवा में 16वीं शताब्दी में जेसुइट धर्मप्रचारकों द्वारा किया गया | 19वीं शताब्दी तक भारतीय प्रेस ने गति पकड़ ली | प्रेस ज्वलंत राजनीतिक एवं सामाजिक प्रश्नों को उठानेवाला तथा औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध सशक्त जनमानस तैयार करनेवाला प्रभावशाली माध्यम बन गया | 1857 के विद्रोह के बाद इसमें और तेजी आई | 19वीं शताब्दी में अँगरेजी और देशी भाषाओं में अनेक समाचारपत्र प्रकाशित होने लगे | 1816 में गंगाधर भट्टाचार्य द्वारा प्रकाशित ‘बंगाल गजट’ देशी भाषा में प्रकाशित होनेवाला पहला समाचारपत्र था | 1821 में राजा राममोहन राय ने ‘संवाद कौमुदी’ तथा अन्य पत्रों का प्रकाशन किया | 19वीं शताब्दी में प्रकाशित होनेवाले अन्य प्रमुख समाचारपत्र थे – ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ , ‘स्तेतासमें’ , ‘पायनियर’ , ‘मराठा’ , की आलोचना की तथा भारतीय राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया | 

2. भारतीय प्रेस की विशेषताओं को लिखें | अथवा, बदलते परिप्रेक्ष्य में भारतीय प्रेस की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए | 

उत्तर – 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक कुलीन, सामंत और सामान्य जनता की समाचारपत्रों में रूचि नहीं थी | अतः प्रेस चलाना घटे का सौदा माना जाता था | साथ ही , सरकार का कोपभाजन बनाने का भी खतरा था | इसलिए, समाचारपत्रों का प्रकाशन सीमित स्तर पर होता था, तथापि समाचारपत्रों ने सामाजिक-धार्मिक सुधार आन्दोलनों को बढ़ावा देकर तथा प्रजातीय विभेद की नीति की आलोचना कर राष्ट्रीय चेतना जगाई | 1857 के विद्रोह के बाद भारतीय समाचारपत्रों के प्रकाशन में तेजी आई | भारतीय प्रेस स्पष्टत: एंग्लोइंडियन और भारतीय में विभक्त हो गया | ऐंग्लोइंडियन प्रेस सरकारी नीतियों का समर्थक, प्रजातीय विभेद को बढ़ावा देनेवाला एवं संरक्षण-प्राप्त था, जैसे – इंगलिशमैन | इसके विपरीत, भारतीय समाचारपत्र ( देशी और अँगरेजी भाषा में ) सरकारी नीतियों का आलोचक था | इसने राजनीतिक-सामाजिक मुद्दों  पर भारतीय दृष्टिकोण को रखा | 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तथा 20वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध से समाचारपत्रों की संख्या में वृद्धि हुई तथा इसने राष्ट्रिय आंदोलन को गति दी | इसे सरकार का कोपभाजन भी बनना पड़ा | 

3. भारतीय राष्ट्रिय आंदोलन को प्रेस ने कैसे प्रभावित किया ? अथवा, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में प्रेस की भूमिका एवं प्रभाव की विवेचना कीजिए | 

उत्तर –  

  1. प्रेस ने औपनिवेशिक शासन की प्रजातीय विभेद की नीति का पर्दाफाश किया | इससे साम्राज्यवाद-विरोधी भावना प्रबल हुई तथा राष्ट्रवादी भावना का विकास हुआ | 
  2. प्रेस से सूचना प्राप्त कर जनता विभिन्न आंदोलनों – असहयोग, सविनय अवज्ञा, भारत छोड़ो – में सक्रीय रूप से भाग लेने लगी | 
  3. गाँधीजी प्रेस के माध्यम से ही जनता के सामने आए | उनके विचरों से प्रभावित होकर जनता उनके कार्यक्रमों में भाग लेने लगी | 
  4. प्रेस ने उग्र राष्ट्रवादी भावना एवं क्रांतिकारी आंदोलन से जनता को परिचित कराया | 
  5. प्रेस ने सामाजिक सुधार आंदोलनों का समर्थन किया तथा हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रयासों को बढ़ावा दिया | 
  6. प्रेस ने देशी रजवाड़ों के कुशासन को उजागर कर वहाँ की जनता को राष्ट्रीय आंदोलन में सम्मिलित होने के लिए प्रेरित किया | 
  7. प्रेस ने सकार की आर्थिक, शैक्षणिक एवं विदेश नीति की आलोचना की तथा इसके दुष्प्रभावों से जनता को परिचित कराकर राष्ट्रीय आंदोलन को बढ़ावा दिया | 

 

 

 

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