मानचित्र अध्ययन की विधियाँ
वर्षों से मानचित्रों पर उच्चावच प्रदर्शित करने के लिए अनेक विधियों का उपयोग किया जाता है | ये विधियाँ हैं – हैश्यूर पर्वतीय छायांकन, तल चिह्न, स्थानीय ऊँचाई, त्रिकोणमितीय स्टेशन, स्तर रंजन एवं समोच्च रेखाएँ |
- हैश्यूर विधि या रेखा चिह्न विधि ( Hachure Method ) – मानचित्र पर समोच्च रेखाओं को लम्बवत् काटती हुई महत्तम ढाल की दिशा में खींची गई छोटी सरल रेखाओं को हैश्यूर कहते हैं |
- पर्वतीय छायांकन विधि ( Hill Shading Method ) – इसमें प्रकाश और छाया की सहायता ली जाती है | इस विधि में यह मान लिया जाता है कि किसी भू-भाग पर प्रकाश ऊपर से उत्तर-पश्चिम कोने पर पड़ रहा है |
- तल चिह्न विधि ( Bench Markor Method ) – वास्तविक सर्वेक्षण द्वारा किसी स्थान की समुद्र तल से ऊँचाई प्राप्त की जाती है | इस ऊँचाई को फीट या मीटर में पत्थरों, पुलों, रेलवे स्टेशन के बोर्डों, खम्भों या भवनों पर लिख दिया जाता है |
- स्थानिक ऊँचाई ( Spot Height ) – किसी क्षेत्र के मानचित्र में विविध सूचनाओं के साथ-साथ उच्चावच प्रदर्शन करने की यह एक उत्तम और सरल विधि है |
- त्रिकोणमितीय स्टेशन ( Triangulation Station ) – किसी बड़े क्षेत्र का त्रिकोणमितीय या त्रिभुजन सर्वेक्षण करते समय तीन स्थानों पर बिन्दुओं का उपयोग किया जाता है |
- स्तर-रंजन ( Layer-tints ) या रंग ( Colour ) विधि – सादे मानचित्र में काली स्याही के विभिन्न स्तरों ( Layers of shades ) के द्वारा किसी स्थान के उच्चावच को प्रदर्शित किया जाता है |
- समोच्च रेखा विधि ( Contour Method ) – समोच्च रेखा माध्य समुद्र तल से समान ऊँचाई वाले स्थानों को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा होती है |
समोच्च रेखाओं पर विभिन्न भू-आकृतियों का प्रदर्शन
दूसरी महत्त्वपूर्ण बात है ऊँचाई के अनुसार विभिन्न समोच्च रेखाओं पर संख्यात्मक मान बैठाना | पार्श्वचित्र की सहायता से भू-आकृतियों को स्पष्ट समझा जा सकता है |
- पर्वत ( Mountain ) – पर्वत अपने आस पास की भूमि से लगभग समान रूप से पर्याप्त ऊँचा उठा होता है | इसका आधार काफी चौड़ा और शिखर नुकीला होता है |
- पठार ( Plateau ) – एक विस्तृत चपटा उठा हुआ भू-भाग जिसका आधार और शिखर दोनों चौड़ा और विस्तृत होता है, जिसकी ढाल पार्श्वों पर अपेक्षाकृत खड़ी होती है |
- जल प्रपात ( Water fall ) – किसी नदी तल पर काफी ऊँचाई से पानी का अचानक ऊर्ध्वाधर गिरना जल प्रपात कहलाता है |
- V-आकर की घाटी ( V-Shaped Valley ) – यह दो पहाड़ियों या कतकों डके बीच भूमि का निम्न क्षेत्र है, जिसका निर्माण नदी के पार्श्व अपरदन के परिणामस्वरूप होता है |