यूक्लिड की ज्यामिति का परिचय – Introduction to Euclid’s Geometry | Class 9th Math in Hindi

ज्यामिति ( Geometry ) : ज्यामिति गणित की वह शाखा है जिसमें ज्यामितीय आकृतियों ( बिंदु, रेखा, कोण, त्रिभुज, वृत्त आदि ) का अध्ययन और उनके पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है | शब्द Geometry ग्रीक भाषा के दो शब्दों geo तथा metron से बना है | Geo का अर्थ पृथ्वी और Metron का अर्थ माप होता है |

यूक्लिड ( Euclid ) : यूक्लिड यूनान के गणितज्ञ थे इनका काल लगभग 300 ई०पू० माना जाता है |इन्होंने ज्यामिति की नई परंपरा की शुरुआत किया, जिनके कुछ अभिगृहीत को इस पाठ में हमलोग पढेंगे | यूक्लिड को ज्यामिति का पिता कहा जाता है |

अभिगृहीत ( Axiom ) : कुछ वैसे आधारभूत परिणाम जो बिना किसी प्रमाण के ही सत्य मान लिए जाते है तथा इनकी मदद से दूसरे परिणामों को सिद्ध किया जाता है, उन्हें अभिगृहीत कहते हैं |

कथन ( Statement ) : वह वाक्य जो या तो सही है या गलत है, कथन कहलाता है |

प्रमेय ( Theorem ) : वैसे आधारभूत परिणाम जो विभिन्न अभिगृहीतों, अभिधारणाओं, परिभाषाओं  और तर्कों के आधार पर सिद्ध किये जाते हैं, प्रमेय कहलाते हैं |

उपप्रमेय ( Corollary ) :  वह कथन जिसे किसी प्रमेय के माध्यम से आसानी से प्रमाणित किया जा सकता है, उसे उपप्रमेय कहते हैं |

यूक्लिड के कुछ अभिगृहीत ( Some Axioms of Euclid ) :

  1. वे वस्तुएँ जो एक ही वस्तु के बराबर हों एक-दूसरे के बराबर होती हैं |
  2. यदि बराबरों को बराबरों में जोड़ा जाए, तो प्राप्त पूर्ण भी बराबर होता है |
  3. यदि बराबरों को बराबरों में घटाया जाए, तो प्राप्त शेषफल भी बराबर होता है |
  4. पूर्ण अपने भाग से बड़ा होता है |
  5. एक ही वस्तुओं के दुगुने परस्पर बराबर होते हैं |
  6. एक ही वस्तुओं के आधे परस्पर बराबर होते हैं |

यूक्लिड की पाँच अभिधारणाएँ  ( Euclid’s Five Postulates ) :

  1. किसी समतल में स्थित दो बिन्दुओं से होकर एक और केवल एक ही रेखा खींची जा सकती है |
  2. किसी भी रेखा को दोनों ओर अनंत तक बढाया जा सकता है |
  3. किसी बिंदु को केंद्र मानकर और किसी दूरी को त्रिज्या लेकर एक वृत्त खींचा जा सकता है |
  4. सभी समकोण आपस में बराबर होते हैं |
  5. यदि एक सरल रेखा दो सरल रेखाओं का परिच्छेदन करें और उस रेखा के एक ही ओर के अंत:कोण का योगफल दो समकोण से छोटा हो , सरल रेखाओं को उसी तरफ बढ़ाने पर वे एक-दूसरे से मिलती हैं |

ज्यामिति की कुछ परिभाषाएँ :

  1. बिंदु ( Point ) : बिंदु वह ज्यामितीय आकृति ( छोटा सा चिन्ह ) है जिसकी न लंबाई न मोटाई और न ही चौड़ाई होती है |
  2. रेखा ( Line ) : रेखा वह है जिसमें केवल लंबाई होती है, चौड़ाई और मोटाई नहीं |
  3. समतल ( Plane ) : समतल वह है जिसमें लंबाई और चौड़ाई होती मोटाई नहीं |
  4. सरल रेखा ( Straight line ) : सरल रेखा बिन्दुओं का समुच्चय होता है | एक पेंसिल के द्वारा स्केल के सहारे कागज पर सीधी लकीर खींचने से बनी आकृति सरल रेखा या रेखा कहलाती है |
  5. रेखाखंड ( Line segment ) : किसी सरल रेखा के एक खंड को रेखाखंड कहते हैं |
  6. अर्धरेखा ( Half line ) : किसी किरण का प्रांत बिंदु को आविष्ट नहीं करे तो वह अर्धरेखा कहलाती है |
  7. संरेख बिन्दुएँ ( Collinear points ) : तीन या तीन से अधिक बिन्दुएँ संरेख कहलाती हैं यदि वे एक ही रेखा पर स्थित हों |
  8. प्रतिच्छेदी रेखाएँ ( Intersecting lines ) : यदि एक ही तल पे दो रेखाएँ एक बिंदु पर काटे तो उन्हें प्रतिच्छेदी रेखाएँ कहते हैं |
  9. एक बिन्दुगामी रेखाएँ ( Concurrent lines ) : तीन या तीन से अधिक रेखाएँ जो एक ही बिंदु से होकर गुजरती हैं, एक बिन्दुगामी कहलाती हैं |
  10. समांतर रेखाएँ ( Parallel lines ) : किसी समतल पर दो रेखाएँ समांतर कहलाती है यदि उनमे एक भी बिंदु उभयनिष्ठ हो |
  11. कोण ( Angle ) : एक ही अंत बिंदु वाली दो किरणों के सम्मिलन को कोण कहते हैं |
  12. सर्वांगसम कोण ( Congruent Angle ) : दो कोण सर्वांगसम कहलाते हैं यदि उनके माप समान हो |

कोणों के प्रकार ( Types of Angles ) :

  1. समकोण ( Right Angle ) : वह कोण जिसकी माप 90° हो समकोण कहलाता है | 
  2. न्यूनकोण ( Acute Angle ) : वह कोण जिसकी माप 90° से कम हो न्यूनकोण कहलाता है | 
  3. अधिक कोण ( Obtuse Angle ) : वह कोण जिसकी माप 90° से अधिक तथा 180° से कम हो अधिक कोण कहलाता है |
  4. ॠजुकोण ( Straight Angle ) : वह कोण जिसकी माप 180° हो उसे ॠजुकोण कहते हैं |
  5. पुनर्युक्त या प्रतिवर्ती कोण ( Reflex Angle ) : वह कोण जिसकी माप दो 180° से अधिक और 360° से कम हो , प्रतिवर्ती कोण कहलाता है |
  6. पूरक कोण ( Complementary Angles ) : यदि दो कोणों की मापों का योग 90° हो तो उन्हें पूरक कोण कहते है |
  7. संपूरक कोण ( Supplementary Angles ) : यदि दो कोणों की मापों का योग 180° हो तो उन्हें पूरक कोण कहते है |
  8. शीर्षाभिमुख कोण ( Vertically Opposite Angles ) : दो कोणों को शीर्षाभिमुख कोण युग्म कहते हैं यदि उनकी भुजाएँ विपरीत किरणों के दो युग्म हों |
  9. आसन्न कोण ( Adjacent Angles ) : दो कोणों की आसन्न कोण कहते हैं यदि उनका शीर्ष एक ही बिंदु हो, उनकी एक उभयनिष्ठ भुजा हो और एक कोण की दूसरी भुजा उभयनिष्ठ भुजा हो और एक कोण की दूसरी भुजा उभयनिष्ठ भुजा के एक ओर हो और दूसरे कोण की दूसरी भुजा उभयनिष्ठ भुजा के दूसरे ओर हो |                                                                                                                     ∠ AOB और ∠ BOC
  10. कोणों का रैखिक युग्म ( Linear Pair of Angles ) : दो आसन्न कोणों को जिनकी भिन्न भुजाएँ दो विपरीत किरणें हों, कोणों का रैखिक युग्म कहलाते हैं |                                                                                                                                        ∠AOC और ∠BOC

रैखिक युग्म अभिगृहीत ( Linear Pair Axiom ) : यदि एक किरण का सिरा, किसी रेखा पर स्थित हो, तो इस प्रकार बने दो आसन्न कोणों का योग 180º होता है |

                                                                                                                                        ∠AOC + ∠BOC = 180°

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