राजनीतिक दल एवं उसके कार्यप्रणाली – Class 10th Social Science ( सामाजिक विज्ञान ) Notes in Hindi

 जब जनता सीधे रूप से शासन में भाग लेती है तो ऐसी शासन-व्यवस्था को प्रत्यक्ष लोकतंत्र (Direct Democracy) कहा जाता है |

राजनीतिक दल का अर्थ

सामान्य रूप में राजनीतिक दल का अर्थ “मनुष्यों का ऐसे समूह से है जो किसी सिद्धांत विशेष के आधार पर सहमत हो और अपने सामूहित प्रयत्नों द्वारा राष्ट्रीय हित की उन्नति के लिए संगठित हुआ हो |”

         रणनीतिक दलों की उत्पत्ति ब्रिटेन में हुई | ब्रिटेन में 1688 हुए गौरवपूर्ण क्रांति के समय दो दलों का उदय हुआ, जिन्हें ह्विग (Whig) और टोरी (Tory) नाम दिया गया |

राजनीतिक दलों के कार्य –

किसी भी लोकतांत्रिक देशों के लिए राजनीतिक दलों का होना अति आवश्यक है | राजनीतिक दलों के बिना लोकतंत्र की सफलता संभव नहीं है | इसीलिए राजनीतिक दल को ‘तीसरा सदन’ (Third Chamber) भी कहा जाता है | लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में राजनीतिक दलों के कार्यों को समझें –

  1. जनमत का निर्माण – लोकतंत्र में राजनीतिक दल ही जनमत का निर्माण करते हैं | हर दल समाज के विभिन्न वर्गों के लिए विभिन्न तरह के कार्यक्रम एवं नीतियाँ तय करते हैं |
  2. जागरूकता उत्पन्न करना – लोकतंत्र में राजनीतिक दल लोगों को जागरुक करने का भी काम करते हैं | यह जागरूकता लोगों के अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों के लिए होता है | सरकार यदि किसी वर्ग को उसके अधिकारों से वंचित करती है या जो सुविधाएँ मिलनी चाहिए उससे वंचित करती है तो राजनीतिक दल भाषण, पत्राचार, समाचार-पत्रों आदि के माध्यम से लोगों को जागरुक करते हैं और उसके अधिकारों और सुविधाओं को बहाल करने हैं और उनके अधिकारों और सुविधाओं को बहाल करने के लिए सरकार पर दबाव डालते हैं |
  3. चुनावों का संचालन करना – लोकतांत्रिक देशों में चुनाव का बड़ा महत्त्व होता है | ऐसे देशों में चुनाव के माध्यम से निर्वाचित प्रतिनिधि ही शासन का संचालन करते हैं और चुनावों का संचालन राजनीतिक दल ही करते हैं |
  4. सरकार का निर्माण करना – लोकतंत्र की एक परंपरा रही है कि लोकसदन (House of People) में जिस दल का बहुमत होता है सरकार उसी दल की बनती है |
  5. विपक्षी दलों द्वारा सरकार पर नियंत्रण – लोकतंत्र में विपक्षी दलों की एक खास भूमिका होती है | विपक्षी दल सरकार द्वारा जनता एवं देशहित के खिलाफ किये गये कार्यों एवं इस संबंध में लिए गए निर्णय की आलोचना करते हैं |
  6. जनता को प्रशिक्षण देना – राजनीतिक दल लोगों को राजनीतिक प्रशिक्षण देने का भी काम करते हैं | इसके अंतर्गत राजनीतिक दल लोगों को मतदान करने के लिए प्रेरित करते हैं |
  7. रचनात्मक कार्य – राजनीतिक दल केवल राजनीतिक कार्य ही नहीं करते हैं बल्कि रचनात्मक कार्य भी करते है |
  8. जनता और सरकार के बीच कड़ी का काम – अच्छे शासन के लिए यह आवश्यक है कि जनता और सरकार के बीच बेहतर संबंध हो | जनता और सरकार के बीच बेहतर संबंध स्थापित कराने में राजनीतिक दलों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है |

लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की आवश्यकता –

  1. राजनीतिक दल जनता की इच्छा सरकार को बताते हैं |
  2. देश की समस्याएँ सरकार के सामने राजनीतिक दल ही रखते हैं |
  3. राजनीतिक दल देश के लिए भावी योजनाएँ तैयार करते हैं |

लोकतंत्र में राजनीतक दलों के सामने प्रमुख चुनौतियाँ

  1. नेतृत्व संकट
  2. आंतरिक लोकतंत्र का अभाव
  3. सिद्धांतों का अभाव
  4. दल-बदल की राजनीति
  5. राजनीति का अपराधीकरण
  6. चुनाव खर्चीला होना
  7. गठबंधन की राजनीतिक से उत्पन्न समस्याएँ
  8. दलों के बीच विकल्पहीनता

राजनीतिक दलों को प्रभावशाली बनाने के उपाय

  1. दलबदल कानून पूर्ण रूप से लागू होना चाहिए |
  2. अपराधी एवं अपराध की प्रवृत्ति रखने वाले लोगों को चुनाव लड़ने पर रोक लगाना चाहिए |
  3. राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र मजबूत करना चाहिए |
  4. सभी दलों का अपना एक संविधान हो |
  5. महिलाओं एवं युवाओं को उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए |
  6. चुनाव में अनावश्यक खर्च पर रोक लगाना चाहिए |

प्रमुख राजनीतिक दलों का परिचय

कुछ ऐसे राजनीतिक दल हैं जिनका अस्तित्व पूरे देश में देखने को मिलता है उन्हें राष्ट्रीय पार्टी कहा जाता है | वैसे दल जिनका अस्तित्व या प्रभाव एक या दो राज्यों तक ही सिमित हो तो वैसे दल को राज्यस्तरीय दल कहते हैं | आम तौर पर राज्यस्तरीय दल को क्षेत्रीय दल भी कहा जाता है,

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की स्थापना 1885 में ए० ओ ह्वयूम ने की | कांग्रेस पार्टी ने स्वतंत्रता के बाद से 1971 तक लगातार एवं 1980 से 1989 तक देश पर शासन किया | पुन: 2004 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) बनाकर देश की शासन का बागडोर संभाला | 2009 के 15वीं लोकसभा चुनाव में UPA को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला लेकिन कांग्रेश के नेतृत्व में देश की सरकार बनी |

       कांग्रेस पार्टी का मुख्य उद्देश्य है – भारत के लोगों की भलाई और उन्नति करना तथा शांतिमय और संवैधानिक उपायों से भारत में समाजवादी राज्य कायम करना |

भारतीय जनता पार्टी

6 अप्रैल, 1980 में पुराने जनसंघ दल को पुनर्जीवित कर श्री लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ | भारतीय जनता पार्टी की मुख्य विचारधार है – सुरक्षा, सामाजिक समरसता और स्वदेशी पर विशेष बल देना | भारतीय जनता पार्टी देश में औद्योगिक नीति की पक्षधर है, पर यह नीति आत्मनिर्भरता राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का नेतृत्व कर देश की सत्ता का बागडोर संभाला |

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सी० पी० आई०)

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी साम्यवादी दल है | साम्यवादी दल को वामपंथी दल (Leftist) भी कहा जाता है | साम्यवाद या कम्युनिज्म एक अंतर्राष्ट्रीय विचारधारा है | भारत में एस० ए० डांगे के प्रत्यात्नों से 1925 में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना हुई | 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार को बाहर में अपना समर्थन दिया |

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (सी० पी० आई०)

1962 में हुए भारत चीन युद्ध के बाद साम्यवादी दल में फूट हो गयी | साम्यवादी दल के कुछ नेता चीन को आक्रमक नहीं मानते थे, ये लोग मुख्य साम्यवादी दल से नाता तोड़ लिए और 1964 में एक नये दल का निर्माण किया, जो मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) के नाम से जाना गया |

       यह दल मार्क्सवाद-लेनिनवाद में आस्था रखता है और समज्यवाद, धर्म निरपेक्षता एवं लोकतंत्र का समर्थन करता है तथा साम्राज्यवाद एवं संप्रदायवाद का विरोध करता है |

बहुजन समाज पार्टी

बहुजन समाज पार्टी का गठन 1984 में स्व० कांशीराम द्वारा हुआ था | पार्टी का मुख्य सिद्धांत है, दलित, आदिवासी, पिछड़ी जातियों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए सत्ता प्राप्त करने का प्रयास करना |

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी

कांग्रेस पार्टी में विभाजन के बाद 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन हुआ | राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का मूल विचार लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और संघवाद को मजबूत करना है |

राष्ट्रीय जनता दल

जनता दल में नेतृत्व को लेकर उठे विवाद के परिणामस्वरूप जुलाई, 1997 में जनता दल का विभाजन हो गया | बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री लालू प्रसाद की अध्यक्षता में राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया गया |

जनता दल ‘यूनाइटेड’

जनता दल में बार-बार बिखराव होता रहा है | 1999 में जनता दल से अलग होकर शरद यादव के नेतृत्व में जनता दल ‘यूनाइटेड’ का गठन हुआ | बाद में जार्ज फर्नान्डीज के नेतृत्व वाला दल समता पार्टी का जनता दल ‘यूनाइटेड’ में विलय हो गया |

लोक जनशक्ति पार्टी

वर्ष 2000 रामविलास पासवान के नेतृत्व में लोक जनशक्ति पार्टी का गठन हुआ | इस पार्टी की भी मुख्य विचारधारा दलित, पिछड़ों का विकास और सामाजिक न्याय की स्थापना पर बल देना है |

समाजवादी पार्टी

1992 में स्थापित यह पार्टी मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में कार्य कर रही है | यह दल बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अनियंत्रित प्रवेश का विरोध करता है | यह पार्टी कृषि तथा छोटे उद्योग के विकास एवं सामाजिक न्याय की स्थापना पर बल देती है |

झारखंड मुक्ति मोर्चा

झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन 1973 में बिहार में ही हुआ था | सन् 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य बन जाने के बाद इसका मुक्य कार्य क्षेत्र झारखंड हो गया |

आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी की स्थापना 26 नवंबर, 2012 में हुई | आम आदमी पार्टी (आप) सामाजिक कार्यकर्ता अरविन्द केजरीवाल एवं अन्ना हजारे के लोक आंदोलन से जुड़े बहुत से सहयोगियों द्वारा गठित एक भारतीय राजनीतिक दल है |

विपक्षी दल

विपक्षी दल का अर्थ है वह दल, जो सदन में सत्तारूढ़ दल के बाद संख्या में दूसरे स्थान पर हो और सरकार का समर्थक नहीं हो | भारत में विपक्षी दल होने के लिए सदन के कुल सदस्य संख्या का कम से कम 1/10 भाग अवश्य होना चाहिए | अत: लोकतांत्रिक शासन में जिस योग्यता की अपेक्षा प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री से की जाती है, लगभग वही योग्यताएँ विपक्षी नेता से भी की जाती है | जैसे –

  1. उसे संसदीय प्रक्रिया का पूरा ज्ञान हो,
  2. दल पर नियंत्रण हो,
  3. कुशल व्यक्तित्व का हो,
  4. उसे कानून तथा कानून निर्माण प्रक्रिया का पूरा ज्ञान हो,
  5. वैकल्पिक सरकार बनाने की क्षमता हो आदि |

विपक्ष की भूमिका

लोकतांत्रिक देशों में विपक्ष की भूमिका निम्नलिखित बिन्दुओं के द्वारा भी समझा जा सकता है –

  1. सरकार के मनमानी पर रोक – राज्य की सत्ता प्राप्त कर प्रशासक और मंत्रिगन अपनी मनमानी करने लगते हैं और निरंकुश बनने की कोशिश करते हैं |
  2. वैकल्पिक सरकार – विपक्षी दल हमेशा वैकल्पिक सरकार देने के लिए तैयार रहता है | यदि सरकार जनता की इच्छाओं एवं संविधान के अनुसार शासन संचालन नहीं करती है तो जनता अगले चुनाव में सत्तारूढ़ दल से सत्ता वापस ले लेती है और वह सत्ता विरोधी दल को सौंप देती है |
  3. प्रशासन में शून्यता नहीं – लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था में कई बार यह भी देखा गया है कि अपनी निश्चित अवधि या कार्यकाल पूरा होने से पहले कई बार सरकार अपने आप त्याग-पत्र दे देती है |
  4. राजनीतिक चेतना का विकास – विपक्षी दल जनता में हमेशा जागरूकता पैदा करते रहते हैं | विपक्षी दल सरकार की नाकामियों को जनता तक पहुँचाते हैं और जनता को सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ जागरुक कर विभिन्न तरह के आंदोलन, हड़ताल आदि कर सरकार पर दबाव बनाये रखते हैं |
  5. सरकार द्वारा धन के दुरुपयोग पर रोक – सरकार को वर्ष के आय-व्यय का ब्योरा सदन को देना पड़ता है जिसे ‘बजट’ कहते हैं | जब सरकार सदन में वर्ष भर की आय एवं व्यय का ब्योरा सदन में रखती है तो उसपर काफी बहस होती है, बहस के बाद ही सदन से बजट पास होता है |

दबाव समूह

राजनीतिक प्रक्रिया में दबाव समूह का विशिष्ट महत्त्व है | आधुनिक काल में दबाव समूह लोकतंत्र को मजबूत किया है | राजनीतिक व्यवस्था में दबाव समूह लोकतंत्र को मजबूत किया है | राजनीतिक व्यवस्था में दबाव समूह का महत्त्व एवं योगदान इतना बढ़ गया है कि इन्हें राजनीतिक क्रियाशीलता एवं सार्वजनिक नीतियों को लागू करने का एक साधन के रूप में स्वीकार कर लिया गया है |

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर दबाव पर समूहों के चार प्रमुख स्पष्ट होते हैं –

  1. दबाव समूह अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए नीति निर्माताओं को प्रभावित करते हैं |
  2. दबाव समूह का संबंध विशिष्ट मसलों से होता है |
  3. दबाव समूह राजनितिक संगठन नहीं होते और न ही चुनाव में भाग लेते हैं |
  4. दबाव समूह का हित जब खतरे में होता है, तो वे सक्रिय बन जाते हैं |

दबाव समूह का महत्त्व – दबाव समूहों का महत्त्व अत्यंत व्यापक होता जा रहा है | अधिकांश देशों के संविधान द्वारा दबाव समूहों के विकास के लिए उपयुक्त सुविधाएँ प्रदान किए गए हैं | दबाव समूह की उपयोगिता तथा महत्त्व के प्रमुख कारण निम्नावात् हैं –

  1. लोकतांत्रिक प्रकिया की अभिव्यक्ति के रूप में – दबाव समूह लोकतंत्र की अभिव्यक्ति का साधन माना जाता है | यह लोकमत तैयार करता है और लोगों को जागरुक करता है | सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुँचाता है और जनता की समस्याओं को सरकार तक पहुँचाता है |
  2. शासन के लिए सूचना एकत्रित करने वाले संगठन के रूप में – दबाव समूह सरकार एवं शासन की सूचनाएँ एकत्रित कर लोगों तक पहुँचाता है | दूसरी ओर दबाव समूह शासन की सूचनाओं के आधार पर शोध करते हैं, आँकड़े इकट्ठे करते हैं, जो शासन संचालन में सहायक होते हैं |
  3. शासन को प्रभावित करने वाले संगठन के रूप में – जनसमस्याओं को समाधान करने के लिए दबाव समूह शासन पर जनसमस्या के अनुरूप कार्य योजना बनाने और उन्हें उसी अनुरूप लागू करने के लिए हड़ताल बंद, धरना, प्रदर्शन आदि के द्वारा दबाव डालते हैं |
  4. व्यक्ति और सरकार के बीच संचार के साधन – दबाव समूह लोकतांत्रिक राज्यों में व्यक्तिगत हितों का राष्ट्रीय हितों के साथ सामंजस्य स्थापित करते हैं | ये समूह नागरिक और सरकार के बीच संचार साधन का कार्य करते हैं |
  5. विधानमंडल के पीछे विधानमंडल का कार्य – दबाव समूह विधि निर्माण में विधायकों की सहायता करते हैं अपनी विशेषज्ञता तथा ज्ञान के कारण ये विधि-निर्माता समितियों के सदस्यों को आवश्यक परामर्श देते हैं |

 

 

Learn More Chapters         Download PDF

Spread the love

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *