रासायनिक अभिक्रिया और समीकरण | Chemical Reaction and Equation | Class 10th Chemistry | Hindi Medium

रासायनिक अभिक्रिया ( Chemical reaction ) :- जब कोई पदार्थ अकेले ही या किसी अन्य पदार्थ से क्रिया करके भिन्न गुण वाले एक या अधिक नए पदार्थों का निर्माण करते है , तब वह प्रक्रिया रासायनिक अभिक्रिया कहलाता है | जो पदार्थ रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेकर नए पदार्थ बनाते हैं उन्हें अभिकारक ( Reactant ) कहते है और रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप बने नए पदार्थ प्रतिफल ( Product ) कहलाते है | 

जैसे :-

रासायनिक अभिक्रियोओं की विशेषताएँ 

रासायनिक अभिक्रिया की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित है –

  1. गैस की उत्पति – कुछ रासायनिक अभिक्रियाँ ऐसी है जिनमें कोई गैस उत्पन्न होती है | 
  2. अवक्षेप का बनना – अवक्षेप एक ठोक पदार्थ है जो रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप विलयन में से पृथक हो जाता है | 
  3. रंग-परिवर्तन – कुछ रासायनिक अभिक्रियाओं में पदार्थों के रंग में भी परिवर्तन होता है | 
  4. ताप में परिवर्तन – कुछ रासायनिक अभिक्रियाओं के फलस्वरूप ताप में परिवर्तन होता है | 
  5. अवस्था में परिवर्तन – कुछ रासायनिक अभिक्रियाओं के फलस्वरूप पदार्थों की अवस्था में भी परिवर्तन होती है | 

रासायनिक समीकरण ( Chemical equation ) :-किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले पदर्थों के संकेतों एवं सूत्रों की सहायता से उस अभिक्रिया का संक्षिप्त निरूपण रासायनिक समीक्ररण कहलाता है |

रासायनिक समीकरण लिखने के नियम 

रासायनिक अभिक्रिया को रासयनिक समीकरण के रूप में लिखने के लिए निम्नालिखित नियमों का पालन करना पड़ता है – 

  1. अभिक्रिया के अभिकारकों को उनके संकेता या अनुसूत्रों के पदों में समीकरण के बायीं ओर लिखा जाता है | 
  2. अभिकारकों के सूत्रों के बीच धन-चिन्ह (+) दिया जाता है | 
  3. अभिक्रियाओं के प्रतिफलों को उनकें संकेतों या अनुसूत्रों के पदों में समीकरण के दायी ओर लिखा जाता है | 
  4. प्रतिफलों के सूत्रों के बीच धन-चिन्ह (+) दिया जाता हैं | 
  5. अभिकरकों और प्रतिफलों को बीच तीर चिन्ह ( → ) दिया जाता है | 

  A + B  → C + D 

संतुलित रासायनिक समीकरण ( Balanced Chemical Equation ) – संतुलित रासायनिक समीकरण वह है जिसमें समीकरण के दोनों ओर प्रत्येक तत्व की परमाणुओं की संख्या समान होती है |

असंतुलित रासायनिक समीकरण ( Unbalanced Chemical Equation ) – असंतुलित रासायनिक समीकरण वह जिसमें समीकरण के दोनों ओर तत्वों के परमाणुओं की संख्याएँ समान नहीं होती है |  

H2 + O2 → H2O

नोट – सामान्य रासायनिक अभिक्रिया में पदार्थ का न तो निर्माण होता है और उसका नाश हो | 

रासायनिक समीकरणों को संतुलित करने की एक सरल विधि है जिसे अनुमान द्वारा संतुलन विधि कहते है | 

अनुमान द्वारा संतुलन विधि – इस विधि में समीकरण से संबंद्ध पदार्थों के संकेत और सूत्र के ठीक पहले आवश्यक गुणक का प्रयोग किया जाता है | गुणक का चयन इस प्रकार से करते है कि समीकरण के तीर चिन्ह ( → ) के दोनों ओर प्रत्येक प्रकार के परमाणुओं की संख्या समान हो जाए | 

रासायनिक समीकरण केसे प्राप्त होनेवाली सूचनाएँ

किसी रायानिक समीकरण से हमें निम्नलिखित सूचनाएँ प्राप्त होती है –

  1. यह अभिकारकों एवं प्रतिफलों के संकेत / सूत्र की जानकारी देता है | 
  2. यह बताता है की अभिक्रिया में कौन-कौन से पदार्थों भाग ले रहें हैं और अभिक्रिया के फल स्वरूप कौन-कौन से पदार्थों का निर्माण होता है | 
  3. यह अभिक्रिया के पलास्वरूप निर्मात प्रतिफलों के परमाणुओं एवं अणुओं की आपेक्षित संख्याओं की जानकारी देता है | 
  4. यह अभिक्रिया के फलस्वरूप निर्मित प्रतिफलों के परमाणुओं एवं अणुओं की आपेक्षित संख्याओं की जानकारी देता है | 
  5. यह अभिकारकों और प्रतिफलों के मोलों के अनुपात की जानकारी देता है | 
  6. यह अभिकारकों और प्रतिफलों के द्रव्यमानों का अनुपात बताता है | 
  7. यह गैसीय अभिकरकों और प्रतिफलों के आपेक्षित आयतन की जानकारी देता है | 

उदहारण –

रासायनिक समीकरण के उपयोग से लाभ 

  1. किसी भी रासायनिक अभिक्रिया का समीकरण के रूप में निरूपण आसान होता है | इससे समय की बचत होती है तथा लिखने के लिए कागज पर कम स्थान की आवश्यकता होती है | 
  2. रासायनिक समीकरण की सहायता से प्रतिफल की एक निश्चित मात्रा निर्माण के लिए आवश्यक अभिकारकों के द्रव्यमानों की गणना ठीक-ठीक की जा सकती है | 
  3. संपूर्ण विश्व में एक ही प्रकार के रासायनिक संकेतों का उपयोग होता है, अत: वैज्ञानिकों को रासायनिक समीकरण की जानकारी प्राप्त करने में किसी भी प्रकार की कठिनाई नहीं होती है | 

रासायनिक समीकरण की सीमाएँ – 

  1. रासायनिक समीकरण से अभिकारकों और प्रतिफलों की भौतिक अवस्था ( ठोंस, द्रव या गैस ) की जानकारी नहीं हो पाती है | 
  2. अभिक्रिया के फलस्वरूप उत्सर्जित या अवशोषित ऊष्मा की जानकारी रासयनिक समीकरण से नहीं हो पाती है अर्थात , समीकरण यह जानकारी नहीं देता है अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी है या ऊष्माशोषी |
  3. रासायनिक समीकरण से पता नहीं चलता है कि अभिक्रिया किन दशाओं ( दाब, ताप, सांद्रण, उत्प्रेरक की  उपस्थिति आदि ) में जानकारी नहीं देता है | 
  4. रासायनिक समीकरण अभिक्रियाओं विस्फोट के साथ होती है | परंतु रासायनिक समीकरण से इस बात की कोई जानकारी नहीं होती है |
  5. कुछ रासायनिक अभिक्रियाओं विस्फोट के साथ होती है | परंतु रासायनिक समीकरण से इस बात की कोई जानकारी  नहीं होती है | 
  6. समीकरण यह भी जानकारी नहीं देता है कि अभिक्रिया में अभिकारकों की वस्तुत: कितनी मात्राएँ खर्च हुई तथा प्रतिफल की कितनी मात्राओं का निर्माण हुआ | 

रासायनिक समीकरण को अधिक उपयोगी बनाना

       रासायनिक समीकरणों की सीमाओं को दूर करने के लिए समीकरण को अधिक उपयोगी बनाने का प्रयास किया जाता है | 

  1. अभिकारकों एवं प्रतिफलों की भौतिकअवस्था की जानकारी– अभिकरकों और प्रतिफलों की भौतिक अवस्था की जानकारी उनके संकेतों / सूत्रों के ठीक आगे कोष्ठक में ठोस के लिए ( s ), द्रव के लिए ( l ) एवं गैस के लिए ( g ) किया जाता है | इसी प्रकार, पदार्थ के जलीय विलयन के लिए ( aq. ) अंकित किया जाता है | 
  2.  ऊष्माक्षेपी एवं ऊष्माशोषी अभिक्रियाओं की जानकारी – रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप उत्सर्जित या अवशोषित ऊष्मा की जानकारी ऊष्मा रासायनिक समीकरण के द्वारा दी जाती है | ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया के लिए स्समिकरण के दायी ओर + ऊष्मा तथा ऊष्माशोषी अभिक्रिया के लिए समीकरण के बायीं ओर + ऊष्मा लिख दिया जाता है | यथा, 

C  + O2 → CO2 + ऊष्मा   ( ऊष्माक्षेषी  अभिक्रिया )

 N2 + O2 + ऊष्मा → 2NO  ( ऊष्माशोषी अभिक्रिया )

3. गैस के उत्सर्जन की जानकारी – यदि अभिक्रिया के फलस्वरूप कोई गैस निकलती है है तो समीकरण में गैस से सूत्र के ठीक बाद चिन्ह ‘ ↑ ‘ दिया जाता है; यथा,

Zn + H2 SO2 → ZN SO4 + H2 ↑ 

4. अवक्षेप बनने की जानकारी – यह अभिक्रिया के फलस्वरूप कोई प्रतिफल अवक्षेप के रूप में पृथक होता है तो उस प्रतिफल के संकेत / सूत्र के बाद ‘ ↓ ‘ दिया जाता है | 

AgNO3 + HCl  →  AgCl ↓+HNO

5. अभिक्रिया की शर्तो की जानकारी – इसकी जानकारी के लिए समीकरण में प्रयुक्त तीर-चिन्ह ( → ) के ऊपर या नीचे दाब, ताप, सांद्रण, उत्प्रेरक आदि शर्तों का निर्देशन किया जाता है,

6. अभिक्रिया की उत्क्राणीयता की जानकारी – रासायनिक अभिक्रिया की उत्क्राणीयता दर्शाने के लिए अभिकारक और प्रतिफल के बीच विपरीत दिशाओं में निर्देशित दो तीर-चिन्ह ( ) दिए जाते है , यथा, 

 N2 + 3H2    2NH

विभिन्न प्रकार की रासायनिक अभिक्रियाएँ 

            रासायनिक अभिक्रियाओं को उनकी प्रकृति के आधार पर कई भागों में बाँटा गया है –

  1. संयोजन या संश्लेषण अभिक्रियाएँ ( Combination or synthesis reaction ) – संयोजन या संश्लेषण अभिक्रिया वह है जिसमें दो या अधिक पदार्थ ( तत्व या यौगिक ) परस्पर संयोग करके  एक नए पदार्थ का निर्माण करते है | नए पदार्थ के गुण मूल पदार्थ के गुण से बिल्कुल भिन्न होते है |

2. वियोजन या अपघटन अभिक्रियाएँ ( Decomposition reaction ) – वियोजन या अपघटन अभिक्रिया वह अभिक्रिया वह अभिक्रिया है, जिसमें किसी यौगिक के बड़े अणु के टूटने से दो या अधिक सरल यौगिक बनाते है जिसके गुण मूल यौगिक के गुण से बिल्कुल भिन्न होते है |

नोट – चुँकि ये अपघटन अभिक्रिया ऊष्मा के प्रभाव से कराई जाती है | अत: इन्हें ऊष्मीय अपघटन अभिक्रिया भी कहते हैं | 

3. वैधुत अपघटन अभिक्रिया ( Electrolysis decomposition reaction ) – वह अपघटन अभिक्रिया जो विधुत धारा प्रवाह के कारण होती है |

4. एकल विस्थापन अभिक्रियाएँ ( Single displacement reaction ) – वह अभिक्रिया जिसमें किसी यौगिक में उपस्थित किसी परमाणु के समूह को किसी दूसरें परमाणु द्वारा विस्थापित कर दिया जाता है, एकल विस्थापन अभिक्रिया कहलाती है |

5. उभय विस्थापन अभिक्रियाएँ ( Double displacement reaction ) – उभय-विस्थापन में दो यौगिक अपना आयनों का विनिमय या आदान प्रदान करके दो नए यौगिक का निर्माण करते है |

6. अवक्षेपण अभिक्रियाएँ ( Precipitation reactions ) – ऐसी अभिक्रियाएँ होती है जिनमें कोई प्रतिफल ठोस के रूप में विलयन से पृथक हो जाता है | पृथक होने वाली ठोस पदार्थ अवक्षेपण कहलाता है |

7. उदासीनीकरण अभिक्रियाएँ ( Neutralization reaction ) – वह अभिक्रिया जिसमें कोई अम्ल किसी भरक के साथ अभिक्रिया करके लवण और जल बनाता है, उदासीनीकरण अभिक्रिया कहलाती है |

8. प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाएँ ( Photosynthesis Chemical reaction ) – वैसी रासायनिक अभिक्रियाएँ जो प्रकाश की उपस्थिति में घटित होती है प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाएँ कहलाती है |

9 ऑक्सीकरण-अवकरण अभिक्रियाएँ ( Oxidation – reduction reaction ) – ऑक्सीकरण एवं अवकरण अभिक्रियाएँ एक विशेष प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया है जो सदैव साथ-साथ होती है | ये रेडाॅक्स अभिक्रियाएँ भी कहलाती है | 

ऑक्सीकरण – ऑक्सीकरण वैसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें किसी तत्व या यौगिक से ऑक्सीजन का संयोग या किसी यौगिक से हाइड्रोजन का निष्कासन होता है | 

C   +  O2 →  CO2 

अवकरण – वैसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें किसी तत्व या यौगिक के साथ हाइड्रोजन का संयोग या किसी यौगिक से ऑक्सीजन का निष्कासन होता है |

ऑक्सीकारक एवं अवकारक – जब कोई पदार्थ ऑक्सीजन प्राप्त करता है , तब कहा जाता है कि वह पदार्थ ऑक्सीकृत हुआ है इसकें विपरीत जब किसी पदार्थ से ऑक्सीजन का निष्कासन होता है तब कहा जाता है कि वह पदार्थ अवकृत हुआ है | जिस पदार्थ का ऑक्सीकृत होता है वह अवकारक कहलाता है तथा जिस पदार्थ का अवकरण होता है , वह ऑक्सीकारक कहलाता है | 

दैनिक जीवन में ऑक्सीजन-अवकरण के प्रभाव 

  1. भोजन का पचना (Digestion of food )– हमारे भोजन में मुख्यत: कार्बोहाइड्रेट रहता है पाचन क्रिया के क्रम में यह स्टार्च ( पॉलीसैकेराइट ) अपघटित होकर ग्लूकोस बनता है जो हमारे शरीर की कोशिकाओं में उपस्थित ऑक्सीजन द्वारा ऑक्सीकृत होकर कार्बन डाइऑक्साइड जल और ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है | श्वास छोड़ने के क्रम में कार्बन डाइऑक्साइड गैस हमारे शरीर से बाहर निकल जाती है और ऊर्जा से हमारे शरीर का ताप कायम रहता है एवं हमें शारीरिक कार्य करने के लिए बल प्राप्त होता है | 
  2. भोजन का दुर्गधित होना ( Food spoilage ) – भोजन में उपस्थित वसा और तेल काफी समय के पश्चात् वायु के ऑक्सीजन द्वारा ऑक्सीकृत हो जाते है जिससे उनके गंध एवं स्वाद अप्रिय हो जाते है |

    कुछ उपायों द्वारा भोजन को दूषित या अप्रिय होने से रोका जा सकता है 

    1. वसायुक्त भोजन में एक विशेष प्रकार का पदार्थ ( सिट्रिक अम्ल, लेसिथिन ) जिसे एंटिऑक्सीडेंट कहते हैं |, मिला देने से भोजन का ऑक्सीजन एक जाता है | 
    2. घरों में भोजन को रेफिजरेटर में रखकर भी उसकें ऑक्सीकरण को कम किया जा सकता है | 
    3. भोजन को वायुरुद्ध बर्तनों में रखकर भी ऑक्सीजन को कम किया जा सकता है | 
  3. संक्षारण ( Corrosion ) – जब कोई धातु ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके धातु का ऑक्साइड बना लेता है उसे संक्षारण कहते है |
  4. दहन की क्रिया ( Combustion )  – सभी पदार्थों में जलने में ऑक्सीकरण अवकरण अभिक्रिया का प्रयोग होता है | 

दहन और ज्वाला ( Corrosion and Flame )

दहन – किसी पदार्थ के ऑक्सीजन में जलने पर ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न होते है जलने की इस क्रिया को दहन कहते हैं | 

दहन में जो पदार्थ जलता है उसे दहनशील या ज्वलन शील पदार्थ कहते हैं | जैसे – लकड़ी, कोयला आदि | 

किछ ऐसे भी पदार्थ है जो जलने नहीं है ये पदार्थ अदहन शील या अज्वलनशील पदार्थ कहलाते हैं जैसे – ईट, पत्थर आदि | 

ऑक्सीजन की अनुपस्थिति स्थिति में दहन-कभी-कभी की प्रक्रिया ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में भी होती है |

नोट – जो पदार्थ दहन की क्रिया में सहायक नहीं होते हैं उन्हें दहन का अपोषक कहते हैं जैसे – कार्बन डाइऑक्साइड गैस | 

दहन के लिए आवश्यक शर्तें – 

दहन की क्रिया के लिए निम्नलिखित तीन शर्तें आवश्यक है –

  1. दहशील पदार्थों की उपस्थिति 
  2. दहन की पोषक पदार्थं की उपस्थिति 
  3. ज्वलन-ताप की प्राप्ति – जिस न्यूनतम ताप पर कोई पदार्थं जलना प्रारंभ कहता है उस ताप को उस पदार्थं का ज्वलन ताप कहते हैं | 

मोमबती की ज्वाला  ( Flame of Candle )

            मोमबती एक ज्वलनशील पदार्थ है जो मोम की बनी होती है मोम ठोस हाइड्रोकर्बनों का मिश्रण होता है मोमबती को जलाने पर मोम पिघलकर बती में ऊपर चढ़ता है तथा वाष्प में परिवर्तित हो जाता है यही वाष्प वायु या ऑक्सीजन से जलकर ज्वाला उत्पन्न करता है जिसे मोमबती की ज्वाला कहते हैं |

मोमबती की ज्वाला की बनावट – मोमबती की ज्वाला में मुख्यत: तीन भाग होते हैं – 

  1. केंद्रीय मंडल ( Central Zone ) – यह नीला देता है इसमें बिना जले हुए मोम के वाष्प रहते हैं यह बती को घेरे रहता है इसमें दहन की क्रिया नहीं होती क्योंकि वाष्प ऑक्सीजन के संपर्क में नहीं आ पाते है इसलिए इस भाग को अदहन का क्षेत्र भी कहा जाता है ज्वाला के इस क्षेत्र का ताप सबसे कम रहता है इस क्षेत्र में दियासलाई की तीली ले जाने पर तीली नहीं जलती है | 
  2. प्रकाशमान मंडल ( Luminous Zone ) – इसमें ऑक्सीजन की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण मोम के वाष्प का अपूर्ण दहन होता है अत: इसमें कार्बन के सूक्ष्म कण उपस्थित रहते है यह ज्वाला का सबसे बड़ा भाग होता है | इसमें से पीला प्रकाश निकलता है इसमें ज्वाला का ताप मृदुल रहता है | 
  3. प्रकाशहीन मंडल ( Nonluminous Zone ) – इस भाग में मोम के वाष्प का पूर्ण दहन होता है क्योंकि इसमें ऑक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त होती है यह ज्वाला का सबसे गर्म भाग होता है इसमें से हल्का लाल प्रकाश निलाता है | 

द्रविभूत पेट्रोलियम गैस ( Liqified petrolium gas )

पेट्रोलियम गैस ब्यूटेन ( C4 H10 ) , प्रोपेन ( C3 H8 ) और एथेन ( C2 H6 ) का मिश्रण है, लेकिन इसका मुख्य अवयव ब्यूटेन है | ब्यूटेन, प्रोपेन और एथेन तीव्रता से जलकर पर्याप्त ऊष्मा प्रदान करते हैं इसलिए पेट्रोलियम गैस एक उत्तम ईंधन है | दाब बढ़ाने वे तीनों गैस असानी से द्रवीमूत हो जाती है इस द्रव को द्रवीमूत पेट्रोलियम गैस कहते हैं यह खाना बनाने के उपयोग में आनेवाली सामान्य गैस है | 

2C4 H10 + 13O →  8CO2 + 10H2 O + ऊष्मा 

द्रवित पेट्रोलियम गैस के सिलिंडरों में एक विशेष प्रकार का खराब गंधयुक्त एथिल मराकैप्टन ( C2 H5 SH ) की अल्प मात्रा मिला दी जाती है ताकि सिलिंडर में कही गैस का रिसाव हो तो उसका पता तुरंत चल जाए | 

 

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