वैश्वीकरण – Bihar Board Class 10th Social Science Question-answer 2023

लघु उत्तरीय प्रश्न 

1. भारत सरकार की नवीन आर्थिक नीति क्या है ? 

उत्तर –भारत सरकार की नवीन आर्थिक नीति ( NEP ) के अंतर्गत वे सभी नीतियाँ सम्मिलित हैं जिन्हें आर्थिक सुधार के रूप में जुलाई 1991 या इसके बाद अपनाया गया | इसमें उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण प्रमुख है | 

2. वैश्वीकरण को प्रोतसाहित करनेवाले किन्हीं दो प्रमुख कारकों का उल्लेख करें | 

 उत्तर – वैश्वीकरण को प्रोत्साहित करनेवाले दो कारक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं – 

  1. प्रौद्योगिकी, विशेषकर परिवहन प्रौद्योगिकी में होनेवाले सुधार | 
  2. सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का विकास |  

3. बहुराष्ट्रीय कंपनी या बहुराष्ट्रीय निगम किसे कहते हैं ? वैश्वीकरण की प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की क्या भूमिका है ? 

उत्तर – एक बहुराष्ट्रीय कंपनी या बहुराष्ट्रीय निगम वह है जिसका एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण या स्वामित्व होता है | इनकी उत्पादक क्रियाएँ किसी एक देश में सीमित न होकर अनेक राष्ट्रों में फैली रहती हैं | 

         बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने विभिन्न देशों के उत्पादन को जोड़ने का कार्य किया है | इन कंपनियों का मुख्य उद्देश्य अधिकतम लाभ अर्जित करना होता है | अतः , ये उन्हीं स्थानों में कार्यालय एवं उत्पादन-संयंत्र स्थापित करती हैं, जहाँ इन्हें सस्ता श्रम तथा अन्य संसाधन उपलब्ध होते हैं | बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश का सबसे सामान्य तरीका अन्य देशों की स्थानीय कंपनियों को खरीदना और उसके बाद उत्पादन का विस्तार करना है | कई बार ये स्थानीय कंपनियों के साथ मिलाकर संयुक्त रूप से उत्पादन करती हैं | इससे वैश्वीकरण की प्रक्रिया तीव्र हुई है | 

4. निजीकरण से आप क्या समझते हैं ? 

उत्तर – निजीकरण की प्रक्रिया भारतीय अर्थव्यवस्था में किए जानेवाले आर्थिक सुधारों से संबंधित है | इस विचारधारा के अनुसार, सरकार का कार्य व्यवसाय करना नहीं है | स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात भारत में सार्जनिक क्षेत्र का बहुत विस्तार हुआ है | लेकिन, सार्वजनिक क्षेत्र का कार्य-संपादन आशा के अनुरूप नहीं हो रहा है | इस क्षेत्र के अधिकांश उपक्रम घाटे में चल रहे हैं, अथवा बहुत कम लाभ अर्जित करते हैं | अतः , भारत सरकार की आर्थिक नीति निजीकरण के पक्ष में है | निजी क्षेत्र अब वैसे उद्योगों में भी प्रवेश कर सकता है जो इसके पूर्व केवल सार्जनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित थे | साथ ही, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शेयर निजी कंपनियों को बेचे जा रहे हैं इससे सरकार का उनपर नियंत्रण कम होगा | 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

1. विश्व व्यापार संगठन क्या है ? यह कब और क्यों स्थापित किया गया ? 

उत्तर – विश्व व्यापार संगठन ( WTO ) विश्व के प्रमुख देशों की एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जिसका उद्देश्य विदेश व्यापार के विस्तार के लिए इसे यथासंभव , मुक्त एवं स्वतंत्र बनाना है | इसकी स्थापना 1995 में हुई | द्वितीय महायुद्ध के समय विश्व के प्रायः सभी देशों में विदेशी व्यापार पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए गए थे | इन प्रतिबंधों के कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार का क्षेत्र संकुचित होता जा रहा था | अतः अंतरराष्ट्रीय व्यापार की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए 1947 में जेनेवा सम्मलेन में एक समझौता हुआ | यह समझौता ‘सामान्य प्रशुल्क एवं व्यापार समझौता’ ( GATT ) कहा गया | अब इसका स्थान विश्व व्यापार संगठन ने ले लिया है | वर्तमान में 164 राष्ट्र विश्व व्यापार संगठन के सदस्य हैं | इसका मुख्यालय जेनेवा में है | 

2. भारत में सामान्य व्यक्ति पर वैश्वीकरण का क्या प्रभाव पड़ा ? 

उत्तर – वैश्वीकरण के प्रभाव से भारत में बड़ी मात्रा में विदेशी पूँजी का आयात हुआ है | विदेशी कंपनियों ने कई जगह अपने कल-कारखाने एवं विक्रय केंद्र स्थापित किए हैं | बाजार में आयातित एवं विदेशी ब्रांड की वस्तुओं का प्रसार बढ़ा है | आम आदमी के लिए इसके निम्नांकित लाभ हैं | 

  1. उपभोग के लिए आधुनिक वस्तुओं एवं सेवाओं की उपलब्धता – भारत के उपभोक्ताओं के लिए विश्व की आधुनिकतम वस्तुएँ बाजार में क्रय के लिए उपलब्ध हैं | इसमें लैपटॉप, कंप्युटर, टेलीविजन, मोबाइल शामिल हैं | मेट्रो रेल जैसी आधुनिक सेवा भी वैश्वीकरण की देन है |  
  2. रोजगार की बढ़ी हुई संभावना – वैश्वीकरण के परिमास्वरूप रोजगार के नए अवसर पैदा हुआ है, यह शिक्षित एवं कुशल श्रमिकों के लिए अधिक लाभप्रद सिद्ध हुआ है, खासकर सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी क्षेत्र में |  
  3. व्यापार एवं उद्योग के क्षेत्र में प्रतियोगिता – बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आने से उत्पादकों के बीच प्रतिस्पर्द्धा बढ़ी है | इसका सीधा लाभ उत्पादक को उत्कृष्ट उत्पाद के रूप में मिला है | प्रतियोगिता से वस्तुओं की गुणवत्ता बढ़ी है | 

वैश्वीकरण के कुछ दुष्प्रभाव निम्नांकित हैं | 

  1. छोटे उत्पादकों एवं श्रमिकों पर संकट – बहुराष्ट्रीय कंपनियों की प्रतिस्पर्द्धा के प्रभाव से कई मध्यम एवं छोटी उत्पादन इकाइयाँ बंद हो गई हैं | कई श्रमिक इस कारण बेरोजगार हो गए हैं | लघु उद्योग में लगभग 2 करोड़ श्रमिक नियोजित हैं | अतः , वैश्वीकरण ने इनके समक्ष रोजी – रोटी की चुनौती खड़ी कर दी है | 
  2. कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र में संकट – कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विकास का संकट है | कम पूँजी निवेश के कारण पिछले 20 वर्षों में इस क्षेत्र की औसत आर्थिक वृद्धि-दर बहुत कम रही है | किसान कर्ज के बोझ से आत्महत्या करने को मजबूर है |                                                                                                                                                  वैश्वीकरण एक सच्चाई हैं, किंतु उपलब्ध प्रमाण यह दर्शाते हैं की आम आदमी को इसका मिश्रित लाभ मिला है | वैश्वीकरण से ज्यादातर धनी उपभोक्ता, कुशल एवं शिक्षित एवं उत्पादनकर्ताओं को ही लाभ पहुँचता है | बढ़ती स्पर्द्धा से छोटे उत्पादक एवं श्रमिक प्रभावित हुए हैं | कृषि आम ग्रामीण क्षेत्र वैश्वीकरण के समुचित लाभ से अब भी वंचित हैं | 

3. भारत में वैश्वीकरण के पक्ष में तर्क दें | 

उत्तर – भारत सरकार की वर्तमान आर्थिक नीति कस उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण के लिए इसमें विश्व स्तर की प्रतिस्पर्द्धात्मक क्षमता का विकास करना है | यह सरकार की पूर्व नीतियों से भिन्न है जिसमें उद्योग और व्यापार पर कई प्रकार से प्रतिबंध लगाए गए थे | 

भारत के लिए वैश्वीकरण कई कारणों से आवश्यक है | 

  1. भारत की आतंरिक बचत पर्याप्त नहीं हैं | पूँजी की कमी हमारे देश के आर्थिक विकास में बाधक सिद्ध होती है | वैश्वीकरण से विदेशी पूँजी निवेश को प्रोतसाहन मिलेगा | 
  2. वैश्वीकरण से भारतीय उद्योगों की उत्पादकता और कुशलता में भी वृद्धि होने की संभावान है | वैश्वीकरण से देश में बहुराष्ट्रीय निगमों का आगमन होता है | ये निगम अपने साथ नवीनतम तकनीक और प्रौद्योगिकी भी लाते हैं जिसके प्रभाव दूरगामी होते हैं | 
  3. वैश्वीकरण से उत्पादकों को विदेशी प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ता है | अतः वे अपनी उत्पादन-विधियों में सुधार लाने के लिए बाध्य हो जाते हैं | इस प्रकार, वैश्वीकरण हमारे देश की प्रतिस्पर्द्धात्मक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होगा | 
  4. भारत जैसे विकासशील देशों में श्रम का बाहुल्य होता है | अतः , वे अपनी निर्यात की वस्तुओं में श्रमप्रधान तकनीक का प्रयोग करते हैं | इससे मजदूरी की दरों तथा श्रमिकों के पारिश्रमिक में वृद्धि होती है | 

4. वैश्वीकरण का बिहार पर पड़े प्रभावों को बताएँ | 

उत्तर – वैश्वीकरण से बिहार की अर्थवयवस्था प्रभावित हुई है तथा यहाँ के बाजारों में विदेशी कंपनियों द्वारा निर्मित मोटरगाड़ीयाँ, सेलफोन, इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन, जूते, सिले-सिलाए कपड़े तथा अन्य कई प्रकार की उताभोक्ता वस्तुएँ उपलब्ध हैं | वैश्वीकरण से राज्य के पर्यटन उद्योग को प्रोत्साहन मिला है तथा विदेशी पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है | 2005 में बिहार में आनेवाले विदेशी पर्यटकों की संख्या लगभग 63 हजार थी, वह सितंबर 2014 तक 1 करोड़ 7 लाख से अधिक हो गई थी | बिहार में विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए इतिहास, धर्म और संस्कृति का विविधतापूर्ण भंडार है | कानून-व्यवस्था तथा अधिसंराचानात्मक सुविधाओं को स्थिति में सुधार होने से राज्य में पर्यटन का एक प्रमुख उद्योग के रूप में विकसित होने की संभावन है |                                                                                                                                                                                                                                                                                      परंतु, राज्य के विकास तथा विदेशी पूँजी निवेश की दृष्टि से बिहार में वैश्वीकरण के प्रभाव सीमित रहे हैं | इसका प्रमुख कारण हमारे राज्य की कमजोर आधार संरचना है | बहुराष्ट्रीय निगमों ने मुख्यतया दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक जैसे पूँजी निवेश एवं औद्योगिक विकासत राज्यों में ही पूँजी का निवेश किया है, जहाँ ये ये सुविधाएँ उपलब्ध हैं | पूँजी निवेश एवं औद्योगिक विकास के लिए विधुत-संयंत्र, प्रमुख उच्च पथ, रेलवे, जलमार्ग, हवाई अड्डे जैसी संरचनात्मक सुविधाएँ अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं | बिहार में इन सुविधाओं की कमी विदेशी निवेशों के मार्ग में एक प्रमुख बाधा है | विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के निवेश वातावरण में सुधार के लिए सड़क अधिसंरचना में सुधार तथा बाढ़-नियंत्रण आवश्यक हैं | 

 

 

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