संबंध और फलन | Relation and Function : Class 11th Maths Notes

क्रमित युग्म (Ordered Pair) – दो अरिक्त समुच्चय A और B दिए रहने पर हम समुच्चय A का कोई अवयव x तथा समुच्चय B का कोई अवयव y लेकर दो युग्म (x, y) या (y, x) बना सकते हैं, जिसे क्रमित युग्म कहते हैं |

दो क्रमित युग्मों की समानता (Equality of two Ordered Pair) : दो क्रमित युग्म ( a1, b1 ) तथा ( a2, b2 ) समान कहलाते हैं यदि a= a2  तथा b1 = b.

समुच्चयों के कार्तीय गुणन (Cartesian Product of set) : यदि A तथा B दो अरिक्त समुच्चय हैं तो A तथा B के कार्तीय गुणन को A x B (A Cross B) द्वारा सूचित किया जाता है तथा निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता है |

A x B = { (x, y) : ∀ x ∈ A, y ∈ B }                        संकेत ‘∀’ – सभी के लिए (For all)

Example :    A = { 1, 2, 3 },        B = { 4, 5 }

A x B = { (1, 4), (1, 5), (2, 4), (2, 5), (3, 4), (3, 5) }

कार्तीय गुणन समुच्चय में अवयवों की संख्या (Number of elements in Cartesian Product Set) : दो परिमित समुच्चयों के कार्तीय गुणन समुच्चय में अवयवों की संख्या उन समुच्चयों के अवयवों की संख्या के गुणनफल के बराबर होता है | यदि n(A) = p और n(B) = q है तो n(AxB) = pxq होगा |

दो समुच्चयों के कार्तीय गुणन का तीर आरेख से निरूपण (Arrow representation of cartesian product of two sets) :

A = { 1, 2, 3 },        B = { 4, 5 }

A x B = { (1, 4), (1, 5), (2, 4), (2, 5), (3, 4), (3, 5) }

संबंध (Relation) : माना के A और B दो अरिक्त समुच्चय हैं तो कार्तीय गुणन समुच्चय AxB के किसी भी उपसमुच्चय R को A से B में एक संबंध कहते हैं | i.e. R ⊆ AxB

यदि (x, y) ∈ R हो तो y को x का प्रतिबिंब (image) कहते हैं तथा x को y का पूर्व-प्रतिबिंब कहते हैं |

संबंध का प्रांत, परिसर और सहप्रांत (Domain, Range and Co-domain of Relation):

यदि R , A से B में संबंध हो (R ⊆ AxB)

प्रांत (Domain) : संबंध R में उपस्थित सभी क्रमित युग्मों के प्रथम घटकों का समुच्चय R का प्रांत या क्षेत्र कहलाता है | Dom(R) = {x: (x, y)∈ R, किसी y∈ B के लिए }

परिसर (Range) : संबंध R में उपस्थित सभी क्रमित युग्मों के द्वितीय घटकों का समुच्चय R का परिसर या परास कहलाता है | Range(R) = {y: (x, y)∈ R, किसी x∈ A के लिए }

सहप्रांत (Co-domain) : यदि R , A से B में एक संबंध हो तो समुच्चय B को संबंध R का सहप्रांत कहते हैं |

किसी समुच्चय पर संबंध (Relation on a set) : माना की A कोई अरिक्त समुच्चय है तो A से A में कोई संबंध R, A पर संबंध कहलाता है | i.e. R ⊆ Ax A

संबंध का निरूपण (Representation of a Relation) : किसी समुच्चय A से B में कोई संबंध R को निरुपित करने की विधियाँ –

  1. रोस्टर रूप (Roster Form ); इस रूप में संबंध के अवयवों को एक-एक कर कॉमा देकर लिखा जाता है |
  2. समुच्चय निर्माण रूप (Set builder form) : इस विधि में संबंध R को R = {(x, y) : x∈ A, y∈ B तथा x ………बीच का संबंध……..y}  से निरुपित किया जाता है |
  3. तीर आरेख द्वारा (By Arrow diagram) : यदि (x, y) ∈ R , x∈ A, y∈ B हो तो A के अवयव x को B के अवयव y से तीर द्वारा मिलाया जाता है |
  4. सारणी रूप (Tabular Form) : इस रूप में A से B में संबंध को निरुपित करने के लिए A तथा B अवयवों को क्रमशः प्रथम स्तंभ एवं प्रथम पंक्ति में लिखा जाता है | यदि (x, y) ∈R तो हम x के सामने पंक्ति तथा y के सामने वाले स्तम्भ में 1 लिखते है अगर (x, y)∉ R तो हम x के सामने पंक्ति तथा y के सामने वाले स्तम्भ में 0 लिखते है |
  5. ग्राफ द्वारा निरूपण (Representation by Graph) : संबंध निरूपण के इस विधि में R में स्थित क्रमित युग्मों को  लेकर इनके प्रथम घटकों को x-अक्ष पर तथा द्वितीय घटकों को y-अक्ष पर दिखाकर क्रमश: y-अक्ष और x-अक्ष के समान्तर रेखा खीचकर उन्हें डार्क बिन्दुओं से दर्शाते हैं |

फलन (Function) : माना A तथा B अरिक्त समुच्चय है तो A से B में फलन एक नियम f है जो A के प्रत्येक अवयव को B के एक अद्वितीय अवयव से संबंधित करता है | यदि f, A से B में एक फलन हो तो इसे f : A → B लिखा जाता है | यदि (x, y) ∈ f हो तो y को x का नियम f के अधीन प्रतिबिंब कहा जाता है तथा x को y का नियम f के अधीन पूर्व-प्रतिबिंब कहते हैं |

  • f के A से B में फलन होने के लिए :
  1. A और B अरिक्त समुच्चय होना चाहिए |
  2. A के प्रत्येक अवयव का नियम f के अधीन B में प्रतिबिंब मिलना चाहिए |
  3. A के किसी अवयव का प्रतिबिंब B में एक से अधिक नहीं होना चाहिए |

Example :

उदहारण (i) तथा (ii) A से B में फलन है लेकिन (iii) तथा (iv) A से B में फलन नहीं है | क्योंकि (iii) A के अवयव 2 का प्रतिबिंब के से अधिक है | (iv) A के अवयव 3 का प्रतिबिंब B में नहीं है |

फलन का प्रांत, परिसर और सहप्रांत (Domain, Range and Co-domain of Function):

माना f : A → B हो तो

प्रांत (Domain) : समुच्चय A को फलन f का प्रांत कहते हैं |इसे dom(f) से सूचित किया जाता है | dom(f) = A

परिसर (Range) : फलन f के अधीन A के सभी अवयवों के प्रतिबिंबों के समुच्चय को फलन f का परिसर कहते हैं | इसे  range f  या f(A) से सूचित किया जाता है | f(A)  ={f(x) : ∀ x∈ A}

सहप्रांत (Co-domain) : समुच्चय B को फलन f का सहप्रांत कहते हैं | इसे Co-dom(f) से सूचित किया जाता है | Co-dom(f) = B

वास्तविक फलन या वास्तविक चर का वास्तविक मान वाला फलन (Real Function or Real Valued function of a Real Variable) : यदि किसी फलन का प्रांत तथा परिसर दोनों R के उपसमुच्चय हों तो ऐसे फलन को वास्तविक फलन कहते हैं |

कुछ वास्तविक फलन (Some Real Function) :

  1. अचर फलन (Constant Function) : माना कि f : R → R अचर फलन  कहलाता है यदि  f(x) = c, c कोई निश्चित वास्तविक संख्या है | Dom (f) = R, range(f) = {c}
  2. शून्य फलन (Zero Function) : फलन f :R → R शून्य फलन  कहलाता है यदि  f(x) = 0, ∀ x ∈ R | Dom (f) = R, range(f) = {0}
  3. रैखिक फलन (Linear Function) : फलन f :R → R रैखिक फलन  कहलाता है यदि  f(x) = ax+ b, ∀ x ∈ R तथा a, b कोई निश्चित वास्तविक संख्याएँ है | Dom (f) = R, range(f) = R
  4. तत्समक फलन (Identity Function) : फलन f :R → R तत्समक फलन  कहलाता है यदि  f(x) = x, ∀ x ∈ R | Dom (f) = R, range(f) = R
  5. मापांक फलन या निरपेक्ष मान फलन (Modulus Function) : फलन f :R → R तत्समक फलन  कहलाता है यदि  f(x) = |x| = -x, x≤ 0 ; x , x ≥ 0 . Dom (f) = R, range(f) = [0 , ∞ )
  6. महत्तम पूर्णांक फलन (Greatest Integer Function) : फलन f :R → R जो निम्न प्रकार परिभाषित है, महत्तम पूर्णांक फलन कहलाता है | Dom (f) = R, range(f) = Z
  7. निम्नतम पूर्णांक फलन (Lowest Integer Function) : फलन f :R → R जो निम्न प्रकार परिभाषित है, निम्नतम पूर्णांक फलन कहलाता है | Dom (f) = R, range(f) = Z
  8. आंशिक भाग फलन (Fractional Part Function) : फलन f :R → R जो निम्न प्रकार परिभाषित है, आंशिक भाग फलन कहलाता है | f(x) = {x} = x- [x] , जहाँ  [x] = महत्तम पूर्णांक फलन है |
  9. चिन्ह फलन (Signum Function) : फलन f :R → R जो निम्न प्रकार परिभाषित है, चिन्ह फलन कहलाता है | 
  10. चर घातांक फलन (Exponential Function) : यदि a > 0, a ≠ 1 तो फलन f : R → R, जो निम्न प्रकार परिभाषित है, चर घातांक फलन कहलाता है | f(x) = ax  ; Dom (f) = R, range(f) = (0, )
  11. लघुगणकीय फलन (Logarithmic Function) : यदि a > 0, a ≠ 1 तो फलन f जो f(x) = loga x, x>0  से परिभाषित है, a आधार पर लघुगणकीय फलन कहलाता है | Dom (f) = (0, ), range(f) = (- , )
  12. व्युत्क्रम फलन (Reciprocal Function) : फलन f : R – {0} → R जो f(x) = 1/x , x≠ 0 से परिभाषित है, व्युत्क्रम फलन कहलाता है | Dom (f) = R- {0}, range(f) = R- {0}
  13. वर्गमूल फलन (Square root Function) ; यदि x ≥ 0 तो फलन f(x) = √x  को वर्गमूल फलन कहते हैं | Dom (f) = [0 , ∞) , range(f) =[0 , ∞)
  14. वर्ग फलन (Square Function) : फलन f :R → R वर्ग फलन  कहलाता है यदि  f(x) = x2 , ∀ x ∈ R | Dom (f) = R, range(f) = [0, ∞ )
  15. घन फलन (Cube Function) : फलन f :R → R घन फलन  कहलाता है यदि  f(x) = x3 , ∀ x ∈ R | Dom (f) = R, range(f) = R
  16. घनमूल फलन (Cube root Function) : फलन f :R → R घनमूल फलन  कहलाता है यदि  , ∀ x ∈ R | Dom (f) = R, range(f) = R
  17. बहुपद फलन (Polynomial Function) : फलन f :R → R बहुपद फलन  कहलाता है यदि  f(x) = a0 + a1x + a2x2 + a3x3 + . . . . . . . . . + anxn . जहाँ a0 , a1 ,a2 ,a3 , . . . . . . . . . , an ∈ R और n एक पूर्ण संख्या है | Dom (f) = R
  18. परिमेय फलन (Rational Function) : यदि f(x) और g(x) , x में बहुपद फलन हों तो f(x)/g(x) , g(x)≠ 0,  x का एक परिमेय फलन होगा |

फलन का मान (Value of a Function) : फलन f  का मान x= a पर f(x) में के स्थान पर a रखने पर प्राप्त होता है तथा इस मान को f(a) से सूचित किया जाता है |

जैसे :  f(x) = x2 + 2x +5, तो f का मान x = 2 पर , f(2) = (2)2 + 2(2) +5 = 4+ 4 + 5 = 13

समान फलन (Equal Function) : दो फलन f तथा g समान कहलाता है यदि  (i) Dom(f) = Dom(g), (ii) f(x)= g(x), ∀ x ∈ f या g

जैसे : माना A ={0, 2},  B ={1, 2, 3, 4, 5}

f ; A→ B जो f(x) = 2x + 1 से परिभाषित है तथा g : A → B जो g(x) = x2 + 1 से परिभाषित है |

Dom(f) = Dom(g) = A

f(0) = 2(0) + 1 = 0+ 1 = 1, g(0) = (0)2 + 1 = 0 +1 = 1 ⇒ f(0)= g(0)

f(2) = 2(2) + 1 = 4+ 1 = 5,

क्रमित युग्म (Ordered Pair) – दो अरिक्त समुच्चय A और B दिए रहने पर हम समुच्चय A का कोई अवयव x तथा समुच्चय B का कोई अवयव y लेकर दो युग्म (x, y) या (y, x) बना सकते हैं, जिसे क्रमित युग्म कहते हैं |

दो क्रमित युग्मों की समानता (Equality of two Ordered Pair) : दो क्रमित युग्म ( a1, b1 ) तथा ( a2, b2 ) समान कहलाते हैं यदि a= a2  तथा b1 = b.

समुच्चयों के कार्तीय गुणन (Cartesian Product of set) : यदि A तथा B दो अरिक्त समुच्चय हैं तो A तथा B के कार्तीय गुणन को A x B (A Cross B) द्वारा सूचित किया जाता है तथा निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता है |

A x B = { (x, y) : ∀ x ∈ A, y ∈ B }                        संकेत ‘∀’ – सभी के लिए (For all)

Example :    A = { 1, 2, 3 },        B = { 4, 5 }

A x B = { (1, 4), (1, 5), (2, 4), (2, 5), (3, 4), (3, 5) }

कार्तीय गुणन समुच्चय में अवयवों की संख्या (Number of elements in Cartesian Product Set) : दो परिमित समुच्चयों के कार्तीय गुणन समुच्चय में अवयवों की संख्या उन समुच्चयों के अवयवों की संख्या के गुणनफल के बराबर होता है | यदि n(A) = p और n(B) = q है तो n(AxB) = pxq होगा |

दो समुच्चयों के कार्तीय गुणन का तीर आरेख से निरूपण (Arrow representation of cartesian product of two sets) :

A = { 1, 2, 3 },        B = { 4, 5 }

A x B = { (1, 4), (1, 5), (2, 4), (2, 5), (3, 4), (3, 5) }

संबंध (Relation) : माना के A और B दो अरिक्त समुच्चय हैं तो कार्तीय गुणन समुच्चय AxB के किसी भी उपसमुच्चय R को A से B में एक संबंध कहते हैं | i.e. R ⊆ AxB

यदि (x, y) ∈ R हो तो y को x का प्रतिबिंब (image) कहते हैं तथा x को y का पूर्व-प्रतिबिंब कहते हैं |

संबंध का प्रांत, परिसर और सहप्रांत (Domain, Range and Co-domain of Relation):

यदि R , A से B में संबंध हो (R ⊆ AxB)

प्रांत (Domain) : संबंध R में उपस्थित सभी क्रमित युग्मों के प्रथम घटकों का समुच्चय R का प्रांत या क्षेत्र कहलाता है | Dom(R) = {x: (x, y)∈ R, किसी y∈ B के लिए }

परिसर (Range) : संबंध R में उपस्थित सभी क्रमित युग्मों के द्वितीय घटकों का समुच्चय R का परिसर या परास कहलाता है | Range(R) = {y: (x, y)∈ R, किसी x∈ A के लिए }

सहप्रांत (Co-domain) : यदि R , A से B में एक संबंध हो तो समुच्चय B को संबंध R का सहप्रांत कहते हैं |

किसी समुच्चय पर संबंध (Relation on a set) : माना की A कोई अरिक्त समुच्चय है तो A से A में कोई संबंध R, A पर संबंध कहलाता है | i.e. R ⊆ Ax A

संबंध का निरूपण (Representation of a Relation) : किसी समुच्चय A से B में कोई संबंध R को निरुपित करने की विधियाँ –

  1. रोस्टर रूप (Roster Form ); इस रूप में संबंध के अवयवों को एक-एक कर कॉमा देकर लिखा जाता है |
  2. समुच्चय निर्माण रूप (Set builder form) : इस विधि में संबंध R को R = {(x, y) : x∈ A, y∈ B तथा x ………बीच का संबंध……..y}  से निरुपित किया जाता है |
  3. तीर आरेख द्वारा (By Arrow diagram) : यदि (x, y) ∈ R , x∈ A, y∈ B हो तो A के अवयव x को B के अवयव y से तीर द्वारा मिलाया जाता है |
  4. सारणी रूप (Tabular Form) : इस रूप में A से B में संबंध को निरुपित करने के लिए A तथा B अवयवों को क्रमशः प्रथम स्तंभ एवं प्रथम पंक्ति में लिखा जाता है | यदि (x, y) ∈R तो हम x के सामने पंक्ति तथा y के सामने वाले स्तम्भ में 1 लिखते है अगर (x, y)∉ R तो हम x के सामने पंक्ति तथा y के सामने वाले स्तम्भ में 0 लिखते है |
  5. ग्राफ द्वारा निरूपण (Representation by Graph) : संबंध निरूपण के इस विधि में R में स्थित क्रमित युग्मों को  लेकर इनके प्रथम घटकों को x-अक्ष पर तथा द्वितीय घटकों को y-अक्ष पर दिखाकर क्रमश: y-अक्ष और x-अक्ष के समान्तर रेखा खीचकर उन्हें डार्क बिन्दुओं से दर्शाते हैं |

फलन (Function) : माना A तथा B अरिक्त समुच्चय है तो A से B में फलन एक नियम f है जो A के प्रत्येक अवयव को B के एक अद्वितीय अवयव से संबंधित करता है | यदि f, A से B में एक फलन हो तो इसे f : A → B लिखा जाता है | यदि (x, y) ∈ f हो तो y को x का नियम f के अधीन प्रतिबिंब कहा जाता है तथा x को y का नियम f के अधीन पूर्व-प्रतिबिंब कहते हैं |

  • f के A से B में फलन होने के लिए :
  1. A और B अरिक्त समुच्चय होना चाहिए |
  2. A के प्रत्येक अवयव का नियम f के अधीन B में प्रतिबिंब मिलना चाहिए |
  3. A के किसी अवयव का प्रतिबिंब B में एक से अधिक नहीं होना चाहिए |

Example :

उदहारण (i) तथा (ii) A से B में फलन है लेकिन (iii) तथा (iv) A से B में फलन नहीं है | क्योंकि (iii) A के अवयव 2 का प्रतिबिंब के से अधिक है | (iv) A के अवयव 3 का प्रतिबिंब B में नहीं है |

फलन का प्रांत, परिसर और सहप्रांत (Domain, Range and Co-domain of Function):

माना f : A → B हो तो

प्रांत (Domain) : समुच्चय A को फलन f का प्रांत कहते हैं |इसे dom(f) से सूचित किया जाता है | dom(f) = A

परिसर (Range) : फलन f के अधीन A के सभी अवयवों के प्रतिबिंबों के समुच्चय को फलन f का परिसर कहते हैं | इसे  range f  या f(A) से सूचित किया जाता है | f(A)  ={f(x) : ∀ x∈ A}

सहप्रांत (Co-domain) : समुच्चय B को फलन f का सहप्रांत कहते हैं | इसे Co-dom(f) से सूचित किया जाता है | Co-dom(f) = B

वास्तविक फलन या वास्तविक चर का वास्तविक मान वाला फलन (Real Function or Real Valued function of a Real Variable) : यदि किसी फलन का प्रांत तथा परिसर दोनों R के उपसमुच्चय हों तो ऐसे फलन को वास्तविक फलन कहते हैं |

कुछ वास्तविक फलन (Some Real Function) :

  1. अचर फलन (Constant Function) : माना कि f : R → R अचर फलन  कहलाता है यदि  f(x) = c, c कोई निश्चित वास्तविक संख्या है | Dom (f) = R, range(f) = {c}
  2. शून्य फलन (Zero Function) : फलन f :R → R शून्य फलन  कहलाता है यदि  f(x) = 0, ∀ x ∈ R | Dom (f) = R, range(f) = {0}
  3. रैखिक फलन (Linear Function) : फलन f :R → R रैखिक फलन  कहलाता है यदि  f(x) = ax+ b, ∀ x ∈ R तथा a, b कोई निश्चित वास्तविक संख्याएँ है | Dom (f) = R, range(f) = R
  4. तत्समक फलन (Identity Function) : फलन f :R → R तत्समक फलन  कहलाता है यदि  f(x) = x, ∀ x ∈ R | Dom (f) = R, range(f) = R
  5. मापांक फलन या निरपेक्ष मान फलन (Modulus Function) : फलन f :R → R तत्समक फलन  कहलाता है यदि  f(x) = |x| = -x, x≤ 0 ; x , x ≥ 0 . Dom (f) = R, range(f) = [0 , ∞ )
  6. महत्तम पूर्णांक फलन (Greatest Integer Function) : फलन f :R → R जो निम्न प्रकार परिभाषित है, महत्तम पूर्णांक फलन कहलाता है | Dom (f) = R, range(f) = Z
  7. निम्नतम पूर्णांक फलन (Lowest Integer Function) : फलन f :R → R जो निम्न प्रकार परिभाषित है, निम्नतम पूर्णांक फलन कहलाता है | Dom (f) = R, range(f) = Z
  8. आंशिक भाग फलन (Fractional Part Function) : फलन f :R → R जो निम्न प्रकार परिभाषित है, आंशिक भाग फलन कहलाता है | f(x) = {x} = x- [x] , जहाँ  [x] = महत्तम पूर्णांक फलन है |
  9. चिन्ह फलन (Signum Function) : फलन f :R → R जो निम्न प्रकार परिभाषित है, चिन्ह फलन कहलाता है | 
  10. चर घातांक फलन (Exponential Function) : यदि a > 0, a ≠ 1 तो फलन f : R → R, जो निम्न प्रकार परिभाषित है, चर घातांक फलन कहलाता है | f(x) = ax  ; Dom (f) = R, range(f) = (0, )
  11. लघुगणकीय फलन (Logarithmic Function) : यदि a > 0, a ≠ 1 तो फलन f जो f(x) = loga x, x>0  से परिभाषित है, a आधार पर लघुगणकीय फलन कहलाता है | Dom (f) = (0, ), range(f) = (- , )
  12. व्युत्क्रम फलन (Reciprocal Function) : फलन f : R – {0} → R जो f(x) = 1/x , x≠ 0 से परिभाषित है, व्युत्क्रम फलन कहलाता है | Dom (f) = R- {0}, range(f) = R- {0}
  13. वर्गमूल फलन (Square root Function) ; यदि x ≥ 0 तो फलन f(x) = √x  को वर्गमूल फलन कहते हैं | Dom (f) = [0 , ∞) , range(f) =[0 , ∞)
  14. वर्ग फलन (Square Function) : फलन f :R → R वर्ग फलन  कहलाता है यदि  f(x) = x2 , ∀ x ∈ R | Dom (f) = R, range(f) = [0, ∞ )
  15. घन फलन (Cube Function) : फलन f :R → R घन फलन  कहलाता है यदि  f(x) = x3 , ∀ x ∈ R | Dom (f) = R, range(f) = R
  16. घनमूल फलन (Cube root Function) : फलन f :R → R घनमूल फलन  कहलाता है यदि  , ∀ x ∈ R | Dom (f) = R, range(f) = R
  17. बहुपद फलन (Polynomial Function) : फलन f :R → R बहुपद फलन  कहलाता है यदि  f(x) = a0 + a1x + a2x2 + a3x3 + . . . . . . . . . + anxn . जहाँ a0 , a1 ,a2 ,a3 , . . . . . . . . . , an ∈ R और n एक पूर्ण संख्या है | Dom (f) = R
  18. परिमेय फलन (Rational Function) : यदि f(x) और g(x) , x में बहुपद फलन हों तो f(x)/g(x) , g(x)≠ 0,  x का एक परिमेय फलन होगा |

फलन का मान (Value of a Function) : फलन f  का मान x= a पर f(x) में के स्थान पर a रखने पर प्राप्त होता है तथा इस मान को f(a) से सूचित किया जाता है |

जैसे :  f(x) = x2 + 2x +5, तो f का मान x = 2 पर , f(2) = (2)2 + 2(2) +5 = 4+ 4 + 5 = 13

समान फलन (Equal Function) : दो फलन f तथा g समान कहलाता है यदि  (i) Dom(f) = Dom(g), (ii) f(x)= g(x), ∀ x ∈ f या g

जैसे : माना A ={0, 2},  B ={1, 2, 3, 4, 5}

f ; A→ B जो f(x) = 2x + 1 से परिभाषित है तथा g : A → B जो g(x) = x2 + 1 से परिभाषित है |

Dom(f) = Dom(g) = A

f(0) = 2(0) + 1 = 0+ 1 = 1, g(0) = (0)2 + 1 = 0 +1 = 1 ⇒ f(0)= g(0)

f(2) = 2(2) + 1 = 4+ 1 = 5, g(2) = (2)2 + 1 = 4 +1 = 5 ⇒ f(2)= g(2)

∴ f= g

दो वास्तविक फलनों क बीजगणित (Algebra of Real Functions) : माना f : X→ R  तथा g : X → R दो वास्तविक फलन हैं , जहाँ X ⊆ R.

  1. दो वास्तविक फलनों का योग (Sum of two Real Functions) :  फलन f + g : X  → R निम्न प्रकार परिभाषित करते हैं  : (f + g)(x) = f(x) + g(x) , प्रत्येक x ∈ X के लिए
  2. दो वास्तविक फलनों का अंतर (Difference of two Real Functions) :  फलन f – g : X  → R निम्न प्रकार परिभाषित करते हैं  : (f – g)(x) = f(x) – g(x) , प्रत्येक x ∈ X के लिए
  3. दो वास्तविक फलनों का गुणन (Product of two Real Functions) :  फलन f. g : X  → R निम्न प्रकार परिभाषित करते हैं  : (f.g)(x) = f(x). g(x) , प्रत्येक x ∈ X के लिए
  4. दो वास्तविक फलनों का गुणन (Product of two Real Functions) :  फलन f/ g : X  → R निम्न प्रकार परिभाषित करते हैं  : (f/g)(x) = f(x)/g(x) , प्रत्येक x ∈ X के लिए
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