हमारे परिवेश के पदार्थ | Matter in our surrounding | Class 9th Chemistry | Hindi Medium

पदार्थ- कोई भी वस्तु जो कुछ स्थान घेरें , जिसमे द्रव्यमान एवम् आयतन हो और जो अवरोध उत्पन्न करें , पदार्थ कहलाती है | जैसे- कुर्सी , टेबल , दूध , पानी , हवा आदि | 

द्रव्यमान – वस्तु का वजन , आयतन – वस्तु द्वारा अधिकृत स्थान , अवरोध – वस्तु के द्वारा मार्ग में उत्पन्न रूकावट 

द्रव्य ( Substance )- द्रव्य एक प्रकार का पदार्थ है जिसे किसी भी भैतिक प्रक्रिया की सहायता से पदार्थ के अन्य प्रकारों में विभक्त नही किया जा सकता है | जैसे- चीनी , सोडियम क्लोराइड , चुना इत्यादि | 

पदार्थ की भौतिक प्रकृति – 

  1. पदार्थ अत्यंत सूक्ष्म कणों का बना होता है | 
  2. पदार्थ के कण अनवरत गतिशील रहते है | 
  3. पदार्थ के कण एक दुसरें को आकर्षित करने है, जिसे अंतरा-अणुक आकर्षण बल कहते है 
  4. पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होते है, जिसे अंतरा-अणुक स्थान कहते है |   

पदार्थ का वर्गीकरण ( Classification of matter )– पदार्थ के भैतिक गुणों के आधार पर तीन भागो में बाँटा गया है | 

  1. ठोस       2. द्रव        3. गैस  

 ठोस पदार्थ के गुण – 

  1. ठोस पदार्थ की आकृति और उसके आयतन निश्चित होते है | 
  2. ठोस पदार्थो का घनत्व उच्च होता है | 
  3. ठोस पदार्थो के द्रवनांक और क्वथनांक प्राय: उच्च होते है |
  4. ठोस पदार्थो कठोर और दृढ़ होते है | 
  5. ठोस पदार्थ असंपीडय ( पदार्थ पर दाब बढ़कर या घटाकर आयतन क्रमशः घटाया या बढाया जा सकता है ) होता है | 
  6. ठोस पदार्थो के बहाव की प्रवृति नहीं होती है | 
  7. ठोस पदार्थ के गर्म या ठंडा करने पर इसका क्रमश प्रसार ( फैलाव ) या संकुचन ( सिकुड़न ) बहुत ही काम होती है | 
  8. समायत: ठोस में विसरण की क्रिया नही होती है | 

 उर्ध्वपातन ( Sublimation )– वह प्रक्रिया जिसमे कोई ठोस प्रदार्थ गर्म किए जाने पर द्रव में परिगत हुए बिना सीधे वाष्प की अवस्था में बदल जाता है और उस वाष्प को ठंडा करने पर वह बिना द्रव में परिणत हुए सीधे ठोस की मूल अवस्था में परिवर्तित हो जाता है , उर्ध्वयान कहलाती है | जैसे – आयोडीन , कपूर इत्यादि | 

विसरण ( Diffusion )– विसरण वह प्रक्रिया है , जिसमे किसी द्रव्य के कण किसी अन्य द्रव्य में प्रवेश करते है | 

द्रव के सामान्य गुण – 

  1. द्रव की आकृति निश्चित नहीं छोटी , किंतु उसका आयतन निश्चित होता है | 
  2. द्रव का घनत्व उसके ठोस के घनत्व से कम होता है | 
  3. द्रव्य प्रायः असंपीडय होते है | 
  4. द्रव के द्रवणांक और क्वथनांक ठोस पदार्थो से प्रायः कम होते है | 
  5. द्रव पदार्थो में बहाव की प्रकृति पाई जाती है | 
  6. द्रव में परस्पर मिश्रित होने की प्रवृति पाई जाती है या द्रवों में विसरण की क्रिया होती है | 
  7. द्रव के कणों में ठोस की तुलना में अंतरा – अणुक बल कम होता है |

द्रव की जमना ( Freezing of liquid )– किसी भी द्रव का ठोस के रूप में परिवर्तन द्रव का जमना कहलाता है | 

वाष्पन ( Evaporation )– किसी द्रव का कमरें के ताप या द्रव के क्वथनांक के नीचे के तापों पर वाष्प बनाकर धीरे – धीरे वायुमंडल में जाने की प्रक्रिया वाश्पन् कहलाती है | 

द्रव का वाष्पन निंनलिखित बातो पर निर्भर करता है | 

  1. द्रव की प्रकृति 
  2. द्रव की ताप 
  3. द्रव का पृष्ठीय क्षेत्रफल 
  4. वायु का वेग 
  5. वायु में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा – आर्द्रता 

नोट – वाष्पन की क्रिया द्रव की सतह पर होती है | सतह पर के द्रव के कण द्रव के भीतरी भाग से ऊष्मा ऊर्जा ग्रद्वन करके अत्यधिक ऊर्जा प्राप्त कर लेते है जिससे में गैस के रूप में वायु में चले जाते है इससे द्राव का ताप कम तो जाती है और वह ठंडा हो जाता है 

जैसे – मिट्टी के बरतन में रखे पानी का ठंडा होता | 

क्वथनांक ( Boiling point )– जिस ताप पर द्रव उबलना प्रारंभ करता है उस ताप को द्रव का क्वथनांक कहते है और यह प्रक्रिया क्वथनांक या उबलना कहलाती है | 

नोट – 

  1. वायुमंडल का दाब अधिक रहने पर द्रव का क्वथनांक भी बढ़ जाता है और वायुमंडल का दाब कम रहने पर द्रव का क्वथनांक भी कम हो जाता है | 
  2. द्रव में अशुध्दियों रहने पर क्वथनांक बढ़ जाता है | 

गैसों के सामान्य गुण – 

  1. गैस की न तो कोई निश्चित आकृती होती है और न कोई निश्चित आयतन | 
  2. ठोस और द्रवों को तुलना में गैसों के घनत्व कम होते है | 
  3. गैसों के द्रवणांक और क्वथनांक कमरें के ताप से कम होते है | 
  4. गैसों की संपीडयता बहुत अधिक होती है 
  5. गर्म या ठंडा करनें पर गैसे को क्रमशः प्रसरित या संकुचित किया जा सकता है | 
  6. गैसों में विसरण की प्रवृति पायी जाती है | 
  7. गैसों के कणों के बीच अंतरा – अणुक स्थान बहुत अधिक होता है | गैसों के कणों के बीच अंतरा – अणुक आकर्षण बल बहुत कम होता है |

गैसों का संघनन (condensation of gases) – पदार्थ के गैसीय अवस्था का द्रव रूप में परिवर्तन गैस का संघनन कहलाता है |

क्रांतिक ताप (critical temperature) – जिस निश्चित ताप से अधिक ताप पर गैस संघनित हो ही नहीं सकता , चाहें उसका दाब कितना की बढ़ा दिया जाए , इस ताप को क्रांतिक ताप कहते है | 

गैस का दाब ( Pressure of gas )- बर्तन के दीवारों के प्रति इकाई क्षेत्रफल पर गैस के कणों द्वारा आरोपित बल गैस का दाब कहलाता है |

वायु का दाब वायुमंडलीय दाब कहलाता है समुद्र – तल वायु का दाब वायुमंडल कहलाता है | 

  1. वायुमंडल दाब =    , दाब का SI मात्रक पास्कल ( Pa ) होता है | 

पदार्थ की अवस्थाओं में पारस्परिक परिवर्तन

पदार्थ का द्रवणांक ( Melting point )– वायुमंडलीय दाब पर वह ताप जिसपर कोई ठोस पदार्थ द्रव अवस्थ में परिवर्तन होना प्रारंभ करता है उसे हम उस ठोस पदर्थ का  द्रवणांक कहते है | 

द्रवण की गुप्त ऊष्मा ( Latent heat of fusion )– वायुमंडलीय दाब पर किसी ठोस पदार्थ के 1 kg को उसके द्रवणांक पर द्रव-अवस्था में परिवर्तन करने के लिए आवश्यक  ऊष्मा को उस ठोस पदार्थ के द्रवण को गुप्त ऊष्मा कहते है | 

बर्फ का द्रवणांक =0°C

बर्फ का द्रवण की गुप्त ऊष्मा =

द्रव का क्वथनांक ( Boiling point )– जिस ताप पर कोई पदार्थ द्रव की अवस्था से गैसीय या वाष्प की अवस्था में परिवर्तित होना प्रारंभ करना है | वह ताप द्रव का क्वथनांक कतालाता है | 

वाष्पन की गुप्त ऊष्मा ( Latent heat of evaporation )– वायुमंडलीय कब पर किसी द्रव के 1 kg को उसके क्वथनांक पर ताप में बिना परिवर्तन लाए द्रव अवस्था से गैसीय अवस्था में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक ऊष्मा को उस द्रव के वाष्पन की गुप्त ऊष्मा कहते है | 

जल का क्वथनांक = 100°C 

जल के वाष्पन की गुप्त ऊष्मा =

द्रव का हिमांक ( Freezing point )– वह पट जिसपर कोई पदार्थ स्राव की अवस्था से ठोस की अवस्था में परिवर्तित होता है द्रव का हिमांक कहलाता है और यह प्रक्रिया द्रव का जमना   ( Freezing ) कहलाती है | 

0 °और K केल्विन में संबंध 

0 ° C = 273.5 K या 273 K 

(i ) केल्विन माप = ( 273 + सेल्सियस माप ) K 

(ii ) सेल्सियस माप = ( 273 – केल्विन माप ) o ° c  

पदार्थ के अन्य दो अवस्थाएँ – 

  1. प्लाज्मा अवस्था– प्लाज्मा अवस्था में पदार्थ अत्यधिक आयनीकृत गैस के रूप में रहता है इसमे पदार्थ के कणअति उर्जावान और अति उत्तेजित अवस्था में रहते है | पदार्थ की प्लाजमा अवस्था का उपयोग प्रतितीप्त टयूब और नियाँन संकेत वाले बल्ब के निर्माण किया जाता है |

        2. बोस -आईन्स्टाईन-कंडेंसेट   : – पदार्थ की एक अवस्था जिसमें गैस को अतिशीलता करके प्राप्त किया जाता है | इस अवस्था की सबसे पहले 1920 में           भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्रनाथ बोस ने अनुमान लगाया |     

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