मानव जीवन की किशोरावस्था | किशोरावस्था की विशेषताएँ | किशोरावस्था में होने वाली गलतियां

किशोरावस्था क्या है ? 

जब बालक या बालिका 13 वर्ष की आयु के हो जाते है तो उनके शरीर में कुछ परिवर्तन आने सुरु हो जाते है | जैसे – शारीर पर बाल आने सुरु होना, दाढ़ी का निकलना शुरू होना, जनन अंगो का परिपक्व होना | यह परिवर्तन 13 वर्ष से 18 वर्ष तक होती है | इस अवस्था को किशोरावस्था कहते है |

किशोरावस्था की विशेषताएं  –

स्वतंत्रता एवं विद्रोह की भावना –  

किशोरावस्था में स्वतंत्रता की भावना प्रबल होती है  | इस अवस्था में बालक या बालिका परिवार एवं समाज के परम्पराओ ,रीति-रिवाजो, अन्धविश्वासो एवं समाज को स्वीकार नही करता है | वह बंधकर जीवन व्यतीत नही करना चाहता है |किसी भी बात पर वह बिना तर्क के स्वीकार नही करता है | यदि आप उसपर कोई प्रतिबन्ध लगाना चाहते है तो वह विद्रोह करने का प्रयास करता है |

अपराध परिवृति की भावना –

इस अवस्था में इक्षापूर्ति नही होने या बाधा आने पर अपराध प्रविर्ती का विकास होता है | जैसे – अगर माँ-बाप कोई काम करने से मना करे तो घर छोड़ने या आत्म हत्या का मन करता है या माँ-बाप से झगड़ने का मन करता है |

चटोर की प्रविर्ती –

कोशोरावस्था में बाहर की खाद्यपदर्थो  को अधिक से अधिक खाने का मन करता है | किशोर-किशोरी अधिक से अधिक पैसे बाहरी खाद्यपदर्थो को खाने में खर्च कर देते है |

शारीरिक विकास –

किशोरावस्था में शारीरिक विकास तेजी से होता है | जैसे – भार में वृद्धि , शारीरिक ढाचे और मांसपेशियो में वृद्धि ,  किशोरियों के वक्ष स्थल और कुल्हो में विकास होने लगता है |

मानसिक विकास –

किशोरावस्था में मानसिक योग्यता का पूर्ण विकास हो जाता है |कल्पना , स्मृति , तर्कशक्ति , निर्णय लेने की क्षमता अधिक विकसित हो जाती है | वह सामजिक, राजनैतिक एवं अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओ में रूचि लेने लगता है |

स्थिरता का अभाव – 

इस अवस्था में इसके व्यवहार में तेजी से परिवर्तन आता है |उनके विचार हमेशा बदलते रहते है | वह सही निर्णय या गलत निर्णय में समायोजन स्थापित नही कर पता है |

घनिष्ठ मित्रता –

इस अवस्था में किशोर- किशोरियों का क्षेत्र बहुत बड़ा हो जाता है | वे अधिक से अधिक मित्र बनाते है परन्तु एक या दो परम मित्र होते है |

समूह का महत्व –

किशोरावस्था में प्रायः छात्र अपने समूह और साथियों को अधिक महत्व देते है | वे अपना अधिकांश कार्य समूह के साथ ही करना पसंद करते है | वे अपने समूह के दृष्टीकोण को अच्छा समझते है तथा उसके अनुरूप ही कार्य करते है |

विषमलिंगोय काम भावना – 

किशोरावस्था में काम भावना के फलस्वरूप किशोर-किशोरी एक-दुसरे के प्रति आकर्षित होते है | वे परस्पर मिलने-जिलने बातचीत करने का प्रयास करते है तथा मैथुन की एच्छा रखते है |

रूचियो में परिवर्तन और स्थिरता –  

इस अवस्था में रुचियों में परिवर्तन आने लगते है | इस अवस्था में विषमलिंगी मित्रो के प्रति रुझान अधिक होता है | आत्मसम्मान संबधित वस्तुओ और विचारों में अधिक रूचि होती है | लडके घर से बाहर के  कार्य करने और लडकियाँ घर के अन्दर के कार्यो में अधिक रूचि लेती हैं |

इस पोस्ट से आपको क्या जानकारी मिली और आपको इस अवस्था में किन-किन बातो पर ध्यान देना होगा ताकि आप अपने जीवन में सफल हो | कमेंट कर के बताये –

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5 thoughts on “मानव जीवन की किशोरावस्था | किशोरावस्था की विशेषताएँ | किशोरावस्था में होने वाली गलतियां”

  1. Thanks sir batane ke liye 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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