किसी गाँव का शहर या कस्बे के रूप में विकसित होने की प्रक्रिया को शहरीकरण कहते हैं |
आधुनिक नगर
तीन प्रक्रियाओं ने आधुनिक शहरों की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी (i) औद्योगिक पूँजीवाद का उदय (ii) विश्व के विशाल भू-भाग पर औपनिवेशिक शासन की स्थापना (iii) लोकतांत्रिक आदर्शों का विकास |
एक स्थायी सामाजिक जीवन की शुरुआत गाँव से हुई | गाँवों की आबादी का एक बड़ा भाग कृषि संबंधी व्यवसाय से जुड़ा था |
शहरीकरण का आरंभिक इतिहास
3000 वर्ष पूर्व नदी घाटी की सभ्यताओं से शहर का विकास प्रारंभ हुआ | सिन्धुघाटी में मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा प्रसिद्ध शहर थे |
शहरों के प्रकार
शहर भी कई प्रकार के होते थे | कई शहर तथा कई बड़े शहर भी होते थे | क़स्बा गंज तथा गंज शहर में बदल जाते थे | बड़े नगर या महानगर राजधानी बन जाते थे | एक ही नगर, राजधानी, प्रशासनिक केंद्र, उद्योग, व्यवसाय, व्यापार और धार्मिक गतिविधियों का केंद्र हो जाता था |
इंगलैंड में शहरीकरण
औद्योगिकीकरण ने शहरीकरण के स्वरूप को गहरे रूप से प्रभवित किया | औद्योगिक क्रांति इंगलैंड में सबसे पहले हुई इसलिए आधुनिक शहरों का विकास भी इंगलैंड में ही शुरू हुआ | 1815 में मैनचेस्टर में रहने वाले तीन चौथाई से अधिक लोग गाँव से आये प्रवासी मजदूर थे |
इंगलैंड में शहरीकरण
- लंदन की आबादी अधिक थी |
- लंदन में आपराध बढ़ रहा था |
- लंदन में स्त्रियाँ नौकरी पर थी |
- बालश्रम का विरोध हुआ |
- आवास की समस्या निपटाई गई |
- शहरों में गरीबी कम हुई |
- लंदन का नगर निर्माण |
- लंदन के नये फेफड़े |
- गार्डन सिटी की योजना |
- शहरों में यातायात |
- शहरों में सामाजिक बदलाव |
व्यक्तिवाद की भावना का विकास
औद्योगिक शहर में जीवन के रंग-रूप ने परिवार के स्वरूप को पूर्ण रूप से बदल डाला | शहरों में नये सामाजिक समूह बने | सभी वर्ग के लोग शहर में बसने लगे | शहरी सभ्यता ने पुरुषों तथा महिलाओं दोनों में व्यक्तिवाद की नयी भावना को जन्म दिया |
परिवार में बदलाव – आधुनिक शहरों के विकास के साथ परिवार के स्वरूप तथा महत्त्व बदल गये | परिवार के गहरे रिश्तों में दरार आने लगे | गरीब वर्ग को वेतन भोगी महिलाएँ अधिक स्वतंत्र थीं | धीरे-धीरे औरतों के रोजगार औद्योगिक क्षेत्र में ख़त्म होने और समाजसुधारकों ने उन्हें पुन: घर के अंदर काम करने पर बल दिया | मर्द तथा औसत सिर्फ अपने बारे में सोचते थे | घरेलू दायरा को ही औरतों के लिए सही स्थान माना जाने लगा | बालिग पुरुषों के लिए मताधिकार की माँग को लेकर इंगलैंड में ‘चार्टिस्ट आंदोलन’ चलाया गया | ‘दस घंटे का आंदोलन’ भी हुआ | इस आंदोलन का उद्देश्य कारखानों में काम करने के घंटे निर्धारित करना था |
शहरों में मनोरंजन – 19वीं शताब्दी में शहरवासियों के लिए मनोरंजन के नये-नये साधन की व्यवस्था की गई | 18वीं शताब्दी के आखिरी दशकों में तीन-चार सौ धनी परिवार के लोगों ने मनोरंजन के लिए ऑपेर, रंगमंच और शास्त्रीय संगीत आदि कई प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन करते थे | 20वीं शताब्दी में उनके मनोरंजन के लिए ‘आनंद बाग’ भी बनाये गये जहाँ वें मनोरंजन करते थे | मेहनत मजदूरी करने वाले अपना खाली समय ‘पब’ या शराबखाने में बीताते थे |
निचले वर्ग के लोगों में संगीत काफी लोकप्रिय था तथा बीसवीं सदी के आते-आते लोगों में सिनेमा मनोरंजन का एक जबरदस्त साधन बन गया | लंदन में स्थित ब्रिटिश म्यूजियम में आनेवालों का ज्ञान के साथ-साथ मनोरंजन भी होता था | 19वीं शताब्दी में लोग मनोरंजन के लिए शराबखाना भी आते थे |
शहर में राजनीति – लंदन में कड़ाके की ठंड पड़ने से मजदूरों को ठंड में काम करने में कठिनाई होती थी वे अपनी गरीबी के कारण विद्रोह पर उतारू हो गये | वे अपनी गरीबी से निजात चाहते थे | 1886 में इसके लिए गरीब मजदूरों ने लंदन में दंगे कर दिये | उस भीड़ से डरकर दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर दी | जुलूस से निपटने के लिए पुलिस आखीरी महीने में ऐसा दंगा एक बार फिर हुआ | इस बार पुलिस ने ज्यादा कड़ी कार्रवाई की | पुलिस के इस कार्रवाई को नवंबर 1887 का खुनी रविवार भी कहा जाता है |
पेरिस का हॉसमानीकरण – लंदन के अलावा यूरोप के अन्य देशों में भी शहरों को सुंदर और आरामदायक बनाने के प्रयास किये गये | इसमें फ्रांस की राजधानी पेरिस का नाम प्रमुख है | 1852 में फ्रांस के सम्राट लुई तृतीय (नेपोलियन बोनापार्ट के भतीजे) ने फ्रांस की सत्ता संभालने के बाद अपनी राजधानी शहर पेरिस का पुनर्निर्माण कार्य बड़े पैमाने पर शुरू किया | नये पेरिस के निर्माण कार्य बैरॉन हॉसमान जो एक विख्यात और कुशल वास्तुकार तथा सियाँ का प्रिफेक्त था, उसे सौंपा गया | हॉसमान ने 17 वर्ष में यह कार्य पूरा कीया | यह काम हॉसमान ने शहर को खूबसूरत बनाने तथा किसी प्रकार की विद्रोह की आशंका को दूर करने के उद्देश्य से पेरिस के मध्य से गरीबों की बस्तियों को साफ करवा दिया |
1860 के दशक में प्रत्येक पाँच लोगों में से एक निर्माण कार्य में लग गया था | पेरिस नगर सौंदर्य की दृष्टि से यूरोप के सभी नगरों से सर्वश्रेष्ठ बन गया | इससे पेरिस पूरे यूपोप के लिए ईर्ष्या का विषय बन गया |
हॉसमान के पेरिस पुनर्निर्माण से पेरिस के कुछ संपन्न वर्ग को यह लगने लगा कि यहाँ तबाही हो गई क्योंकि पुनर्निर्माण योजना कार्य में तीन लाख, पचास हजार लोग बेघर हो गये | जिससे हॉसमान की कटु आलोचनाएँ भी हुई |
1860 में गाॅनकोर्ट बंधुओं ने इस बात पर गहरा दुख जताया कि पुरानी जीवन शैली समाप्त हो गई और एक ‘उच्चवर्गीय’ संस्कृति की स्थापना हो गई | कुछ लोगों ने यह भी कहा कि हॉसमान ने “एक जैसे दिखने वाले बुसेवर्ड्स और छज्जों से भरा सुनसान, उदास शहर बनाने के लिए सड़क के जीवन तथा सड़कों को मार डाला” | इन सभी प्रतिक्रियाओं के बावजूद भी धीरे-धीरे पेरिस वालों को अपने नगर पर गर्व होने लगा |
बंबई (मुबई)
बंबई (मुंबई) भारत का एक महत्त्वपूर्ण शहर है | 17वीं शताब्दी में बंबई सात टापुओं का समूह था | उसपर पुर्तगालियों का नियंत्रण था | 1661 में ब्रिटेन के राजा चार्ल्स द्वितीय का विवाह पुर्तगाल की राजकुमारी से हुआ | पुर्तगालियों ने दहेज में बंबई चार्ल्स द्वितीय को दे दिया | चार्ल्स द्वितीय ने इसे ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिया | ईस्ट इंडिया कंपनी ने पश्चिमी भारत के अपने सबसे मुख्य बंदरगाह सूरत से अपना मुख्यालय बंबई में कायम कर लिया तथा इसका विकास कर इसे महानगर में परिवर्तित कर दिया |
1854 में यहाँ पहला कपड़ा मिल खुला | 1921 ई० तक यहाँ 85 कपड़ा मिले खुल चुकी थीं | 1931 तक बंबई के निवासी सिर्फ एक चौथाई ही थे बाकी निवासी बाहर से आकर यहाँ बसे थे |
बंबई नगर का विकास – बंबई में उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में व्यवसायिय उद्देश्यों के लिए अधिक जमीन की आवश्यकता हुई तो सरकार और निजी कंपनियों के द्वारा नई योजनाएँ बनाई गई ताकि और ज्यादा समुद्री भूमि को इस्तेमान करने योग्य बनाया जा सके | 1898 में ‘सिटी ऑफ बॉम्बे इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट’ की स्थापना हुई जिसका काम शहर को साफ सुथरा रखना था |
बंबई की भूमि विकास योजना
शहर के विकास के लिए बंबई में अनेक भूमि विकास योजनायें तैयार की गई | बंबई मूलत: सात टापुओं को जोड़कर बनाया गया शहर था | 1784 में बंबई के गवर्नर विलियम हॉर्नबी ने विशाल तटीय दीवार का निर्माण समुद्रों के किनारे-किनारे बनवाया ताकि शहर के निचले इलाके को समुद्र के पानी की चपेट में आने से रोका जा सके |
जैसे-जैसे आबादी बढ़ी जमीन की आवश्यकता बढ़ने लगी | अधिक से अधिक सुमुद्र-तटीय इलाकों को विकसित किया गया | इस दिशा में ‘बंबई पोर्ट ट्रस्ट’ ने उल्लेखनीय कार्य किया | ट्रस्ट ने 1914 से 1918 के बीच एक सूखी गोदी का भी निर्माण किया और खुदाई से निकली मिट्टी से 22 एकड़ का ‘बांलार्ड एस्टेट’ बनाया | इसके बाद 20वीं शताब्दी में बंबई का मशहूर ‘मरीन ड्राइव’ बना |
पाटलिपुत्र (पटना) का इतिहास
पाटलिपुत्र यानी पटना शहरीकरण की प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण उदहारण है | पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र, कुसुमपुर अथवा पुष्पपुर था | यह नगर चरों ओर से गंगा, गंडक, सोन तथा पुनपुन से घिरा हुआ था |
पाटलिपुत्र नगर की स्थापना छठीं शताब्दी ई० पु० में मगध के शासक अजातशत्रु के द्वारा एक सैनिक शिविर के रूप में की गई थी | 457 ई० पू० में अजातशत्रु के पुत्र में मगध की राजधानी राजगीर से बदलकर पाटलिपुत्र में स्थापित कर दिया |
मेगास्थनीज चन्द्रगुप्त के दरबार में राजदूत के रूप में आया था | पूर्व मध्यकाल में इस नगर की आवस्था में पतन आ गया | पुन: इस नगर के गौरव को सुप्रसिद्ध अफगान शासक शेरशाह सूरी ने स्थापित किया |
1856 में अंग्रेज यात्री राल्फ फिच ने इस नगर का भ्रमण किया | मुगलकाल में यहाँ अनेक सुंदर भवनों का निर्माण हुआ | इस नगर में 1666 ई० में सिखों के दसवें और अंतिम गुरु श्री गोविन्द सिंह जी का जन्म हुआ जिसके कारण सिख धर्म का तीर्थस्थल बन गया | वर्तमान में यह स्थल ‘पटना साहिब’ के नाम से जाना जाता है |
आधुनिक पटना – 18वीं सदी में पूर्वी भारत में जब ब्रिटिश शासन की स्थपाना हुई तो आधुनिक पटना नगर का विकास हुआ | यहाँ से लगभग पाँच किलोमीटर की दूरी पर अनाज के भंडारण के लिए विशाल गोदाम का निर्माण 1786 ई० में किया गया जो आज गोलघर के नाम से जाना जाता है |
1774 में रेगुलेटिंग एक्ट के अंतर्गत बिहार के प्रशासन के लिए कई व्यवस्थाएँ लागू की गई | 1911 में दिल्ली दरबार ने बिहार को बंगाल से अलग कर पृथक राज्य का रूप दे दिया | 1912 में बिहार एवं उड़ीसा को बंगाल से पृथक राज्य का दर्जा मिला | पटना को बिहार की राजधानी बनाया गया |